सरेंडर पर भड़के नक्सली: सोनू-रूपेश को ‘गद्दार’ करार, जारी की 11 पन्नों की धमकी भरी बुकलेट

रायपुर। नक्सलियों के उत्तर तालमेल कमेटी (NCC) ने 11 पन्नों का एक बुकलेट जारी किया है। जिसमें नक्सली वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू उर्फ भूपति और सतीश उर्फ रूपेश को गद्दार बताया गया है। इसके साथ ही सुअर जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया है।
इस बुकलेट में नक्सल संगठन ने लिखा है कि गद्दार वेणुगोपाल को मिट्टी में गाड़ दो। हार से सबक सीखने के बाद जीत मिलती है। सरेंडर के बाद सोनू की मुस्कुराते हुए तस्वीर के पीछे नक्सल संगठन का भारी गुस्सा है।
सरेंडर नक्सली भूपति ने कहा था- मैं गद्दार नहीं हूं।
‘क्रांतिकारी के भेष में दुश्मन था भूपति’
नक्सलियों के इस बुकलेट में लिखा है कि, वेणुगोपाल उर्फ सोनू जब तक संगठन में था, तब तक वह हीरो बनकर रहा। तब उसके पास पार्टी समर्थकों का बड़ा आधार था।
जब पार्टी के सामने मुश्किल समय आया तो उसने अपना आपा खो दिया। सोनू लोगों का दोस्त नहीं है, दुश्मन है। लंबे समय तक वह दंडकारण्य के क्रांतिकारी जनता के पीछे छिपा रहा।
जिन्होंने न केवल उसकी रक्षा की बल्कि उसकी हर एक जरूरत भी पूरी की। सालों तक पार्टी और जनता ने सोनू का पालन-पोषण किया। वह इसलिए नहीं मारा क्योंकि संगठन के बहुत से लड़ाकों ने अपनी जान दांव पर लगाकर एक ऐसे आदमी की रक्षा की, जो क्रांतिकारी के भेष में दुश्मन था।
मुस्कुराते तस्वीर के पीछे संगठन का गुस्सा
आत्मसमर्पण वाले दिन सोनू ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री को अपनी AK-47 सौंपी। हथियार सौंपते हुए वह मुस्कुरा रहा था। यह तस्वीर बड़े पैमाने पर प्रचारित की गई।
सोनू के मुस्कुराहट की जो तस्वीर दिख रही है ये बुनियादी रूप में देश और दुनिया में क्रांतिकारी कम्युनिस्ट खेमें और नक्सल संगठन के लोगों के बीच में गुस्सा पनप रहा है।
यह तस्वीर कम्युनिस्ट आंदोलन के इतिहास में मजदूर वर्ग के मकसद से गद्दारी की तस्वीर के रूप में जानी जाएगी। नक्सलियों ने कहा कि, कुछ समय पहले से ही सोनू राज्य के साथ था।
पार्टी में रहते हुए वेणुगोपाल उर्फ सोनू ने पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की वह हताश हो गया। अपने कुछ लोगों के साथ जाकर उसने हथियार डाल दिए।
सुअर जैसे शब्दों का किया इस्तेमाल
नक्सलियों ने सोनू के लिए सुअर जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। कहा कि सोनू ने दंडकारण्य में जन हथियारबंद आंदोलन को कुचलकर सरकार के सामने घुटने टेक दिए। जब सोनू की बात पार्टी ने नहीं मानी तो वो SZC सतीश उर्फ रूपेश के पास गया। रूपेश भी सोनू की बात मान लिया।
सोनू ने माओवादी पार्टी को बचाने की बजाय पार्टी को विघटित किया है। दोनों ने सरकार के सामने हथियार डाल दिए। सोनू की पत्नी पहले ही आत्मसमर्पण कर चुकी थी।
वहीं वह भी बड़ा घर पाने और पैसे के लालच के साथ ही खुशहाल जिंदगी जीने के लिए सरेंडर कर दिया। नक्सल संगठन ने सोनू की तुलना नक्सलबाड़ी आंदोलन के सत्यनारायण से की और उसे गद्दार बताया है।
271 नक्सलियों ने डाला था हथियार
दरअसल, अक्टूबर महीने में 2 दिन के अंदर ही नक्सली लीडर वेणुगोपाल और रूपेश समेत 271 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए थे। छत्तीसगढ़ से सटे महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पोलित ब्यूरो मेंबर मोजुल्ला वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू दादा समेत 60 नक्सलियों ने सरेंडर किया था। भूपति बड़े कैडर का नक्सली रहा है।
यह छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में मोस्ट वांटेड था। इस पर करीब 6 डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। भूपति ने 3 दंडकारण्य क्षेत्रीय समिति के सदस्य और 10 संभागीय समिति के सदस्यों समेत 60 नक्सलियों के साथ सरेंडर किया था। गढ़चिरौली पुलिस को 54 हथियार सौंपे। इनमें 7 AK-47 और 9 INSAS राइफलें शामिल हैं।
बस्तर में रूपेश ने डाले थे हथियार
भूपति के सरेंडर के ठीक बाद नक्सली रूपेश अपने करीब 150 साथियों के साथ जंगल से निकलकर सरेंडर करने पहुंचा था। इससे पहले कांकेर में करीब 60 से 70 नक्सली अलग-अलग दिन सरेंडर किए थे। जगदलपुर में पुलिस ने 210 नक्सलियों का एक साथ सरेंडर करवाया था।




