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1. केंद्र सरकार ने माना, आर्थिक विकास दर में आई गिरावट
नई दिल्ली , सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में आर्थिक विकास दर में गिरावट की बात मानी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में बताया कि पिछले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.1 फीसद रही। इससे एक साल पहले यह आठ फीसद थी। वित्त मंत्री ने ग्लोबल अर्थव्यवस्था, उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में नरमी को गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया। वित्त मंत्री ने कहा कि किसी देश की विकास दर विभिन्न वित्तीय एवं मौद्रिक स्थितियों पर निर्भर करती है। इसमें संरचनात्मक और विदेशी कारकों का भी योगदान रहता है। 2016 में ग्लोबल अर्थव्यवस्था कमजोर रही, जिसका असर भारत पर भी पड़ा। इसके अलावा कंपनियों की कमजोर बैलेंस शीट और उद्योग जगत की सुस्ती ने विकास दर को प्रभावित किया। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के ताजा आंकड़ों में 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के दौरान क्रमश: 7.5 फीसद, 8.0 फीसद और 7.1 फीसद विकास दर रहने की जानकारी दी गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाहियों में विकास दर क्रमश: 5.7 फीसद और 6.3 फीसद रही। वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विपक्ष की टिप्पणियों को अनुचित ठहराया है। उन्होंने कहा कि भारत पिछले तीन साल से लगातार दुनिया की सबसे तेज बढऩे वाली अर्थव्यवस्था रहा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और वल्र्ड बैंक के मुताबिक 2017 में भी हम दूसरे स्थान पर रहे। आर्थिक विकास को गति देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इनमें विनिर्माण, परिवहन और ऊर्जा जैसे विभिन्न सेक्टर में की गई पहल शामिल हैं।
2. जीएसटी रिर्टन दाखिल करने की डेडलाइन, नई तारीख 10 जनवरी
नई दिल्ली , सरकार ने फाइनल सेल्स रिटर्न जीएसटीआर-1 की फाइलिंग डेडलाइन को बढ़ाकर 10 जनवरी 2018 कर दिया है। वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत इस डेडलाइन में 10 दिन का इजाफा किया गया है। ऐसे में यह खबर उन कारोबारियों के लिए बड़ी राहत देने वाली है जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ तक का है। इन कारोबारियों को पहले जुलाई से सितंबर महीने के लिए 31 दिसंबर 2017 तक जीएसटीआर-1 फाइल करना था। इसके अलावा जिन कारोबारियों का टर्नओवर 1.5 करोड़ से ज्यादा का है उन्हें जुलाई से नवंबर अवधि के लिए जीएसटीआर-1 10 जनवरी तक फाइल करना होगा। इससे पहले ऐसे व्यवसायों को जुलाई से अक्टूबर अवधि के लिए 31 दिसंबर तक जीएसटीआर-1 फाइल करना था और नवंबर अवधि के लिए यह डेडलाइन 10 जनवरी निर्धारित की गई थी। दिसंबर महीने के लिए जीएसटीआर-1 10 फरवरी को फाइल करना होगा और बाद के महीनों के लिए इसे हर महीने की 10 तारीख को फाइल करना निर्धारित किया गया था। जीएसटी काउंसिल ने नवंबर महीनों में ऐसे कारोबारियों को तिमाही आधार पर जीएसआर -1 फाइल करने की अनुमति दी थी जिनका कुल कारोबार 1.5 करोड़ रुपये तक का है। ऐसे में 1.5 करोड़ तक के कारोबार वाले व्यवसायों को अक्टूबर-दिसंबर अवधि के लिए 15 फरवरी को और जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान 30 अप्रैल को जीएसटीआर-1 फाइल करना होगा।
3. यूजर्स को फ्री में ऐमजॉन प्राइम विडियो की सुविधा देगा एयरटेल
नई दिल्ली , टेलिकॉम मार्केट में जियो की प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एयरटेल कई नए ऑफर्स और सर्विसेज ला चुका है। इसी को आगे बढ़ाते हुए एयरटेल अब ऐमजॉन से समझौता करने जा रहा है। इस समझौते के तहत एयरटेल यूजर्स ऐमजॉन प्राइम विडियो एयरटेल टीवी ऐप पर देख पाएंगे। एयरटेल की इस सर्विस का लाभ कंपनी के पोस्टपेड यूजर्स मिलेगा। इसके लिए एयरटेल ग्राहकों से कोई एक्सट्रा चार्ज नहीं वसूलेगा। मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, ‘एयरटेल कंटेट प्ले के लिए ऐमजॉन के साथ समझौता करने जा रहा है। प्राइम विडियो के लिए बीटा टेस्टिंग का काम जारी है।’ हालांकि एयरटेल यूजर्स को यह सुविधा कब से मिलनी शुरू हो जाएगी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। इस समझौते की जानकारी रखने वाले शख्स का कहना है कि एयरटेल इसी तरह के फास्टफिल्म्स जैसे अन्य कॉन्टेंट प्रवाइडर्स से भी संपर्क में है। सू्त्रों के अनुसार एयरटेल शुरुआती ऑफर के तहत इन्फिनिटी प्लान वाले पोस्टपेड कस्टमर्स को 12 महीने का ऐमजॉन प्राइम विडियो सब्सक्रिप्शन फ्री में देगा। ऐमजॉन अभी विडियो के अलावा शॉपिंग आदि के लिए प्राइम की मेंबरशिप 999 रुपये में 1 साल के लिए उपलब्ध करवाता है। पहले ऐमजॉन प्राइम मेंबरशिप केवल 499 रुपये में ही 1 साल के लिए देता था। मामले के बारे में पूछे जाने पर ऐमजॉन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘अभी इस मामले में मैं कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हूं। जब हम तैयार होंगे तो आपके साथ जानकारी साझा की जाएगी।’ इकनॉमिक टाइम्स द्वारा इस बारे में संपर्क किए जाने पर खबर लिखे जाने तक एयरटेल की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। एयरटेल टीवी जून 2018 तक एयरटेल के सभी प्रीपेड और पोस्टपेड कस्टमर्स के लिए फ्री में उपलब्ध है। जियो को टक्कर देने के लिए कंपनी कई मोर्चों पर काम कर रही है। हाल ही में एयरटेल ने कई अन्य प्लैटफॉम्र्स के साथ भी कॉन्टेंट प्ले के लिए समझौता किया है। आपको बता दें कि वोडाफोन समेत अन्य कंपनियां भी अपने ग्राहकों को कुछ इसी तरह की सुविधा दे रहीं हैं।
4. मेक इन इंडिया : देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन पहली बार आयात से अधिक
नई दिल्ली, मेक इन इंडिया के मोर्चे पर सरकार के लिए बड़ी राहत की खबर है। वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान देश में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स का उत्पादन पहली बार आयात से आगे निकल गया। तेल के बाद देश का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स के आयात पर ही खर्च किया जाता है। यह एक अच्छी खबर है. एक सही और ईमानदार सोच के साथ आगे बढ़ा जाये तो नतीजा देर-सवेर देखने को मिल ही जाता है. आधिकारिक सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 2016-17 में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन 49.5 अरब डॉलर का हुआ, जोकि आयात पर खर्च 43 अरब डॉलर से अधिक है। सरकार ने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। खासतौर पर स्मार्टफोन, अप्लायंसेज, सेट-टॉप बॉक्स और टेलिविजन आदि के उत्पादन पर जोर दिया गया है। इस क्षेत्र में आयात का बड़ा हिस्सा पड़ोसी देश चीन से आता है और भारत वित्तीय प्रोत्साहन और दूसरे कदमों से इसका मुकाबला करना चाहता है। हाल ही में कई प्रॉडक्ट्स के आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है। मोबाइल फोन, सेट-टॉप बॉक्स, माइक्रोवेव ओवन्स और एलईडी लैंप्स जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि की गई है।
5. आईटी के लिए आसान नहीं बिटकॉइन के निवशकों से टैक्स वसूली
मुंबई , बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरंसी रखने वाले 5 लाख अति धनाढ्य लोगों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेज चुका है, लेकिन तकनीक आधारित इस करंसी के निवेशकों पर शिकंजा कसना आसान नहीं है। नोटिस मिलने के बाद अधिकतर निवेशक जवाब भेजने की तैयारी में हैं और उनका कहना है कि उनपर कोई टैक्स बकाया नहीं है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए यह पता लगाना भी मुश्किल है कि किसी अमीर निवेशक के पास वास्तव में बिटकॉइन या इससे प्राप्त आय है या नहीं। डिपार्टमेंट को बिटकॉइन पर पूंजी लाभ टैक्स की गणना के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि निवेशक जटिल कूट-योजनाओं का इस्तेमाल करते हैं। कुछ यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने कभी कोई क्रिप्टोकरंसी नहीं खरीदी या कुछ साल पहले उनका किसी ने अकाउंट हैक कर लिया होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आमदनी के स्रोत की जांच कर रहा है और पता लगा रहा है कि बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरंसी में मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए तो निवेश नहीं किया गया? उन्होंने आगे कहा, बिटकॉइन अवैध नहीं है और इस पर इनकम टैक्स लागू होता है, लेकिन यदि निवेश किया गया पैसा अवैध है तो प्रवर्तन निदेशालय या अन्य एजेंसियां इस जांच को अपने हाथ में ले सकती हैं।
