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हाइड्रोपोनिक्स से हरित भविष्य की पहल, वन विकास निगम ने सिखाए मिट्टी रहित पौध उत्पादन के आधुनिक तरीके

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम ने आधुनिक खेती की दिशा में एक नया कदम बढ़ाते हुए हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को अपनाया है। इस तकनीक के माध्यम से बिना मिट्टी के पौधों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे पानी और भूमि की बचत के साथ-साथ किसानों और महिला स्व-सहायता समूहों की आय बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

इसी क्रम में 18 से 20 दिसंबर 2025 तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों से पौध उत्पादन की जानकारी दी गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नर्सरी विकास को प्रोत्साहित करना और टिकाऊ खेती की अवधारणा को मजबूत करना रहा।

प्रशिक्षण के दौरान कोकोपीट, वर्मीकम्पोस्ट और सोलराइट को सही अनुपात में मिलाकर ट्रे में पौध रोपण का व्यावहारिक अभ्यास कराया गया। नरम तने और कठोर तने वाली विभिन्न प्रजातियों के पौधों पर काम किया गया। साथ ही पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए पोषक तत्वों से भरपूर घोल तैयार करने और उसके उपयोग की विधि भी सिखाई गई।

तीन दिनों तक चली कार्यशाला में प्रतिभागियों ने हाइड्रोपोनिक्स की विभिन्न तकनीकों को स्वयं अपनाकर सीखा। खास तौर पर ड्रिप इरिगेशन प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया गया, जिससे कम पानी में अधिक प्रभावी उत्पादन संभव हो सके और जल संरक्षण को बढ़ावा मिले।

कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा तैयार किए गए हाइड्रोपोनिक इनडोर सजावटी पौधों को स्मृति-चिन्ह के रूप में वितरित किया जाएगा। भविष्य में इन पौधों को बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई गई है, जिससे निगम को अतिरिक्त आय के साथ पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

आगामी कार्ययोजना के तहत किचन गार्डन और टेरेस गार्डन को प्रोत्साहित करने के लिए परामर्श सेवाएं विकसित करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। निगम के विभिन्न मंडलों से आए अधिकारी और मैदानी कर्मचारी इस कार्यशाला में सक्रिय रूप से शामिल हुए। यह पहल नवाचार, पर्यावरण संरक्षण, जल बचत और टिकाऊ पौध उत्पादन की दिशा में वन विकास निगम की एक सराहनीय कोशिश मानी जा रही है।

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