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मंत्री रामविचार नेताम का सख्त संदेश: “आश्रमों में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं, बच्चों की सुरक्षा और विकास सर्वोपरि”

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के आदिवासी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं कृषि विकास मंत्री रामविचार नेताम ने आज दंतेवाड़ा जिला कार्यालय में दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा ज़िलों के अधिकारियों के साथ संयुक्त समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सौ प्रतिशत गुणवत्ता के साथ होना चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बच्चों की देखभाल अब होगी और कड़ी निगरानी में

मंत्री नेताम ने आदिवासी विकास विभाग की समीक्षा के दौरान विशेष रूप से छात्रावासों और आश्रमों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में रह रहे बच्चों का समग्र विकास अधिकारियों की पहली जिम्मेदारी है। सभी सहायक आयुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नियमित आकस्मिक निरीक्षण करें और रिपोर्ट सीधे कलेक्टर को सौंपें।

जो अधीक्षक छात्रावासों का संचालन सही ढंग से नहीं कर रहे, उन्हें तुरंत हटाने के निर्देश भी दिए गए। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि सभी आवश्यक सामग्री की खरीदी केवल जेम पोर्टल के माध्यम से हो—खुले बाजार से किसी प्रकार की खरीद नहीं की जाएगी।

बरसात में सफाई और सुरक्षा पर विशेष जोर

बरसात के मौसम को देखते हुए मंत्री नेताम ने आश्रमों में स्वच्छता, बिजली, शौचालय, पेयजल और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता देने को कहा। उन्होंने छात्रावास परिसरों में पौधारोपण और जीव-जंतुओं से सुरक्षा की विशेष व्यवस्था के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।

आंकड़ों में दिखा बच्चों का भरोसा, लेकिन चुनौतियाँ भी बरकरार
बैठक में तीनों ज़िलों के सहायक आयुक्तों ने अद्यतन आंकड़े प्रस्तुत किए:

दंतेवाड़ा: 70 आश्रमों में 5950 बच्चे रह रहे हैं, जबकि सीटें हैं 6340।

प्री-मैट्रिक: 38 छात्रावासों में 3331 छात्र

पोस्ट-मैट्रिक: 20 छात्रावासों में 2615 छात्र

सुकमा: 95 आश्रमों में 8108 बच्चे, सीटें 8355।

प्री-मैट्रिक: 2720 छात्र (2295 सीटों पर)

पोस्ट-मैट्रिक: 1200 छात्र (650 सीटों पर)

बीजापुर: 137 आश्रमों में 10289 बच्चे (11600 सीटों पर)

प्री-मैट्रिक: 2936 छात्र

पोस्ट-मैट्रिक: 513 छात्र (500 सीटों पर)

कुछ छात्रावासों में सीटों से अधिक संख्या में छात्र रह रहे हैं, जिससे संसाधनों पर दबाव साफ नजर आता है। इस पर मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जल्द से जल्द अतिरिक्त सुविधाओं और संसाधनों की पूर्ति सुनिश्चित करें।

“बच्चों को चाहिए सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन”
मंत्री नेताम ने अंत में कहा,

“हमारा लक्ष्य केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि बच्चों को सुरक्षित, स्वच्छ और गरिमामय जीवन देना है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है और इसमें कोई ढील नहीं दी जाएगी।”

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