छत्तीसगढ़

होली पर चढ़ा महंगाई रंग,बड़े साइज के जोड़ी नगाड़े की कीमत एक हजार

राजिम । होली का पर्व जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहा है लोग होलियाना रंग में डूबते जा रहे हैं। लेकिन इसमें महंगाई का साया जरूर देखने को मिल रहा है। पांच से सात सौ में मिलने वाली नगाड़े अब ₹1000 में बेची जा रही है। नगाड़ा विक्रेता ने बताया कि छोटे नगाड़ा डेढ़ सौ रुपए मध्यम श्रेणी के ढाई सौ तथा बड़े नगाड़ा की जोड़ी ₹1000 बताया। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि अब नगाड़े के घड़े पर छाने वाले खाल आसानी से नहीं मिल पाते। सभी सामानों की कीमत बढ़ी हुई है ऐसे नगाड़ा बनाना बहुत मुश्किल हो गया है। पहले जैसे नगाड़े के खरीददार भी नहीं मिलते। यह हमारा पुश्तैनी धंधा है इसलिए हम इसे छोड़ नहीं सकते। शहर के बस स्टैंड में वह नगाड़ा बेचने अपने बच्चों के साथ बैठी हुई औरत कभी नगाड़ा बजा थी तो कभी नगाड़ा ले लो कहकर चिल्लाती। उनके यह स्वर लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच रही थी। जैसे ही हमने नगाड़े की कीमत पूछा वह ले लो भैया कहकर कहने लगी मोलभाव करने पर कहा कि ₹10 से ज्यादा नहीं छोड़ सकती। पिचकारी की दुकान लगाने की तैयारी अभी पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक में चल रही है बता देना जरूरी है कि शहर के रायपुर रोड, महासमुंद मार्ग एवं जिला मुख्यालय गरियाबंद रोड पर बड़ी संख्या में पिचकारी मुखड़े एवं रंग गुलाल की दुकानें सजती है। गुलाल की कीमत भी इस बार बड़ी हुई है ₹40 किलो में मिलने वाले हु लाल ₹70 किलो मैं मिलने की जानकारी मिली है। इसमें भी सामान्य मध्यम व उच्च स्तरीय गुलाल की जानकारी मिली है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष होली पर्व 18 मार्च को है जिस दिन लोग भगवा के साथ ही रंग गुलाल छिड़ककर होली पर्व को प्रेम एवं सौहार्द्र तथा उत्साह पूर्वक मनाएंगे। कहना होगा कि बाजार में तेल की कीमत भी बढ़ी हुई है जिनका असर त्योहारों पर पकने वाले पकवान में देखने को मिलेगा। विष्णु राम जांगड़े ने बताया कि तेल की टीम ₹27सौ में मिल रहा है। पिछले साल 17 सौ रुपए में मिल रहा था अर्थात ₹1000 का इजाफा लोगों को नागवार गुजर रही है। गृहिणिया त्रिवेणी, सुशीला, मंटोरा, हेम बाई, प्रमीन, पुष्पा आदि ने बताया कि महीने में दो बार घर में पूड़ी बना लेते थे परंतु जब से तेल की कीमत बढ़ी हुई है पुड़ी तो क्या सब्जी का स्वाद भी गायब हो गया है। कुछ भी हो तेल की कीमतों ने परिवार के मुखिया की कमर तोड़ कर रख दी है घर में स्वादिष्ट सब्जी या नहीं बन रहे हैं और सरकार हाथ में हाथ धरे बैठी होती है। किसका लोगों में आक्रोश भी है। कहना होगा कि होली के त्यौहार की परंपरा वर्षों से चली आ रही है रिंकी तैयारियां 15 दिन पहले शुरू हो जाती है इस बार भी प्रयाग नगरी में लोग होली की तैयारी में जुटे हुए हैं होली का ढार पर लकड़ी इकट्ठा करने का क्रम जारी है। गांव में भी लोग होली गीतों पर थिरक रहे हैं। इस बार कोरोना का साया नहीं होने के कारण लोग खुलकर होली का त्यौहार मनाएंगे। ज्ञातव्य हो कि होली में रहस नाच भी होता है लेकिन वर्तमान में यह नृत्य कहीं कहीं देखने को मिल रही है लुप्त सी हो रही रास नृत्य कोफोकस करने की जरूरत लोग महसूस कर रहे हैं इसमें राधा के संग गोप गोपियों एवं कृष्ण जी की मनमोहिनी मुरत लोगों को खासा प्रभावित करती है और इस तरह से आमजन द्वापर युग के कथाओं पर खो जाते हैं।

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