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राजभवन में गूँजी भारत की सांस्कृतिक विविधता, छह राज्यों का स्थापना दिवस उत्साह के साथ मनाया गया

रायपुर। छत्तीसगढ़ राजभवन मंगलवार को देश की सांस्कृतिक विविधता का केंद्र बन गया, जहाँ 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों—कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, उत्तराखंड, लक्षद्वीप और पुडुचेरी—का स्थापना दिवस एक साथ मनाया गया। मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेन डेका ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की विविधताएं ही उसे एक सूत्र में पिरोती हैं और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान इन्हीं विविधताओं का जीवंत प्रतीक है।

राज्यपाल ने कहा कि भाषाओं, वेशभूषा, खान-पान और परंपराओं में भिन्नता के बावजूद भारत की आत्मा एक है। इसी भावना को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार का ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम सभी राज्यों को एक-दूसरे का स्थापना दिवस मनाने के लिए प्रेरित करता है। इसी क्रम में राजभवन के छत्तीसगढ़ मंडपम में यह बहुरंगी समारोह आयोजित किया गया।

कर्नाटक और तमिलनाडु की विशेषताओं पर रोशनी

रमेन डेका ने कर्नाटक को प्राचीन विरासत और आधुनिक तकनीक का संगम बताया—जहाँ एक ओर विजयनगर साम्राज्य की ऐतिहासिक धरोहर है, वहीं दूसरी ओर बेंगलूरू आधुनिक भारत का आईटी हब है।
तमिलनाडु को द्रविड़ संस्कृति का केंद्र बताते हुए उन्होंने कहा कि तमिल भाषा, संगम साहित्य और भरतनाट्यम जैसी कला परंपराओं ने भारतीय ज्ञान को समृद्ध किया है।

दिल्ली—इतिहास और आधुनिक भारत का मेल

उन्होंने दिल्ली को सिर्फ राजधानी नहीं बल्कि भारत की आत्मा बताया। लाल किला, कुतुब मीनार, इंडिया गेट और संसद भवन को उन्होंने राष्ट्र के गौरव के प्रतीक कहा—जहाँ देश का इतिहास स्वयं सांस लेता है।

उत्तराखंड और छत्तीसगढ़—प्रकृति और संसाधनों से संपन्न

राज्यपाल ने बताया कि उत्तराखंड और छत्तीसगढ़, स्थापना के समय से ही कई समानताओं के धनी रहे हैं—दोनों की बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और प्राकृतिक संपदाएं इनकी विशेष पहचान हैं। पर्वत, जंगल, नदियां और सतत् विकास की समान चुनौतियाँ इन दोनों राज्यों को जोड़ती हैं।

पुडुचेरी और लक्षद्वीप—समुद्र, संस्कृति और जैव विविधता का संसार

पुडुचेरी की फ्रांसीसी स्थापत्य शैली, आध्यात्मिक माहौल और समुद्र तटों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र इतिहास और आधुनिकता दोनों का सुंदर मिश्रण है।
लक्षद्वीप को उन्होंने जैव विविधता का खजाना बताया, जिसकी जीवनशैली दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का व्यावहारिक संदेश देती है।

विविधता ही भारत की शक्ति

राज्यपाल ने कहा कि यही विविधता भारत को विश्व में विशिष्ट बनाती है। आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ते देश में इन राज्यों का योगदान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने सभी को मानव सेवा, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजा ‘मिनी इंडिया’

कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित रंगारंग प्रस्तुतियाँ दीं। कर्नाटक का यक्षगान, तमिलनाडु के लोक नृत्य, दिल्ली की पंजाबी फोक प्रस्तुति, उत्तराखंड के लोक नृत्य गौपति, लक्षद्वीप का छड़ी नृत्य और पुडुचेरी का गरडी नृत्य समारोह की खास आकर्षण रहे।

सम्मान और आदान-प्रदान

राज्यपाल ने राज्यों के प्रतिनिधियों को राजकीय गमछा और स्मृति चिन्ह भेंट किए। प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने राज्यों की ओर से स्मृति चिह्न देकर उनका सम्मान किया।
कार्यक्रम में विधायक पुरंदर मिश्रा, महापौर मीनल चौबे, राजभवन के सचिव डॉ. सी.आर. प्रसन्ना समेत कई अधिकारी, युवा, महिलाएँ और विभिन्न राज्यों के नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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