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कालभैरव जयंती 2025: महादेव का शक्तिशाली रूप आज करेगा नकारात्मकता का नाश

भगवान शिव के अनेक रूपों में से कालभैरव सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली माने जाते हैं। यह रूप अधर्म और अन्याय का अंत करने वाले महादेव के तेजस्वी स्वरूप का प्रतीक है। कहते हैं कि ब्रह्मा के अहंकार से नाराज होकर महादेव ने कालभैरव रूप धारण किया, जिसने अहंकार का नाश कर धर्म की रक्षा की।

हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 12 नवंबर 2025, बुधवार को है। इस दिन भक्त भगवान कालभैरव की पूजा, आरती और मंत्र जाप कर जीवन से नकारात्मकता, भय और शत्रु बाधाओं को दूर करने का संकल्प लेते हैं।

भोपाल के ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को असाधारण शक्ति, आत्मविश्वास और सफलता की प्राप्ति होती है।

कालभैरव जयंती 2025 के शुभ मुहूर्त

सुबह 10:48 से दोपहर 12:10 तक

दोपहर 2:55 से शाम 4:17 तक

शाम 4:17 से 5:39 तक

रात 12:10 से 1:50 तक (निशीथ काल मुहूर्त)

पूजा का विशेष महत्व निशीथ काल के समय माना जाता है, जब भगवान भैरव की ऊर्जा अत्यंत प्रबल होती है।

कालभैरव पूजा विधि

सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें।

घर में शांत जगह पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

जल, फूल, चावल आदि अर्पित कर पूजा का संकल्प लें।

सरसों के तेल का दीपक जलाएं और मंत्र “ऊं कालभैरवाय नमः” का जाप करें।

पूजा के बाद आरती करें और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान दें।

कालभैरव पूजा का महत्व

कालभैरव की पूजा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। इससे शत्रु बाधाएं दूर होती हैं, नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और भक्त को समय, धन और मानसिक शांति का वरदान मिलता है।

खास उपाय

रात 12 बजे भगवान भैरव के नाम का दीपक जलाएं।

काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।

“ऊं भैरवाय नमः” का कम से कम 108 बार जाप करें।

मंदिर में सरसों के तेल का दान करें और जरूरतमंद की मदद करें।

इन उपायों से व्यक्ति की किस्मत चमकती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

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