
नारायणपुर
जिले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। तेंदूपत्ता, जिसेे हरा सोना के नाम से भी पुकारा जाता है। प्रतिवर्ष इसका इंतजार आदिवासी अंचल के ग्रामीणों को रहता है, क्योंकि तेंदूपत्ते से अच्छी आमदनी होती है, जिससे परिवार की जरूरी आवश्यकता की पूर्ति करने में काफी मदद मिल जाती है।
पुर जिले में भी तेंदूपत्ता संग्रहण यहाँ के वनवासियों के लिए एक आय का मुख्य जरिया होता है। प्रदेश के जनजाति बाहुल जिलों में आदिवासियों को राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक में वृद्धि करते हुए 2500 रूपये से बढ़ाकर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा किया गया है।
प्रति मानक बोरा 1500 रूपये अधिक मिलने से इन आदिवासी अंचल के वनवासियों की जिन्दगी आसान हो गयी है। वाजिब दाब मिलने से तेन्दूपत्ता संग्राहक अब खुश है। तेन्दूपत्ता की खरीद कोरोना संक्रमण के समय में एक मुश्किल भरा कदम जरूर था, लेकिन कोरोना का कवच बने नियमों की अक्षरशः पालन ने इसे और भी अधिक आसान कर दिया है।
वर्तमान में नारायणपुर जिले में तेन्दूपत्ता खरीदी के तहत आदिवासियों द्वारा जंगलों में जाकर तेन्दूपत्ता इकट्ठा कर लिया गया था, लेकिन कोरोना का संक्रमण काल इन संग्राहकों के माथे पर चिन्ता की लकीरें खींचता नजर आ रहा था। इसी बीच राज्य सरकार द्वारा संग्रहको को चिन्ता से मुक्त करने के लिए निर्धारित पारिश्रमिक दर पर तेन्दूपत्ता खरीद के लिए खरीद केन्द्रों की स्थापना की गई। इन खरीद केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण बेहद चिन्तनीय विषय था।
लेकिन प्रशासनिक सूझ-बूझ के साथ राज्य सरकार की एडवाइजरी ने इस मुश्किल को आसान किया। वन विभाग से जुडे अधिकारी-कर्मचारियों की सार्थक पहल के चलते खरीद केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण को रोकने के उपायों को प्रमुखता से लागू कर पालन करवाई गई। वनमंडलाधिकारी एनआर खंुटे ने बताया कि जिले में तेन्दूपत्ता खरीदी के लिए वर्तमान में 162 संग्रहण केन्द्रों की स्थापना की गई है।