जिन लोगों को नोटिस मिला है वे अथॉरिटीज के लिए अपना जवाब तैयार करने में जुटे हैं। बेंगलुरु के एक 37 वर्षीय एग्जिक्युटिव, जोकि बिटकॉइन निवेशक भी हैं, अपने बचाव में उनका तर्क है कि उन्हें बिटकॉइन से कोई आमदनी नहीं हुई, क्योंकि उन्होंने सालों पहले इसे बेच दिया था। सूरत के व्यापारी, जिन्हें इनकम टैक्स नोटिस मिला है, रेवेन्यू अथॉरिटीज को यह बताने की सोच रहे हैं कि उनका अकाउंट हैक हो गया था और उनके पास कोई बिटकॉइन नहीं है।
बिटकॉइन और क्रिप्टोकरंसी को लेकर हैकिंग के दावे सच हैं या नहीं, यह पता लगाने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट विशेषज्ञों से मदद लेने की तैयारी में है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक बिटकॉइन वॉलिट को हैक करना लगभग असंभव है।
महाराष्ट्र पुलिस के आईजी (साइबर) ब्रृजेश सिंह ने कहा, वास्तव में किसी का वॉलिट के जरिए किसी के बिटकॉइन को हैक करना या चुराना असंभव है, क्योंकि यह डेटा इन्क्रिप्टेड होता है। बहुत से अपराधी भी बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इनके ट्रांजैक्शन के बारे में पता लगाना लगभग असंभव है।
जानकारों का कहना है कि नोटिस प्राप्त करने वाले अधिकतर लोग डायमंड, टेक्सटाइल और कमोडिटी ट्रेडर्स हैं। एक टैक्स अधिकारी ने कहा, इस बात का शक है कि अर्थव्यवस्था में कैश को नियंत्रित किए जाने के बाद बहुत से लोग क्रिप्टोकरंसी में ट्रेड कर रहे हैं। इनमें से कई लोगों के बिटकॉइन उनके नाम पर नहीं हैं।
डीएसके लीगल के पार्टनर तुषार अजिंक्य कहते हैं,बहुत से बिटकॉइन निवेशक तकनीकी जानकार नहीं हैं, लेकिन ऐसे मार्केट ऑपरेटर्स सामने आ चुके हैं है जो कि क्रिप्टो करंसी के अलग-अलग प्रॉडक्ट्स में निवेशकों की ट्रेडिंग को मैनेज करते हैं। बिटकॉइन को ट्रैक करना लगभग असंभव है, क्योंकि कई प्लेटफॉर्म पर इसकी दैनिक आधार पर ट्रेडिंग होती है।
6. जियो से टक्कर, यूजर्स को फ्री में ऐमजॉन प्राइम विडियो की सुविधा देगा एयरटेल
नई दिल्ली , टेलिकॉम मार्केट में जियो की प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एयरटेल कई नए ऑफर्स और सर्विसेज ला चुका है। इसी को आगे बढ़ाते हुए एयरटेल अब ऐमजॉन से समझौता करने जा रहा है। इस समझौते के तहत एयरटेल यूजर्स ऐमजॉन प्राइम विडियो एयरटेल टीवी ऐप पर देख पाएंगे। एयरटेल की इस सर्विस का लाभ कंपनी के पोस्टपेड यूजर्स मिलेगा। इसके लिए एयरटेल ग्राहकों से कोई एक्सट्रा चार्ज नहीं वसूलेगा।
मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, एयरटेल कंटेट प्ले के लिए ऐमजॉन के साथ समझौता करने जा रहा है। प्राइम विडियो के लिए बीटा टेस्टिंग का काम जारी है। हालांकि एयरटेल यूजर्स को यह सुविधा कब से मिलनी शुरू हो जाएगी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। इस समझौते की जानकारी रखने वाले शख्स का कहना है कि एयरटेल इसी तरह के फास्टफिल्म्स जैसे अन्य कॉन्टेंट प्रवाइडर्स से भी संपर्क में है।
सू्त्रों के अनुसार एयरटेल शुरुआती ऑफर के तहत इन्फिनिटी प्लान वाले पोस्टपेड कस्टमर्स को 12 महीने का ऐमजॉन प्राइम विडियो सब्सक्रिप्शन फ्री में देगा। ऐमजॉन अभी विडियो के अलावा शॉपिंग आदि के लिए प्राइम की मेंबरशिप 999 रुपये में 1 साल के लिए उपलब्ध करवाता है। पहले ऐमजॉन प्राइम मेंबरशिप केवल 499 रुपये में ही 1 साल के लिए देता था। मामले के बारे में पूछे जाने पर ऐमजॉन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, अभी इस मामले में मैं कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हूं। जब हम तैयार होंगे तो आपके साथ जानकारी साझा की जाएगी।
एयरटेल टीवी जून 2018 तक एयरटेल के सभी प्रीपेड और पोस्टपेड कस्टमर्स के लिए फ्री में उपलब्ध है। जियो को टक्कर देने के लिए कंपनी कई मोर्चों पर काम कर रही है। हाल ही में एयरटेल ने कई अन्य प्लैटफॉर्म्स के साथ भी कॉन्टेंट प्ले के लिए समझौता किया है। आपको बता दें कि वोडाफोन समेत अन्य कंपनियां भी अपने ग्राहकों को कुछ इसी तरह की सुविधा दे रहीं हैं।
