छत्तीसगढ़

कमलनाथ की चली, छिंदवाड़ा की 6 सीट पर निर्णय क्यों नहीं; 10 सवालों में खास बातें

पितृ पक्ष खत्म होते ही कमलनाथ के वादे के मुताबिक मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 144 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हो गई। कांग्रेस ने अपनी तैयारी से ज्यादा तवज्जो सूची जारी करने की टाइमिंग को दी। श्राद्ध पक्ष का डर खत्म होते ही चंचल मुहूर्त में रविवार सुबह 9.07 मिनट पर यह महत्वपूर्ण काम किया।

पार्टी ने इससे आगे बढ़कर 1+4+4=9 का अंकगणित ध्यान रखने की जानकारी भी मीडिया को दी है। यानी वह धर्म, आस्था और मान्यता के त्रिकोण में भाजपा को घेरना चाहती है। प्रत्याशियों के चयन में इसका ध्यान रखा गया। टीवी सीरियल रामायण (रामानंद सागर वाली नहीं) में हनुमान का रोल निभाने वाले एक्टर विक्रम मस्ताल को बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उतारना भी इसी रणनीति का हिस्सा है।

10 सवालों के जवाब से जानते है कांग्रेस की पहली सूची की खास बातें..

1. सूची जारी करने में इतनी देरी क्यों की?

पार्टी ने काफी पहले तय कर लिया था कि आचार संहिता लागू होने के बाद ही उम्मीदवारों के नाम जारी किए जाएंगे। इसमें एक महत्वपूर्ण कारण ‘सरकार की शक्तियां’ और भाजपा के ‘पावरफुल मैनेजमेंट’ का डर भी था कि कहीं प्रत्याशी कानूनी रूप से उलझ न जाए या तोड़फोड़ न हो जाए।

फिर चुनाव की घोषणा श्राद्ध पक्ष में हो गई तो इंतजार करना ही था। हालांकि जिनका टिकट तय था उन्हें बता दिया गया था कि वे अपना जनसंपर्क जारी रखें। जैसे इंदौर-1 सीट से संजय शुक्ला ने भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय का नाम घोषित होने से पहले ही वोट मांगना शुरू कर दिया था।

इंदौर-1 से प्रत्याशी संजय शुक्ला के साथ कमलनाथ। जिन चेहरों को चुनाव लड़ाना है, कमलनाथ ने उन्हें पहले ही इशारा कर दिया था।

इंदौर-1 से प्रत्याशी संजय शुक्ला के साथ कमलनाथ। जिन चेहरों को चुनाव लड़ाना है, कमलनाथ ने उन्हें पहले ही इशारा कर दिया था।

2. सूची में कमलनाथ का कितना दखल रहा?

पूरी तरह। सिर्फ एक फॉर्मूला रखा- सर्वे में क्या फीडबैक? कमलनाथ वैसे भी पार्टी में सर्वे और फीडबैक के आधार पर ही निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए उनका अपना एक सिस्टम बना हुआ है।

फीडबैक का कितना ध्यान रखा? इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। भोपाल जिले की बैरसिया सीट से दिग्विजय सिंह राम मेहर के पक्ष में थे। मेहर दिग्विजय के सांसद प्रतिनिधि हैं। बैरसिया में कुछ महीने पहले दिग्विजय ने गुर्जर समाज के मंदिर तक नंगे पैर पदयात्रा की थी, लेकिन सर्वे के फीडबैक के आधार पर कमलनाथ ने पिछले चुनाव में 13 हजार वोटों से हारी जयश्री हरिकरण के नाम पर मुहर लगाई।

इसी तरह रतलाम जिले की आलोट सीट से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्‌डू के लिए दिग्विजय समर्थक भोपाल तक पहुंचे, लेकिन यहां भी मौजूदा विधायक मनोज चावला को इसलिए मैदान में उतारा क्योंकि किसानों के लिए वे जेल गए थे।

3. पहली सूची में ही कमलनाथ का नाम होने के क्या मायने?

कमलनाथ का पहली ही सूची में नाम शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से उनके चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने को लेकर सस्पेंस बना हुआ था। खुद कमलनाथ के बयानों से ऐसी स्थिति बनी थी।

इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर ही कुछ इसी तरह का सस्पेंस रहा? शिवराज ने लोगों से ही पूछा था कि मैं चुनाव लड़ू या न लड़ूं? शिवराज का नाम भाजपा की चौथी सूची में आया तब ही यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस के पास ऐसा कोई कारण नहीं था कि कमलनाथ चुनाव न लड़ें। यदि वे नहीं लड़ते तो शिवराज के नेतृत्व पर सवाल उठा रही कांग्रेस को जवाब देना मुश्किल हो जाता।

4. शिवराज के सामने टीवी एक्टर को उतारने की पीछे क्या रणनीति?

