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3 महीने पहले हुई शादी, पत्नी गर्भवती… और शहीद हो गया जवान | रामबाबू सिंह की कहानी

जिसकी शादी को सिर्फ तीन महीने हुए थे… जिसकी पत्नी की कोख में नया जीवन पल रहा था… वही जवान आज तिरंगे में लिपटकर अपने गांव लौटा।”
ये कहानी है बिहार के लाल रामबाबू सिंह की—जो देश के लिए शहीद हो गए। एक ऐसा बलिदान, जो आंखें नम कर देगा, और दिल को गर्व से भर देगा।
रामबाबू सिंह की शादी को अभी सिर्फ तीन महीने ही हुए थे। पत्नी गर्भवती हैं, और उनके पेट में एक लाल पल रहा था। लेकिन इसी बीच, पिता और सैनिक रामबाबू सिंह ने जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर दुश्मन की गोलीबारी में अपने प्राण देश पर न्यौछावर कर दिए।

9 मई को पाकिस्तानी सेना ने सीज़फायर का उल्लंघन किया, और अचानक फायरिंग शुरू कर दी। इसी गोलीबारी में रामबाबू सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन मंगलवार सुबह देश ने अपना एक वीर सपूत खो दिया।
जहां एक ओर पत्नी अंजलि माँ बनने की उम्मीदें संजो रही थीं, वहीं दूसरी ओर पूरा परिवार आज रामबाबू के पार्थिव शरीर से लिपटा हुआ है। गांव में सन्नाटा पसरा है… और हर आंख नम है।

गांव वालों ने बताया कि रामबाबू बेहद मिलनसार और बहादुर थे। उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पिता रामविचार सिंह, जो हरिहरपुर पंचायत के पूर्व उपमुखिया रह चुके हैं, बेटे के बलिदान से टूट चुके हैं। चाचा शशिकांत बताते हैं कि कुछ दिन पहले रामबाबू ने फोन पर कहा था—”चाचा, छुट्टी मिल गई है… जल्दी आ रहा हूं घर।” लेकिन किसे पता था कि वो हमेशा के लिए
लौटेंगे… मगर तिरंगे में लिपटकर।

रामबाबू की पत्नी अंजलि सिंह को अभी तक उनके शहीद होने की सूचना नहीं दी गई है, क्योंकि वह गर्भवती हैं और परिजन उनकी तबीयत को लेकर चिंतित हैं।
रामबाबू ने 2018 में आर्मी जॉइन की थी। और इसी साल 24 दिसंबर 2024 को उनकी शादी हुई थी। ड्यूटी पर वे फरवरी के अंत में गए थे और अब मई में शहीद होकर लौटे हैं।

इसी हमले में छपरा के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज भी शहीद हो गए। 12 मई को उनका अंतिम संस्कार नारायणपुर में किया गया। वहां ‘भारत माता की जय’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे गूंजे। एक तरफ गर्भवती पत्नी, दूसरी तरफ सीमा पर ड्यूटी… और बीच में वो लाल जो देश के लिए मिट गया। ये सिर्फ खबर नहीं, बलिदान की गाथा है।

हमारे सैनिक सिर्फ वर्दी नहीं पहनते, वो अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं देश के लिए। ऐसे वीरों की शहादत को सलाम करें। ताकि देश के कोने-कोने तक ये संदेश पहुंचे – हमारे सैनिक अकेले नहीं हैं। जय हिंद।

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