7. मेक इन इंडिया के मोर्चे पर मिली बड़ी कामयाबी
नई दिल्ली , मेक इन इंडिया के मोर्चे पर सरकार के लिए बड़ी राहत की खबर है। वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान देश में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स का उत्पादन पहली बार आयात से आगे निकल गया। तेल के बाद देश का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स के आयात पर ही खर्च किया जाता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 2016-17 में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन 49.5 अरब डॉलर का हुआ, जोकि आयात पर खर्च 43 अरब डॉलर से अधिक है। सरकार ने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। खासतौर पर स्मार्टफोन, अप्लायंसेज, सेट-टॉप बॉक्स और टेलिविजन आदि के उत्पादन पर जोर दिया गया है।
इस क्षेत्र में आयात का बड़ा हिस्सा पड़ोसी देश चीन से आता है और भारत वित्तीय प्रोत्साहन और दूसरे कदमों से इसका मुकाबला करना चाहता है। हाल ही में कई प्रॉडक्ट्स के आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है। मोबाइल फोन, सेट-टॉप बॉक्स, माइक्रोवेव ओवन्स और एलईडी लैंप्स जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि की गई है।
कई यूनिट्स को मोडिफाइड स्पेशल इंसेंटिव पैकेज स्कीम और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर प्रोग्राम का फायदा मिला है।
पिछले तीन वित्त वर्षों से स्थानीय उत्पादन में वृद्धि दर्ज की जा रही है, जबकि आयात में कमी हो रही है। 2015-16 में स्थानीय उत्पादन 37.4 अरब डॉलर था, जबकि आयात 41 अरब डॉलर का हुआ। 2014-15 में 30 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का उत्पादन देश में हुआ और 37.5 अरब मूल्या का आयात विदेशों से हुआ था।
सरकार डिजिटल कार्यक्रम में तेजी लाने पर जोर दे रही है और 2022 तक डिजिटल इकॉनमी का टर्नओवर 1 ट्रिल्यन डॉलर करने का लक्ष्य है। इस टारगेट को पूरा करने में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बड़े हिस्सेदार के रूप में देखा जा रहा है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के टॉप सीईओएस से दो बार बैठक कर चुके हैं। प्रसाद ने कहा, मोदी सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में तेजी आई है। हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले सालों में यह गति बरकरार रहेगी। मेक इन इंडिया के तहत हम नाम केवल घरेलू आवश्यकता की पूर्ति करना चाहते हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में निर्यात भी करना चाहते हैं।
8. डिजिटल वॉलिट कंपनियों को केवाईसी के लिए मिले 2 महीने एक्सट्रा
नई दिल्ली , आरबीआई ने डिजिटल वॉलिट (ई-वॉलिट) और प्रीपेड इन्सट्रूमेंट यूजर्स के केवाईसी वेरिफेकेशन की मियाद 2 महीने बढ़ा दी है। अब डिजिटल वॉलिट प्रवाइडर कंपनियां फरवरी के अंत तक अपने यूजर्स का केवाईसी वेरिफकेशन कर सकती हैं। इससे पहले अक्टूबर में आरबीआई ने 31 दिसंबर 2017 तक मिनिमम यूजर्स का केवाईसी वेरिफिकेशन पूरा करने का आदेश दिया था। सूत्रों के अनुसार ,ई-वॉलिट यूजर्स की भारी संख्या को देखते हुए इस डेडलाइन का पालन करने में कंपनियों को मुश्किल हो रही थी।
आरबीआई के इस फैसले से कंपनियों को राहत मिली है। देश के सबसे बड़े ई-वॉलिट सर्विस प्रवाइडर पेटीएम के केवल ऐंड्रॉइड पर ही लगभग 10 करोड़ यूजर्स हैं। पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा का कहना है कि पेटीएम के 5.2 करोड़ यूजर्स की केवाईसी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब पेटीएम ओटीपी बेस्ड केवाईसी लाने पर विचार कर रहा है। कंपनी का मानना है कि इससे तय समय में केवाईसी के टारगेट को पूरा करने में मदद मिलेगी।