पिछले चुनाव में पार्टी तमाम तरह के प्रयोग कर चुकी है। बड़े चेहरे को उतारकर मुख्यमंत्री को अपने इलाके में ज्यादा वक्त देने के लिए मजबूर करने की रणनीति नाकाम साबित हो चुकी है। जब पिछले चुनाव में अरुण यादव को बुधनी भेजा था।

इस बार संयोग से कांग्रेस को ऐसा चेहरा मिल गया जो लोगों के बीच टीवी एक्टर के तौर पर जाना पहचाना है, वह भी हनुमान जी के रूप में। विक्रम ने टीवी सीरियल रामायण में हनुमान का रोल निभाया था।

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उज्जैन के महाकाल मंदिर में राहुल गांधी के साथ कमलनाथ। कांग्रेस अपनी पहली सूची नवरात्र के पहले दिन चंचल मुहूर्त में जारी की।

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उज्जैन के महाकाल मंदिर में राहुल गांधी के साथ कमलनाथ। कांग्रेस अपनी पहली सूची नवरात्र के पहले दिन चंचल मुहूर्त में जारी की।

5. नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा अन्य बड़े नेताओं के सामने क्या स्ट्रैटजी?

दिमनी से भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उतारकर चौंकाया था। यहां कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर विधायक हैं। बसपा ने इस सीट से ब्राह्मण चेहरे बलवीर सिंह दंडोतिया को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बलवीर इसी सीट से 2013 में विधायक चुने गए थे।

दिमनी विधानसभा क्षेत्र में हार जीत में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण रहता आया है। यहां तोमर-राजपूत वोट करीब 70 हजार बताए जाते हैं। ऐसे में बीजेपी- कांग्रेस दोनों बडे़ दलों से तोमर प्रत्याशी होने पर कांग्रेस को फिलहाल रिस्क दिख रही है।

आम आदमी पार्टी ने भी सुरेन्द्र सिंह तोमर को उतारा है। ऐसे में कांग्रेस किसी अन्य वर्ग का प्रत्याशी उतार सकती है। होल्ड करने की वजह भी यही है। इंदौर 1 में कैलाश विजयवर्गीय के सामने संजय शुक्ला लड़ेंगे, यह तय था।

6. कांग्रेस ने चार विधायकों के टिकट आखिर क्यों काटे?

इस मामले में सबसे चौंकाने वाला निर्णय नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काटना है। कांग्रेस की सर्वे की लैब में जीतने के फॉर्मूले में वे फिट नहीं बैठे।

पन्ना जिले की गुनौर से विधायक शिवदयाल बागरी भी इसी वजह से बेटिकट रहे। झाबुआ से कांतिलाल भूरिया अपनी जगह डॉक्टर बेटे विक्रांत को टिकट दिलाना चाहते थे। उनकी इच्छा पार्टी ने पूरी कर दी। कटंगी से विधायक रामलाल सहारे खुद चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे।

कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काट दिया। वे नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं।

कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काट दिया। वे नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं।

7. 22 विधायकों के टिकट होल्ड पर क्यों रखे?

यह भी गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस की पहली सूची में छिंदवाड़ा जिले की सात सीटों में से सिर्फ छिंदवाड़ा से कमलनाथ का ही नाम फाइनल हुआ है जबकि बाकी छह सीटों पर भी कांग्रेस के ही विधायक हैं। इनके नाम होल्ड पर रखने की वजह है- कमलनाथ इन सीटों पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। छिंदवाड़ा जिले का रिजल्ट सीधे उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है।

जुन्नारदेव, सौंसर और चौरई में मौजूदा विधायकों के अंदरुनी विरोध की खबरें आई हैं। एक वजह यह भी कि जिले की सातों सीटों में एक भी महिला विधायक नहीं है। ऐसे में कमलनाथ संदेश देने के लिए एक-दो सीटों पर महिला प्रत्याशी उतार सकते हैं।

भाजपा ने छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा और परासिया में दो महिला उम्मीदवार को उतारा है। भाजपा ने इस जिले में सिर्फ चौरई सीट को होल्ड पर रखा है।

मुरैना में उपचुनाव जीते राकेश मावई पर हाल ही में ग्वालियर में गुर्जर महापंचायत के आंदोलन के दौरान हुए विवाद में FIR दर्ज हुई है। इसी तरह सुमावली से विधायक अजब सिंह कुशवाह को प्रॉपर्टी डिलिंग के मामले में दो साल की सजा हो चुकी है, इसलिए उनका टिकट कटना तय है।

8. दलबदल वालों पर इतना भरोसा क्यों?

