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नेपाल भारत के रिश्ते जल्द फिर से आएंगे पटरी पर, नेपाल ने वापस खींचे कदम

नईदिल्ली, भारत और नेपाल के बीच कुछ दिनों से रिश्ते तल्ख चल रहे हैं, लेकिन अब भारत और नेपाल के बीच आई है खटास फिर से पटरी पर आने के संकेत मिले हैं. इसके लिए भारत सरकार के सकारात्मक सोच के साथ मुद्दों को सुलझाने की अपील का स्वागत करते हुए, नेपाल ने आज बड़ा फैसला किया गया है.

नेपाल सरकार ने आज संसद में एक नक्शे को लेकर पेश होने वाली संविधान संशोधन की कार्यवाही की इसे हटा दिया है कार्यवाही से इसे हटा दिया है. जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है.
दरअसल पिछले कुछ दिनों से भारत और नेपाल के रिश्ते में तल्खी देखी जा रही थी. जब लिपुलेख लिम्पुयाधारा, काला पानी और को नक्शे में पेश करने की अपनी दावेदारी पर इस छोटे से देश में ठोक दी थी.
नेपाल ने यह कदम तब उठाया है जब लिपुलेख में भारत ने 8 मई को कैलाश मानसरोवर यात्रा को आसान करने के लिए एक सड़क का निर्माण कराया था. जिस पर नेपाल ने गहरी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था, भारत 1816 के सुगौली संधि का उल्लंघन कर रहा है. उसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनातनी शुरू हो गई थी.

नेपाल में सर्वदलीय बैठक में लिया गया यह फैसला

हालांकि मंगलवार को नेपाल के पीएम केपी ओली ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों के नेता मौजूद थे. इस बैठक में हिंदुस्तान के साथ खराब रिश्ता ना हो इसका प्रमुखता से हर संभव कदम उठाने की बात जोर-शोर से उठी थी.

जिसके बाद आज संसद की होने वाली बैठक की कार्यवाही में से इसको हटा दिया गया है. जिसका दोनों देशों में रहने वाले शांतिप्रिय लोगों ने स्वागत किया है. माना जा रहा है कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद भारत नेपाल इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक ठोस कदम उठा सकते हैं तब तक नेपाल को इंतजार करने के लिए कहा गया है ।

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