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Khairagarh By Election: जोगी कांग्रेस की सीट पर, लगी कांग्रेसी नजर, भाजपा के लिए भी मौका

देश के चुनिंदा कांग्रेस शासित राज्यों में से एक, छत्तीसगढ़ में उपचुनाव होने जा रहे हैं. यहां के चुनाव में जीत के लिए त्रिकोणिय मुकाबला कहा जा रहा है. लेकिन क्या वाकई ये त्रकोणिय होगा, इसमें अब थोड़ा संदेह नजर आ रहा है. तो आज हम इसी बात का विश्लेषण करने की कोशिश कर रहे हैं, कि खैरागढ़ विधानसभा के उपचुनाव में कौन किस पर भारी पड़ेगा.

सबसे पहले हम आपको बता दें कि खैरागढ़ विधानसभा सीट राजा देवव्रत सिंह के निधन के बाद खाली हुई है. जिसपर उपचुनाव होने जा रहे हैं. वैसे आपने ज्यादातर देखा होगा, कि जिस विधायक का निधन होता है. अक्सर पार्टियां उसी के घरवालों को टिकट देती है. इसका फायदा भी पार्टियों को ज्यादातर मिलता रहा है. लेकिन देवव्रत सिंह के निधन के बाद जिस तरह से राजपरिवार में घमासान मचा, उसकी वजह से, ये टिकट उनके हाथ से निकल गया. और अगर सब कुछ ठीक-ठाक होता तो पूरी उम्मीद थी, कि कांग्रेस की ओर से देवव्रत सिंह की दूसरी पत्नी, यानी विभा सिंह यहां से प्रत्याशी होतीं. क्योंकि देवव्रत सिंह का जुड़ाव भी कांग्रेस से ही रहा था.

खैर, हम यहां मौजूदा प्रत्याशियों की बात करते हैं. जो चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने के तैयार हैं.  सबसे पहले आप कांग्रेस, भाजपा और जनता कांग्रेस के प्रत्याशियों का संक्षिप्त में परिचय जान लीजिये.

यशोदा वर्मा, कांग्रेस.

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से यशोदा वर्मा मैदान में हैं. यशोदा वर्मा, खैरागढ़ ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं. वे लंबे समय से कांग्रेस की सियासत में सक्रिय हैं. यशोदा वर्मा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले जिला पंचायत की सदस्य रही चुकी हैं. उनके पति नीलांबर वर्मा भी जनपद के सदस्य रहे हैं.

यशोदा वर्मा राजनांदगांव जिला महिला लोधी समाज की भी अध्यक्ष हैं. पति-पत्नी दोनों ही कांग्रेस पार्टी की गतिविधियों में लगातार सक्रिय हैं. यहां आपको ये बात जानना भी जरूरी है, कि पति-पत्नी दोनों ने ही उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी की मुहर यशोदा वर्मा के नाम पर लगी.

कोमल जंघेल, भाजपा.

खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने, दो बार के पूर्व विधायक रहे कोमल जंघेल को मैदान में उतारा है. कोमल जंघेल पिछले विधानसभा चुनाव में राजा देवव्रत सिंह से महज 870 वोटों से हार गए थे. उनका क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है. कोमल जंघेल का लोधी समाज में भी अच्छा खासा प्रभाव है. इसी गणित को ध्यान में रखते हुए, एक बार फिर भाजपा ने उन्हीं पर भरोसा जताया है.

नरेंद्र सोनी, जनता कांग्रेस.

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने वकील नरेंद्र सोनी को प्रत्याशी बनाया है। 40 वर्षीय नरेंद्र सोनी छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े हुए हैं. महाविद्यालय में अध्यक्ष भी रह चुके हैं. नरेंद्र ने एलएलबी की पढा ई की है। पिछले सात महिनों से वे खैरागढ़ को जिला बनाने के लिए क्रमिक भूख हड़ताल और आंदोलन की अगुवाई भी कर रहे हैं. हालांकि नरेंद्र सोनी किसी पार्टी से नहीं जुड़े थे. लेकिन राजपरिवार से जुड़े होने के वजह से उन्हें जनता कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. दरअसल नरेंद्र सोनी, स्वर्गीय देवव्रत सिंह के बहनोई और उनकी छोटी बहन आकांक्षा सिंह के पति हैं.

अब बात अगर समीकरणों की करें, तो यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है. वैसे भी खैरागढ़ विधानसभा में लोधी समाज की संख्या ज्यादा है. इस वजह से कांग्रेस और बीजेपी ने लोधी समाज का वोट बटोरने के लिए लोधी क्षत्रिय और लोधी कुर्मी समाज के उम्मीदवारों को दोनों ही पार्टियों ने मैदान में उतारा है.

लेकिन छत्तीसगढ़ के उपचुनावों में हमेशा सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को ही फायदा मिला है. इससे पहले हुए दंतेवाड़ा उप चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिला था. जब भाजपा सत्ता में थी तब संजारी बालोद में हुए उप चुनाव में भाजपा को फायदा मिला था. 

लेकिन कोमल जंघेल का चुनावी अनुभव यहां कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकता है. लिहाजा यहां कहा जा सकता है कि मुकाबला कड़ा होगा. लेकिन फिर भी कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखता है. वैसे आपको क्या लगता है. इस उपचुनाव में कौन जीतेगा. कांग्रेस या फिर भाजपा. नीचे कमेंट कर जरूर अपनी राय रखें.

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