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जशपुर: प्रकृति, संस्कृति और रोमांच का संगम

अगर आप हैं प्रकृति प्रेमी, या तलाश रहे हैं रोमांच और शांति की एक साथ — तो जशपुर आपके लिए एक स्वर्ग से कम नहीं।

घने जंगलों, कल-कल बहते झरनों, ऊँचे पहाड़ों और नदियों से घिरा जशपुर, न सिर्फ अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ की आदिवासी संस्कृति, लोककथाएँ, पारंपरिक संगीत और कलाएँ भी इसकी आत्मा हैं।

अब यह सौंदर्य और समृद्ध संस्कृति दुनियाभर में अपनी पहचान बना रही है।

बगीचा विकासखंड के ग्राम पोड़ीखुर्द से सुलेशा के बीच दनगरी घाट तक 13.60 किमी सड़क निर्माण की स्वीकृति (18 करोड़ 37 लाख की लागत से) ग्रामीणों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। इस सड़क से न सिर्फ आवाजाही आसान होगी, बल्कि पर्यटन और स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी जन्म लेंगे।

88 किमी दूर घने जंगलों में स्थित दनगरी झरना, तीन-चार धाराओं में ऊँची चट्टानों से गिरता है — यह नज़ारा हर प्रकृति प्रेमी के लिए एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जशपुर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नक्शे पर लाने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
दनगरी समेत पांच गाँवों में “होम स्टे योजना” की शुरुआत भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, ताकि पर्यटक यहाँ की संस्कृति को नजदीक से महसूस कर सकें।

मधेश्वर पहाड़ को दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक शिवलिंग प्रतिकृति के रूप में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करवा कर, जशपुर ने इतिहास रच दिया है।

और अब जशपुर के पर्यटन स्थलों की जानकारी EaseMyTrip जैसी प्रमुख वेबसाइट्स पर भी उपलब्ध है।

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