युक्तियुक्तकरण नीति का असर: एक शिक्षक ने बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर, अब गूंजती हैं बच्चों की किलकारियां

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रारंभ की गई शैक्षणिक युक्तियुक्तकरण नीति अब सुदूर ग्रामीण अंचलों में भी सकारात्मक बदलाव ला रही है। दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड के ग्राम तुमाखुर्द स्थित प्राथमिक शाला इसका उदाहरण बन गई है। एक समय था जब इस स्कूल में केवल एक शिक्षक के भरोसे पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं संचालित होती थीं। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई बाधित होती थी और उपस्थिति लगातार घट रही थी।
लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण के तहत एक और शिक्षक की पदस्थापना ने स्कूल की पूरी तस्वीर बदल दी है। अब यहां नियमित पढ़ाई हो रही है, बच्चों को खेल-कविता और कहानी के माध्यम से रुचिकर ढंग से शिक्षा दी जा रही है। स्कूल की छात्रा खुशबू बताती है कि अब स्कूल आना अच्छा लगता है क्योंकि शिक्षक उन्हें प्यार से पढ़ाते हैं और ढेर सारे खेल भी सिखाते हैं।
विद्यालय की उपस्थिति पहुँची 100 फीसदी पर
शिक्षक की मौजूदगी और बच्चों में बढ़ी रुचि ने उपस्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। अब स्कूल में रोज़ाना सभी बच्चे उपस्थित रहते हैं। पहले जहां विद्यालय वीरान सा लगता था, अब वहाँ बच्चों की हँसी और सीखने की चहल-पहल गूंजती है।
अभिभावकों में लौटा भरोसा
इस बदलाव ने न सिर्फ स्कूल बल्कि गांव के अभिभावकों में भी शिक्षा व्यवस्था के प्रति विश्वास बहाल किया है। वे अब निश्चिंत हैं कि उनके बच्चे गुणवत्तापूर्ण और नियमित शिक्षा पा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की नीति बनी ग्रामीण शिक्षा की रीढ़
शिक्षकों के पुनः समायोजन की इस नीति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार शिक्षा के अंतिम छोर तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए संकल्पित है। खुशबू जैसी नन्हीं बच्चियों की मुस्कान इस बदलाव की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जो यह बताती है कि अब शिक्षा हर गांव, हर बच्चे तक पहुँच रही है।