मोदी का मिशन दक्षिण अफ्रीका: G20 के मंच पर उठेगी UNSC सुधार और IBSA की आवाज

आज यानी शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साउथ अफ्रीका के दौरे पर रवाना हो रहे हैं। वह जोहांसबर्ग में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। लेकिन इस यात्रा की सबसे अहम कड़ी सिर्फ G20 नहीं, बल्कि भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका का रणनीतिक मंच IBSA होगा, जिसकी बैठक पीएम मोदी समिट के इतर अटेंड करेंगे।
IBSA—जिसका पूरा नाम India, Brazil और South Africa है—केवल तीन उभरती वैश्विक ताकतों का सहयोग मंच नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में सुधार की सबसे मुखर आवाज भी है।
2003 में ब्रासीलिया डिक्लरेशन के साथ बनी IBSA की मूल सोच साफ है—21वीं सदी की दुनिया को चलाने वाले फैसलों में 20वीं सदी वाली परिषद क्यों?
इसीलिए IBSA का लक्ष्य है:
👉 भारत
👉 ब्राज़ील
👉 साउथ अफ्रीका
को UNSC का स्थायी सदस्य बनाना।
IBSA क्यों है गेमचेंजर?
आज दुनिया में भू-राजनीति बदल रही है। ग्लोबल साउथ—यानी विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं—अपनी आवाज मजबूत करना चाहती हैं।
IBSA इसी बदलाव का प्रतीक है। यह मंच:
व्यापार
तकनीक
गरीबी उन्मूलन
南-दक्षिण सहयोग
पर तो काम करता ही है, लेकिन इसका असली मिशन लोकतांत्रिक देशों को वैश्विक शक्ति संरचना में न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व दिलवाना है।
मोदी की चेतावनी — “UN सुधरे या अप्रासंगिक हो जाए”
पीएम मोदी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साफ कर चुके हैं कि UNSC की मौजूदा संरचना पुरानी पड़ चुकी है।
उनके शब्दों में—
“20वीं सदी का मॉडल, 21वीं सदी की चुनौतियों को हल नहीं कर सकता।”
भारत बार-बार कह चुका है कि बिना बड़े सुधारों के UN वैश्विक प्रतिनिधित्व और विश्वास के संकट में फंस जाएगा।
ट्रंप का तंज — ‘UN काम का नहीं’
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी UN के ढांचे को बेकार और निष्क्रिय कह चुके हैं।
उनके बयान और मोदी के संदेश मिलकर एक ही दिशा की ओर संकेत करते हैं:
👉 UN को बदलना होगा… वरना वह इतिहास बन जाएगा।
📌 IBSA की मांग क्या है?
वर्तमान में UNSC में 5 स्थायी सदस्य हैं:
🇺🇸 अमेरिका
🇷🇺 रूस
🇫🇷 फ्रांस
🇬🇧 ब्रिटेन
🇨🇳 चीन
और इन्हीं के पास वीटो पावर है।
भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका का तर्क है कि यह व्यवस्था आज की दुनिया को प्रतिबिंबित नहीं करती—इसलिए वे:
UNSC का विस्तार
नए स्थायी सदस्य
और वीटो अधिकार
की मांग कर रहे हैं।


