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क्या आपके घर में कुछ अजीब घट रहा है? हो सकता है ये संकेत हों पितरों के!

अक्सर हम अपने घर में होने वाली कुछ रहस्यमयी घटनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये घटनाएं पितरों की ओर से कोई संदेश तो नहीं? हिंदू शास्त्रों में ऐसी कई मान्यताएं हैं, जो बताती हैं कि जब पितर हमसे नाराज़ होते हैं तो वह इन संकेतों के जरिए हमें चेताते हैं।

कौवों का अचानक शोर मचाना – पितरों की पुकार?

यदि घर के आंगन या छत पर अचानक कौवे कांव-कांव करने लगें, तो यह केवल एक संयोग नहीं है। माना जाता है कि कौवे पितरों के संदेशवाहक होते हैं। उनका यूं शोर मचाना इस ओर इशारा करता है कि पितर भोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

आर्थिक संकट – क्या पितरों की नाराज़गी है वजह?

बिना किसी ठोस कारण के यदि घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगे, आमदनी रुक जाए या खर्चे अचानक बढ़ जाएं — तो यह पितरों की अप्रसन्नता का प्रतीक हो सकता है।

परिवार में बार-बार बीमारियाँ – एक चेतावनी संकेत!

यदि परिवार के सदस्य एक के बाद एक बीमार पड़ने लगें, तो इसे सामान्य न समझें। शास्त्रों में बताया गया है कि यह भी पितरों के असंतोष का परिणाम हो सकता है।

दीपक का बुझना – पूजा में विघ्न क्यों?

घर के मंदिर में जलता हुआ दीपक अगर अचानक बुझ जाए, तो यह केवल हवा का काम नहीं। यह एक संकेत है कि कोई अदृश्य शक्ति – शायद आपके पितर – आपसे कुछ कहना चाहती है।

तुलसी का सूखना – पवित्रता पर पितरों का संकेत

तुलसी का पौधा अगर बिना कारण सूखने लगे, तो यह पितरों के क्रोध का द्योतक माना जाता है। तुलसी देवी का पौधा घर की पवित्रता का प्रतीक है — इसका मुरझाना शुभ संकेत नहीं है।

पूजा सामग्री का गायब हो जाना – एक रहस्यमयी घटना

अगर पूजा करते समय सामग्री जैसे फूल, चावल या कपूर अचानक से मिलना बंद हो जाए या गायब हो जाए, तो यह संकेत है कि पितर तर्पण और श्राद्ध की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

पितरों को कैसे करें प्रसन्न?

शास्त्रों के अनुसार, पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना आवश्यक है। पितृपक्ष के दौरान ये कर्म विशेष महत्व रखते हैं। ऐसा करने से घर में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।

याद रखें — पितर केवल ध्यान चाहते हैं, सम्मान चाहते हैं। उन्हें श्रद्धा से याद करें, ताकि उनका आशीर्वाद हमेशा आपके साथ बना रहे।

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