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टैरिफ विवाद: ट्रंप ने भारत पर बोला हमला, लेकिन अमेरिका के पूर्व सुरक्षा सलाहकारों ने खिंची सुध!

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के मामले में सफाई देते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते पूरी तरह से एकतरफा और ‘आपदा’ जैसी स्थिति में हैं। ट्रंप ने ट्विटर की जगह अपने पुराने प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि भारत हमें भारी मात्रा में सामान बेचता है, जबकि अमेरिका को भारत में सामान बेचने में मुश्किल हो रही है। उनका कहना था कि भारत के टैरिफ इतने ऊंचे हैं कि किसी और देश से ज्यादा हैं।

लेकिन ये सफाई ऐसे वक्त पर आई है जब…

चीन के SCO शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी, चीन के शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती ने ट्रंप को बौखलाया हुआ दिखा। अमेरिका ने पिछले महीने भारत पर रूस से तेल खरीदने पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था, ताकि भारत और रूस के बीच रिश्ते कमजोर हों, लेकिन इसका उल्टा असर हुआ।

पूर्व NSA का निशाना: ट्रंप की नीतियाँ हुईं फेल

ट्रंप की इस टैरिफ नीति को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और जेक सुलिवन ने भी कड़ा रुख अपनाया है। बोल्टन ने कहा कि इस नीति से भारत को रूस से दूर करने के प्रयास ध्वस्त हो गए और चीन को एशिया में प्रभाव बढ़ाने का मौका मिला। वहीं, जेक सुलिवन ने कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ अपने फैमिली बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ संबंधों को दरकिनार किया, जो अमेरिका के लिए ‘बड़ा रणनीतिक नुकसान’ है।

अमेरिकी दूतावास का संदेश: दोस्ती है 21वीं सदी की पहचान

इसी बीच, अमेरिकी दूतावास ने नरम लहजे में कहा कि भारत-अमेरिका की दोस्ती 21वीं सदी की ‘परिभाषित साझेदारी’ है। दूतावास ने जोर दिया कि दोनों देशों के बीच यह दोस्ती लगातार मजबूत हो रही है, जो आर्थिक और रणनीतिक दोनों मोर्चों पर फायदेमंद है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस दोस्ती को ‘आधार’ बताते हुए आर्थिक संभावनाओं पर भरोसा जताया।

तो, साफ है कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने अमेरिका की भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को चुनौती दी है, जबकि अमेरिका के अंदर ही कुछ बड़े सुर यह नीति का विरोध कर रहे हैं। और भारत-रूस-चीन के बढ़ते गठजोड़ के बीच अमेरिका की चुनौती भी बढ़ती दिख रही है।

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