केवाईसी टारगेट को पूरा करने में आ रही दिक्कतों के मद्देनजर पेंमेट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरबीआई से केवाईसी वेरिफिकेशन की डेडलाइन बढ़ाने की मांग की थी। पमेंट्स काउंसिल का मानना था वेरिफिकेशन की डेडलाइन अगर नहीं बढ़ाई गई तो यूजर्स के अकाउंट फ्रीज होने का खतरा था, इससे लोगों की बेवजह परेशानी सामना करना पड़ेगा। आपको बता दें कि देश में अभी पेटीएम के अलावा मेबिक्विक, जियो,ओला जैसी कई कंपनियों के ई-वॉलिट्स यूजर्स के लिए उपल्ब्ध हैं।
9. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए खुशहाल बनेंगे किसान
नई दिल्ली , ऐग्रिकल्चर सेक्टर में कीमतों से जुड़ा जोखिम कम करने के लिए सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर नए मॉडल ऐक्ट का ड्राफ्ट पेश किया है। कंपनियों का कहना है कि राज्यों के इस ऐक्ट को लागू करने के बाद किसानों के हितों की रक्षा होगी, फूड प्रोसेसिंग सेक्टर की ग्रोथ बढ़ेगी और ऐग्रिकल्चर सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नॉलजी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए उनका भरोसा बढ़ेगा।
केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ 2017-18 के बजट में घोषणा की थी कि किसानों को ऐग्रो इंडस्ट्रीज के साथ जोडक़र उनकी फसल के लिए बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ऐक्ट बनाया जाएगा। अब सरकार ने इस ऐक्ट के ड्राफ्ट पर अपनी राय देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और वैल्यू चेन से जुड़ी कंपनियों, किसानों के संगठनों और किसानों को 6 जनवरी तक का समय दिया है। जैन इरिगेशन सिस्टम्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल जैन ने बताया, इस ऐक्ट से छोटे किसानों के हित की सुरक्षा के साथ ही मंडियों के बिना इंडस्ट्री को रॉ मटीरियल की बेहतर सप्लाइ को सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि, सभी स्टेकहोल्डर्स की सुरक्षा और लालफीताशाही से बचने को पक्का करने के लिए ड्राफ्ट ऐक्ट की कुछ शर्तों को ध्यान से पढऩे की जरूरत है। उनका कहना था कि इस तरह के कॉन्ट्रैक्ट में विवाद निपटाने की प्रक्रिया व्यावहारिक और जल्द होनी चाहिए।
फील्डफ्रेश फूड्स के सीईओ योगेश बेलानी ने कहा, देश की 58 पर्सेंट जनसंख्या के लिए ऐग्रिकल्चर आमदनी का प्रमुख जरिया है और इस वजह से कृषि उत्पादन में निवेश बढऩे से देश के किसानों को काफी फायदा होगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर ऐक्ट बनने से प्राइवेट सेक्टर को कृषि में निवेश करने और टेक्नॉलजी के अधिक इस्तेमाल के लिए कदम उठाने का प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में इन्वेस्टमेंट से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को बहुत कम किया जा सकेगा और इससे रोजगार में भी वृद्धि होगी। ऐग्रिकल्चर मिनिस्ट्री के अनुसार, देश में लगभग 12 करोड़ कृषि परिवारों में से 86 पर्सेंट से अधिक छोटे (खेती की 2 हेक्टेयर या इससे कम जमीन) और सीमांत (खेती की 1 हेक्टेयर या इससे कम जमीन) किसान हैं।
देश में जमीन का औसत मालिकाना हक 1.1 हेक्टेयर है आईएलटी फूड्स के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर अश्विनी अरोड़ा के मुताबिक, इससे खेती अधिक संगठित बनेगी और किसानों को बीजों, फर्टिलाइजर और अन्य संबंधित चीजों के बारे में बेहतर फैसले करने में मदद मिलेगी। इससे फसल की क्वॉलिटी और मात्रा में सुधार होगा। इंडस्ट्री के संगठन फिक्की की ऐग्रिकल्चर डिविजन के प्रमुख जसमीत सिंह ने कहा कि देश में गन्ने, बागवानी की फसलों, आलू और कुछ अन्य फसलों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जा रही है और इस वजह से किसानों को मार्केट के उतार-चढ़ाव की मुश्किलों से बचाना जरूरी है।
10. ई-वे बिल्स से बढ़ेगा जीएसटी रेवेन्यू
नई दिल्ली ,सरकार को उम्मीद है कि इलेक्ट्रॉनिक (ई-वे) बिल्स की शुरुआत के बाद गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन में 20-25 फीसदी की वृद्धि होगी। इससे माल के आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी और रेवेन्यू लीकेज को रोका जा सकेगा।
