छत्तीसगढ़रायपुर

ज्ञान के मंदिर में हमारे बच्चों का भविष्य :- सीएम भूपेश बघेल

 

 

 

 

 

 

रायपुर। आज के दौर में स्कूलों में शिक्षा का वातावरण बनाना जरूरी है। बच्चों को शिक्षा के साथ खेलकूद और अनुशासन पर भी ध्यान देना है। छात्र जीवन में ही समय की कीमत समझनी होगी। उक्त बातें मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने शिक्षा सत्र 2023-24 के शुभारंभ और शाला प्रवेशोत्सव के मौके पर आज प्रोफेसर जेएन पांडेय शासकीय उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय में कहीं। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रत्येक स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है और इस मंदिर को भी हमेशा साफ सुथरा रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी आत्मानंद स्कूलों के खुलने से राज्य में शिक्षा के प्रति फिर से रूझान बढ़ा है और वर्तमान में प्रत्येक वर्ग के लोग अपने बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।

प्रदेश में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत पर जेके पांडे स्कूल में आयोजित शाला प्रवेशोत्सव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बच्चों का तिलक लगाकर स्वागत किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री बघेल ने शाला प्रवेश उत्सव में सभी का अभिनंदन करते हुए कहा कि परीक्षा होने के बाद लोगों को गर्मी की छुट्टी का इंतजार होता है. छुट्टियों के खत्म होने के बाद सभी को स्कूल जाने और दोस्त-शिक्षकों से मिलने का इंतजार रहता है।

इस बार गर्मी को देखते हुए मैने शिक्षा मंत्री और आलोक शुक्ला से बात कर छुट्टी को 10 दिन के लिए बढ़ाने के लिए कहा था. उसके बाद मौसम में परिवर्तन आ गया. सबको मैं आज के दिन की बधाई और शुभकानाएं देता हूं. 1864 के इस विद्यालय में शुरुआत हुई थी, यह इकलौता स्कूल होगा, जिसने 4-4 मुख्यमंत्री दिए हैं, बहुत से अधिकारी दिए हैं. स्कूल के लिए 10 करोड़ का बजट दिया है. काम शुरू करो आगे जो बनेगा करेंगे. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि स्वामी आत्मानंद स्कूल में सारी सुविधाएं दिए हैं. प्रदेश में आज 377 अंग्रेजी और 350 हिंदी माध्यम के स्वामी आत्मानंद स्कूल हो गए हैं, जल्द ही 1000 हजार स्कूल पर कर किए जाएंगे. बस्तर में पहले नक्सलियों स्कूलों को बम से उड़ा दिया था. आज उन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 28 नए बिल्डिंग बनाने का हमने प्रस्ताव पास किया है।

शाला प्रवेशोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री बालवाड़ी योजना के दूसरे चरण में वर्चुअल रूप से 4 हजार 3 सौ 18 बालवाड़ियों का शुभारंभ किया। राज्य में बालवाड़ियों के जरिए पांच से छः वर्ष के बच्चों को बुनियादी शिक्षा के प्रति जागरुक करने का प्रयास किया जाता है। बालवाड़ी में बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा प्रदान की जाती है ताकि स्कूल जाने में उन्हें कोई घबराहट का सामना न करना पड़े। बालवाड़ी योजना के पहले चरण में 5 सितंबर 2022 को 5 हजार 1 सौ 73 बालवाड़ी की शुरूआत की गयी थी।

 

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