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लेबर कोर्ट से हारा IBC24, धनबल के दम पर हाईकोर्ट से स्टे लाया

अपने ही सामान्य से कर्मचारी को डराने की कोशिशें लगातार जारी

रायपुर, कहते जब अहंकार किसी के दिमाग पर हावी हो जाए, तो वो सही गलत की पहचान करना भी भूल जाता है । ऐसा ही कुछ इनदिनों छत्तीसगढ़ के मीडिया संस्थान आईबीसी24 में भी हो रहा है । जहां से करीब 5 साल पहले बिना नोटिस और बिना वजह हटाए गए कर्मचारी के लेबर कोर्ट (labor court) में केस जीतने के बाद उसके खिलाफ धनबल का जमकर प्रयोग किया जा रहा है । इसी के दम पर आईबीसी24 बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) पहुंच गया है । जबकि करीब 5 साल से ये केस उसी शहर के लेबर कोर्ट में चला जहां आईबीसी24 का मुख्यालय है और मालिक से लेकर तमाम प्रबंधन वहीं मौजूद रहते हैं ।

दरअसल सितंबर साल 2017 में सत्येंद्र सिंह राजपूत नाम के कर्मचारी को महज इसलिये हटा दिया गया था, कि वो तत्कालीन सर्वेसर्वा अंशुमान शर्मा (Anshuman Sharma) की गलत बात में उसका साथ नहीं देता था । उस वक्त संस्थान ने बिना उसके परिवार और दो बच्चों के बारे में सोचे, महज 30 मिनट में निकालकर बाहर कर दिया था । उसके द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब भी कर्मचारी को डराने के लिए दिल्ली के सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court of Delhi) के वकील मनीष पालीवाल द्वारा भेजा गया । और उलटा उसी पर केस करने की चेतावनी दी गई ।

लेबरकोर्ट का पूरा जजमेंट हिंदी में पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें

इसके बाद मामला श्रम आयोग पहुंचा जहां कर्चमारी पर तमाम मौखिक  आरोप लगाए गए, श्रम आयोग में भी निष्कासित कर्मचारी की ओर से नौकरी पर वापस रखे जाने का तीन पेशियों में निवेदन किया, लेकिन तब संस्थान ने कथित तौर पर अहंकार में डूबे तत्कालीन सर्वेसर्वा अंशुमान शर्मा जी के इशारे पर वापस रखने से इंकार कर दिया गया ।

आखिरकार साल 2017 से चला केस 2022 में पहुंचा और 7 अगस्त 2022 को माननीय श्रम न्यायालय ने निष्कासित कर्मचारी सत्येंद्र सिंह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए, मुआवजे के साथ ही वापस नौकरी पर रखे जाने और इस दौरान की पूरी सैलरी देने का आदेश दिया ।

हैरानी वाली बात ये है कि राजधानी रायपुर में संस्थान के तमाम बड़े वकील मौजूद हैं, लेकिन फिर भी एक दो पेशियों के बाद संस्थान की ओर से कोई भी वकील कोर्ट में नहीं पहुंचा । और संस्थान एक्स पार्टी हो गया । अब आईबीसी24 को लग रहा है कि माननीय श्रम न्यायालय में उनकी बात नहीं सुनी गई, इसी को आधार बनाते हुए इतना बड़ा संस्थान अपने ही एक सामान्य कर्मचारी के खिलाफ धनबल का उपयोग कर रहा है । इसी के दम पर उन्होने इस केस पर स्टे लिया है और आगे कोर्ट की लड़ाई लड़ने की मन बना चुका है, इस स्टे को एसबी मल्टीमीडिया के एचआर विभाग से जतिन दुबे के नाम से लिया गया है ।

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