चुनाव आयोग बनाम विपक्ष: राहुल गांधी के आरोपों के बीच CEC को हटाने की तैयारी?

देश में लोकतंत्र की धड़कन पर अब एक नई बहस छिड़ चुकी है — क्या मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को पद से हटाया जा सकता है?
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वह CEC के खिलाफ संविधान के तहत हटाने का प्रस्ताव ला सकता है। इसकी पृष्ठभूमि में राहुल गांधी के आरोप हैं कि चुनाव आयोग का कामकाज पक्षपातपूर्ण रहा है और ‘वोट चोरी’ की घटनाओं पर आंख मूंद ली गई है। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के बाद स्थिति और गरमा गई है।
CEC को हटाने की प्रक्रिया कितनी आसान है?
संविधान का अनुच्छेद 324(5) साफ़ कहता है — CEC को हटाना उतना ही कठिन है जितना सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाना। यानी:
संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत ज़रूरी
आरोपों की जांच के लिए एक न्यायिक समिति गठित की जाती है
‘सिद्ध दुर्व्यवहार’ या ‘अक्षमता’ का ठोस आधार होना चाहिए
अंतिम फैसला राष्ट्रपति के आदेश से ही लागू होता है
यह पूरी प्रक्रिया Judge Inquiry Act, 1968 के तहत संचालित होती है और राजनीतिक इच्छा शक्ति के साथ मजबूत सबूतों की भी मांग करती है।
क्या यह महाभियोग चलेगा?
अगर समिति ने CEC को दोषी पाया, और संसद ने विशेष बहुमत से प्रस्ताव पास किया — तभी राष्ट्रपति उन्हें पद से हटा सकते हैं। लेकिन ये इतना सरल नहीं, क्योंकि ‘सिद्ध दुर्व्यवहार’ साबित करना एक लंबा और कानूनी तौर पर जटिल सफर है।
संवैधानिक सवालों का समय
क्या यह कदम लोकतंत्र की रक्षा है या संस्थाओं पर राजनीतिक दबाव?
क्या CEC का निष्पक्ष रहना अब सवालों के घेरे में है?
क्या विपक्ष यह लड़ाई अंजाम तक ले जाएगा या यह सिर्फ एक सियासी सिग्नल है?
जवाब समय देगा, लेकिन बहस तेज़ है।