टैक्स अधिकारी मानते हैं कि कुछ जीएसटी लागू होने के बाद से कुछ उद्योग टैक्स नहीं चुका रहे हैं, क्योंकि जीएसटी के तहत आंशिक चोरी असंभव है, या तो आप 0 टैक्स देते हैं या फिर 100 फीसदी। ई-वे बिल वह तरीका है जिससे ऐसे लोगों को सिस्टम में लाया जा सकेगा। जिन राज्यों ने वीएटी के लिए ई-वे बिल्स को लागू किया था उनके सालाना कलेक्शन में 20-25 फीसदी की वृद्धि हुई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमें राष्ट्रीय तौर पर ऐसी ही उम्मीद जीएसटी को लेकर भी है।
17 राज्यों में पहले से ही किसी ना किसी रूप में ई-वे बिल्स मौजूद है, जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई पूर्वी राज्य शामिल हैं, लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित 14 राज्य ऐसे हैं जो फरवरी में नए सिस्टम को अपनाएंगे। कुछ राज्यों के पास राज्य के भीतर और बाहर माल के मूवमेंट पर नजर रखने का सिस्टम मौजूद है। ई-वे बिल्स को जुलाई में जीएसटी की शुरुआत से ही लागू किया जाना था, लेकिन सरकार ने सिस्टम तैयार होने तक इसे टाल दिया था।
1 फरवरी से अनिवार्य
राष्ट्रीय ई-वे बिल्स 1 जनवरी तक तैयार हो जाएगा, कंपनियां 15 जनवरी से इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग टूल प्राप्त कर सकती हैं और 1 फरवरी से यह अनिवार्य होगा। अंतर्राज्यीय बिल्स को जून से अनिवार्य किया जाएगा। यह अलग-अलग राज्यों के ई-वे बिल्स के अंतर को दूर करेगा।
कर्नाटक में ट्रायल
इस समय इसका कर्नाटक में ट्रायल चल रहा है और अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम ठीक से काम करा है। राज्य में प्रतिदिन 1.1 लाख ई-वे बिल्स तैयार हो रहे हैं। पूरे देश में लागू होने के बाद सरकार को उम्मीद है कि प्रतिदिन 40 लाख ई-वे बिल्स जेनरेट होंगे। इसमें से 15-16 लाख यानी करीब 40 फीसदी अंतरराज्यीय होंगे।
अधिकारी ने बताया कि करीब 50 फीसदी माल, जिनसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तैयार होता है, को छूट होगी और 50,000 और इससे अधिक मूल्य के सामानों के लिए ही ई-वे बिल की जरूरत है। गैर मोटर चालित वाहनों से सामानों की आवाजाही होने पर भी इसकी जरूरत नहीं होगी।
क्या है ई-वे बिल?
यह एक टोकन है, जो माल की आवाजाही के नियमन के लिए ऑनलाइन जेनरेट किया जा सकता है। यह देशभर में वैलिड होगा।
कैसे जेनरेट करते हैं इसे?
-कोई भी आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता, ट्रांसपोर्टर इसे जेनरेट कर सकते हैं।
-ट्रैकिंग के लिए यूनीक ई-वे बिल नंबर और क्यूआर कोड जेनरेट होगा।
– एसएमएय आधारित सुविधा भी उपलब्ध है।
कैसे काम करेगा?
-पूरी यात्रा के दौरान केवल एक बार वेरीफिकेशन होगा।
-जांच और वेरीफिकेशन की ऑनलाइन रिपोर्टिंग होगी।
-30 मिनट से अधिक समय तक मालवाहन के रोके जाने पर ट्रांसपोर्ट्र की इसकी जानकारी अपलोड कर सकते हैं।
किस पर छूट?
-50 हजार रुपये से कम मूल्य के सामान।
-अंतरराष्ट्रीय पोर्ट से आंतरिक क्षेत्र में लाए जा रहे सामान।
-केंद्र-राज्य द्वार निर्धारित विशेष क्षेत्र में अंतर्राज्यीय आवाजाही।
फायदा
-चेक पोस्ट पर वेटिंग टाइम में कमी
-पूरी तरह ऑनलाइन प्रोसेस
-भ्रष्टाचार के लिए कोई मौका नहीं।
10. 2017 में निवेशकों की संपत्ति 45.50 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
नई दिल्ली , साल 2017 शेयर बाजार निवेशकों के लिये काफी अच्छा साबित हुआ। साल के दौरान बंबई शेयर बाजार (बीएसई) के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में जहां 28 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज की गई वहीं इस दौरान निवेशकों की संपत्ति 45.50 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। इस साल बीएसई का सेंसेक्स 7,430.37 अंक चढ़ा। यानी इसमें 27.91 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
बीएसई में लिस्टेड 30 प्रमुख कंपनियों के शेयर मूल्य पर आधारित सेंसेक्स 27 दिसंबर को कारोबार के दौरान 34,137.97 अंक के अब तक के सर्वोच्च स्तर को छू गया। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 45,50,867 करोड़ रुपये बढक़र 1,51,73,867 करोड़ रुपये यानी 2,300 अरब डॉलर हो गया।