जीतने के लिए कुछ भी करेगा.. की राह पर कांग्रेस भी है। ग्वालियर ग्रामीण में पिछला चुनाव बसपा से लड़े साहब सिंह गुर्जर को उतारा है। वे भाजपा के भारत सिंह कुशवाह से मात्र 1517 वोटों के मामूली अंतर से हारे थे। कांग्रेस को उम्मीद है कि गुर्जर अपने साथ बसपा के वोट भी लाएंगे। यहां कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी।

दतिया में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के सामने अवधेश नायक को टिकट दिया है। वे महीने भर पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस के पास ब्राह्मण उम्मीदवार के तौर पर ये सबसे माकूल विकल्प थे। कोलारस से बैजनाथ यादव को टिकट दिया है। वे सिंधिया के साथ कांग्रेस में चले गए थे। हाल ही में घर वापसी हुई। पार्टी ने यादव के बहाने सिंधिया के साथ भाजपा में गए लोगों को मैसेज दिया है।

कांग्रेस की पहली लिस्ट में 39 प्रत्याशी ओबीसी वर्ग के हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार जातिगत जनगणना की बात कह रहे हैं। इसका असर लिस्ट में दिखा।

कांग्रेस की पहली लिस्ट में 39 प्रत्याशी ओबीसी वर्ग के हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार जातिगत जनगणना की बात कह रहे हैं। इसका असर लिस्ट में दिखा।

9. क्या जयस व सपा से अघोषित समझौता हुआ है?

जिन विधायकों के टिकट होल्ड किए गए है उनमें एक विधायक हीरालाल अलावा भी हैं जो जयस के राष्ट्रीय संरक्षक है, हालांकि इस संगठन के दो गुटों के अपने-अपने दावे हैं। अलावा गुट कांग्रेस के साथ है। कांग्रेस और जयस के बीच सीटों की संख्या को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है, इसलिए जयस के कोटे के उम्मीदवारों पर एक साथ ही निर्णय होगा।

वहीं पिछली बार सपा के खाते में गई छतरपुर की बिजावर सीट पर समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपनारायण यादव के भाई चरण सिंह यादव को कांग्रेस से टिकट दिया है। दीपनारायण यूपी की गरोठा से दो बार और उनकी पत्नी मीरा एमपी के निवाड़ी से 2008 में सपा के टिकट पर विधायक बन चुकी है। निवाड़ी सीट को कांग्रेस ने अभी होल्ड पर रखा है।

10. जातिगत जनगणना के मुद्दे और महिला आरक्षण बिल का कितना असर?

हां, इसका असर स्पष्ट दिखा है। पहली लिस्ट में ओबीसी वर्ग के 39 उम्मीदवार हैं। बुंदेलखंड में ओबीसी वोटर निर्णायक माने जाते हैं, वहां छह प्रत्याशी इसी वर्ग से हैं। विंध्य में चुनावी राजनीति की तासीर भी ऐसी ही है। वहां चार उम्मीदवार ओबीसी हैं। 19 महिलाओं का नाम लिस्ट में है जिनमें से 4 मौजूदा विधायक हैं, बाकी 15 हारी हुई सीटें हैं।

MP में कांग्रेस के 144 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी

मप्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने 144 उम्मीदवारों की पहली सूची रविवार को जारी कर दी है। 96 विधायकों में से 69 को फिर से मौका दिया है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे। कांतिलाल भूरिया की जगह उनके बेटे विक्रांत को टिकट दिया है। इस सूची के साथ ही प्रदेश की 230 में से 86 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के कैंडिडेट्स की तस्वीर साफ हो चुकी है।

कांग्रेस की पहली लिस्ट के 144 कैंडिडेट्स की डिटेल प्रोफाइल

मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में 69 विधायकों पर दोबारा भरोसा जताया है। ​​​​​​हारे हुए नेताओं को फिर से टिकट दिया गया है। बुधनी से शिवराज सिंह के सामने टीवी सीरियल एक्टर विक्रम मस्ताल को उतारा है। मस्ताल ने रामायण सीरियल में हनुमान का किरदार निभाया था।

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