छत्तीसगढ़रायपुर

घोयनबहारा में गूंजे शहनाइयों के सुर, सूरमाल साहू समाज के स्वर्ण जयंती सामूहिक विवाह समारोह में 28 जोड़े बने जीवनसाथी

रायपुर। महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखंड अंतर्गत घोयनबहारा गांव रविवार को सामाजिक एकता, परंपरा और प्रेम का अनूठा संगम बना। यहां सूरमाल साहू समाज द्वारा आयोजित सामूहिक आदर्श विवाह समारोह ने अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में एक नई ऊंचाई को छू लिया। समारोह में समाज के 28 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधे। इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव, जो मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए।

समाज की परंपरा को मिला सम्मान, वरिष्ठ दंपत्तियों को किया गया सम्मानित
इस भव्य आयोजन में उन वरिष्ठ दंपत्तियों को विशेष सम्मान दिया गया जिन्होंने वर्ष 1975 में इस परंपरा की नींव रखी थी। समाज के इन पथप्रदर्शकों को मंच पर सम्मानित कर उनके योगदान को सराहा गया।

उप मुख्यमंत्री ने बांटे आशीर्वाद, की घोषणाएं

श्री अरुण साव ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देते हुए कहा, “यह सामूहिक विवाह न केवल आर्थिक सहयोग का माध्यम है, बल्कि सामाजिक समरसता और सहयोग का जीवंत उदाहरण भी है। समाज की यह 50 वर्षों पुरानी परंपरा प्रेरणादायक है और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।”

इस अवसर पर उन्होंने घोयनबहारा में सामुदायिक शेड निर्माण के लिए 15 लाख रुपये की घोषणा की। साथ ही बागबाहरा-पिथौरा मार्ग पर एक भव्य स्वागत द्वार के निर्माण की भी घोषणा की, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूती देगा।

नेताओं ने सराहा आयोजन, दिया समाज को संदेश

समारोह को संबोधित करते हुए सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी ने इस आयोजन को “एक सामाजिक आंदोलन” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल विवाह का उत्सव नहीं, बल्कि समानता और सहअस्तित्व की भावना का प्रतीक है। विधायक श्री द्वारिकाधीश यादव, तेलघानी बोर्ड के अध्यक्ष श्री जितेंद्र साहू, पूर्व सांसद श्री चुन्नीलाल साहू सहित अन्य गणमान्य जनों ने भी समारोह में शिरकत की और समाज को बधाई दी।

जनसैलाब बना समारोह का गवाह

सूरमाल साहू समाज के संरक्षक श्री नारायण लाल साहू, श्री धरमदास साहू और श्री देवेश साहू सहित समाज के सैकड़ों गणमान्यजन एवं ग्रामीणों की उपस्थिति ने समारोह को ऐतिहासिक बना दिया। पारंपरिक गीत-संगीत और रीति-रिवाजों के बीच यह आयोजन जनसहभागिता और सामाजिक चेतना का प्रतीक बनकर उभरा।

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