2017 के अंतिम कार्यदिवस को सेंसेक्स 208.80 अंक यानी 0.62 प्रतिशत की जोरदार बढ़त के साथ 34,056.83 अंक पर बंद हुआ। ऐंजल ब्रोकिंग के तकनीकी और डेरिवेटिव्ज के मुख्य विश्लेषक समीत च्व्हाण ने कहा, वर्ष 2017 का अंतिम कार्यदिवस सकारात्मक रुख के साथ समाप्त हुआ। इसके साथ ही वर्ष के समाप्ति पर बाजार रेकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के लिए यह साल महत्वपूर्ण रहा, यहां तक कि यह भी कहा जा सकता है कि वैश्विक बाजारों के लिये यह वर्ष उल्लेखनीय रहा।
इस साल कई कंपनियां पूंजी बाजार में उतरी। कुल मिलाकर 36 कंपनियों के प्रारंम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार में आए और उन्हें निवेशकों का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ। वर्ष की समाप्ति पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) सबसे मूल्यवान कंपनी रही। इसके शेयरों का बाजार पूंजीकरण 5,83,347.34 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस: 5,16,934.22 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। तीसरे स्थान पर एचडीएफसी बैंक रहा। इसका बाजार पूंजीकरण 4,85,272.61 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद आईटीसी रहा जिसका बाजार पूंजीकरण 3,20,730.92 करोड़ रुपये रहा। पांचवें स्थान पर हिन्दुस्तान यूनिलिवर रहा जिसका बाजार पूंजीकरण 2,96,122.31 करोड़ रुपये रहा।
11. मिनिमम बैलेंस के नाम पर ऐसे ठग रहे बैंक
मुंबई , अधिकतर बैंक रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हुए सेविंग्स अकाउंट्स में न्यूनतम राशि न रखने पर मनमाने चार्जेस लगा रहे हैं। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, पेनल्टी मिनिमम बैलेंस से जितनी राशि कम है उसके अनुरूप लगनी चाहिए लेकिन अधिकतर बैंक कस्टमर्स पर मनमानी पेनल्टी लगा रहे हैं।
यह भी पाया गया है कि बैंक आरबीआई के निर्देशों को न मानते हुए अधिकतर बैंक उचित पेनल्टी नहीं लगा रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे में गणित विभाग के प्रफेसर आशीष दास द्वारा की गई स्टडी दिखाती है कि अधिकतर बैंक मिनिमम बैलेंस से कम रहने वाले अमाउंट का औसतन 78 प्रतिशत चार्ज करते हैं। स्टडी के मुताबिक, भले ही मिनिमम बैलेंस पर बैंकों के लिए गाइडलाइंस जारी करने का श्रेय आरबीआई को जाता है लेकिन जारी होने के तीन साल बाद भी इनको लागू नहीं किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने निर्देश दिए हैं कि चार्जेस मिनिमम बैलेंस को पूरा करने में कम हो रही राशि के अनुरूप होने चाहिए और सेविंग्स अकाउंट सर्विस उपलब्ध कराने में आने वाले खर्च से लिंक्ड होने चाहिए लेकिन इस रेग्युलेशन का कमजोर पक्ष भी है। इस रेग्युलेशन का फायदा उठाते हुए बैंक पेनल्टी के कई स्लैब्स बना देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, पेनल्टी के बड़े स्लैब्स और उसके चार्जेस सही नहीं हैं, और आनुपातिक चार्जेस के कॉन्सेप्ट की भी धज्जियां उड़ाते हैं।
हैरान करने वाली बात यह है कि मल्टीनैशनल बैंकों की पेनल्टी पब्लिक सेक्टर बैंकों की पेनल्टी के मुकाबले ज्यादा आनुपातिक है। ऐसा इसलिए भी है कि मल्टिनैशनल बैंक कि मिनिमम बैलेंस जरूरत भी अधिक होती है और वह पूरा न होने पर उन्हें बड़ी पेनल्टी मिलती है। दूसरी तरफ पब्लिक सेक्टर बैंकों में जरूरी मिनिमम बैलेंस अमाउंट कम होता है।
दास ने बताया, बैंक मिनिमम बैलेंस की लिमिट सेट करने को स्वतंत्र हैं हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि पेनल्टी लगाते वक्त वह वर्चुअल मिनिमम बैलेंस तय कर लें और उसके आधार पर जुर्माना लगाएं। उन्होंने कहा, आरबीआई यह कहता है कि मिनिमम बैलेंस पर पेनल्टी लगाते वक्त बैंक सेविंग्स अकाउंट सर्विस पर होने वाले खर्च को भी शामिल करें लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि बैंक अपनी ओवरऑल कॉस्ट या बैड लोन्स की कॉस्ट भी शामिल कर लें।
12. सोने चांदी की तेजी के साथ समाप्त हुआ वर्ष 2017 का आखरी कारोबारी दिन
