सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी हैं और किस बेंच को कौन सा केस दिया जाए ये उनका विशेषाधिकार है. सुप्रीम कोर्ट में केस बंटवारे को लेकर नए नियम बनाने से संबंधित जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने बातें कही.चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने ये याचिका खारिज की. याचिका में मांग की गई थी कि चीफ जस्टिस को दो दूसरे सीनियर जजों के साथ कोर्ट में बैठना चाहिए और उनकी सलाह से केसों का बंटवारा करना चाहिए. याचिकाकर्ता की दलील थी कि इससे सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में ज्यादा पारदर्शिता आएगी.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने फैसले में लिखा, सीजेआई सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी हैं और केस आवंटन उनका विशेषाधिकार है. चीफ जस्टिस एक संवैधानिक पद है और उनके अधिकार और जिम्मेदारी में कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती है
क्या था पूरा मामला ?
इस साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तहलका मचा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने मीडिया के सामने चीफ जस्टिस पर प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. जस्टिस चेलामेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा था करीब दो महीने पहले हम 4 जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और मुलाकात की.
हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है. प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है. ये मामला एक केस के बंटवारे को लेकर था इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में केस बंटवारे के लिए नए नियम बनाने बनाने को लेकर वकील अशोक पांडे ने एक जनहित याचिका दायर की थी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.
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