बीजापुर में फिर बरपा नक्सली कहर: 25 दिन में 10वीं हत्या, अब दो ग्रामीणों को बनाया निशाना

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का आदिवासी बहुल इलाका एक बार फिर नक्सली हिंसा की चपेट में आ गया है। बीती रात नक्सलियों ने दो निर्दोष ग्रामीणों की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी। घटना तर्रेम थाना क्षेत्र की है, जहां जगरगुंडा एरिया कमेटी से जुड़े माओवादी घर में घुसकर ग्रामीणों को बाहर खींच लाए और फिर मौत के घाट उतार दिया।
मारे गए ग्रामीणों की पहचान कवासी जोगा (55) निवासी ग्राम छुटवाई और मंगलू कुरसाम (50) निवासी बड़ा तर्रेम के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि मंगलू कुरसाम के बेटे नंदू ने कुछ समय पहले आत्मसमर्पण किया था और माओवादी उसी को निशाना बनाने आए थे। लेकिन नंदू के घर पर मौजूद न होने के चलते उन्होंने उसके पिता को ही मौत का फरमान सुना दिया।
डर और दहशत के साए में जी रहे ग्रामीण
रविवार रात की यह घटना नक्सलियों के खौफ को एक बार फिर उजागर करती है। गांव के लोग सहमे हुए हैं। चार से पांच की संख्या में आए हथियारबंद माओवादी, गांव में घुसते हैं, लोगों को उठाकर ले जाते हैं, और फिर वही होता है जिसका डर था—निर्मम हत्या।
इलाके में दहशत का माहौल है। डर के साथ-साथ गुस्सा भी उभर कर आ रहा है। पुलिस ने घटना के बाद इलाके में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
25 दिन, 10 हत्याएं—नक्सली क्रूरता की इंतहा
ये पहली घटना नहीं है। बीजापुर में बीते 25 दिनों में 10 लोगों की हत्या हो चुकी है—सिर्फ इसलिए कि वे ‘मुखबिर’ होने के शक के दायरे में थे। इनमें छह ग्रामीण, दो छात्र और दो शिक्षा दूत शामिल हैं।
अगर पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर और भी भयावह हो जाती है। पिछले 25 सालों में नक्सलियों ने 1,821 लोगों की हत्या की है—एक लहूलुहान इतिहास, जो हर बार इस सवाल को खड़ा करता है: इस खूनखराबे का अंत कब?