नयी दिल्ली, दिल्ली सर्राफा बाजार में वर्ष 2017 के आखिरी कारोबारी सत्र में सोने के भाव 175 रुपये की तेजी के साथ 30,400 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गए। यह एक माह का सबसे ंचा भाव है। विदेशों में मजबूती के रुख और स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की लिवाली के जोर से सोने को समर्थन मिला। औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ओर से लिवाली के समर्थन से चांदी 280 रुपये की तेजी के साथ 39,980 रुपये किलो के भाव पर पहुंच गयी। बाजार सूत्रों ने कहा कि नरम डॉलर और राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच विदेशों में सोना 1,302.50 डॉलर प्रति औंस के एक माह के उच्चतम स्तर को छू गया। इसके साथ साथ स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की मांग में तेजी के कारण बहुमूल्य धातुओं को समर्थन मिला।
वर्ष 2017 में सोने में कुल मिला कर 2,100 रुपये अथवा 7.42 प्रतिशत की तेजी आई जबकि चांदी 580 रुपये अथवा 1.47 प्रतिशत मजबूत रही। डॉलर की कमजोरी से महंगी धातुओं में तेजी को बल मिला। वर्ष के दौरान रुपया 31,350 रुपये आठ सितंबर को तथा 28,300 रुपये दो जनवरी प्रति 10 ग्राम के दायरे में रहा।
न्यूयॉर्क में सोना वर्ष के अंत में 13.17 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता 1,302.50 पर बंद हुआ जो पिछले वर्ष 1,150.90 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ था। इसी प्रकार चांदी भी 6.48 प्रतिशत की तेजी के साथ 16.91 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुई जो पिछले वर्ष के अंत में 15.88 डॉलर प्रति औंस पर थी।
दिल्ली में सोना 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत का भाव प्रत्येक 175 – 175 रुपये की तेजी दर्शाता क्रमश: 30,400 रुपये और 30,250 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ। कल के कारोबार में सोने में 25 रुपये की गिरावट आई थी।
हालांकि सीमित सौदों के कारण गिन्नी की कीमत 24,700 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही।
चांदी तैयार का भाव 280 रुपये चढक़र 39,980 रुपये प्रति किलो और चांदी साप्ताहिक डिलीवरी का भाव 430 रुपये बढक़र 39,220 रुपये प्रति किलो बोला गया।
चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 73,000 रुपये और बिकवाल 74,000 रुपये प्रति सैकड़ा पर स्थिर रहे।
13. झाारखंड को इस साल मिले करोड़ों रुपये के निवेश प्रस्ताव
रांची, झारखंड ने इस साल आर्थिक मोर्चे पर कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज करते हुए निवेशकों से तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव हासिल किए। राज्य में सौ से ज्यादा परियोजनाओं की नींव रखी गयी तथा फिल्म नीति लागू करने पर जोर दिया गया।
इस साल झारखंड को तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की प्रतिद्धताएं मिलीं। फरवरी महीने में आयोजित दो दिवसीय मोंमेटम झारखंड विश्व निवेशक सम्मेलन के दौरान इस बारे में 210 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए।
उद्योग, खान व भूविग्यान विभागों को कुल मिलाकर 121 प्रस्ताव मिले। इनमें से ज्यादातर प्रस्ताव खनन क्षेत्र में आए। इसके बाद आईटी व ई गवर्नेस विभाग को 30 प्रस्ताव मिले।
इस दौरान 74 परियोजनाओं की नींव रखी गई। इन परियोजनाओं में 2100 करोड़ रुपये का निवेश आने व 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। ये परियोजनाएं खाद्य प्रसंस्करण, आटोमोबाइल, विनिर्माण्, शिक्षा, हेल्थकेयर व कपड़ा क्षेत्र की हैं।
एक बड़ा आयोजन 20 दिसंबर को बोकारो में हुआ जिसमें 105 कंपनियों के लिए आधारशिला रखी गई। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इससे 3475 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और 17,742 रोजगार सृजित होंगे। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार 2018 19 में 50,000 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। इस साल राज्य में 6500 किलोमीटर से अधिक लंबी सडक़ों का निर्माण किया गया जबकि खाद्य उत्पादन में 32 प्रतिशत की बढोतरी हुई। झाारखंड सरकार ने निर्माण मजदूरों के लिए न्यूनतम दैनिक वेतन को 500 रुपये से बढ़ाकर 700 रुपये कर दिया।
अदाणी समूह को हाल ही में गोड्डा जिले में 175 एकड़ जमीन आवंटित की गई है जिस पर वह 1600 मेगावाट उत्पादन क्षमता का बिजली कारखाना लगाएगा। इस दौरान सरकार राज्य की फिल्म नीति पर जोर दिया और 20 से अधिक फिल्मों के शूटिंग की अर्जियों को मंजूरी दी गई।