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जगदलपुर : बस्तर में शिशु मृत्यु दर हुई आधी

जगदलपुर : बस्तर में शिशु मृत्यु दर कम करने में स्वास्थ्य विभाग की कोशिशे थोड़ी परवान चढ़ रही है, और पिछले साल जहां डिलीवरी के दौरान या उसके बाद 21 महिलाओं के साथ ही वर्ष भर में 815 बच्चों की मौत हुई थी। वहीं इस वर्ष मार्च तक 14 महिलाओं समेत 480 बच्चों की मौत की जानकारी प्राप्त हुई है।
मृत्यु दर में कमी आने के कारणों का खुलासा करते हुए कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि अब लोगों में स्वास्थ्य तथा सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और स्वास्थ्य विभाग अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करने में लगा हुआ है।उल्लेखनीय है कि मृत्यु दर में कमी के कारणों में एक सबसे बढ़ा कारण संस्थागत प्रसव को भी माना जा रहा है।

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उल्लेखनीय है कि जानकारी के अनुसार इस साल जहां बस्तर जिले मेें 870 महिलाओं का प्रसव की जानकारी है, जिसमें से 852 प्रसव सरकारी या निजी हास्पिटल में हुई जबकि पिछले साल 1290 महिलाओं की डिलवरी हुई थी इनमें से भी केवल 1070 महिलाएं हास्पिटल तक प्रसव के लिए पहुंची थी। जब इस संबंध में शिशु रोग विशेषज्ञों सहित अन्य चिकित्सकों से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि महतारी सेवा, एएनएम और मितानिनों की कोशिशों का असर है कि इस साल शिशुओं और महिलाओं की मौत में कमी आई है।
इसके अतिरिक्त बस्तर जिले में शिशु और माता मृत्यु दर में भी कमी आई है। वर्ष 2015-16 में जिले में शिशु मृत्यु दर एक हजार जीवित बच्चों के जन्म पर 47 और एक लाख जीवित बच्चों के जन्म पर महिलाओं की मौत 250 थी जबकि इस साल यह घट गई है।

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