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नईदिल्ली : महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर, गुजरात, आंध्र, तेलंगाना से लेकर मप्र तक में किल्लत

नईदिल्ली  : नोटबंदी के बाद देशभर में लोगों को नकदी के लिए बैंकों में लाइन लगानी पड़ी थी, अभी वह दौर गुजरे बहुत दिन नहीं बीते हैं और एक बार फिर से वैसे ही हालात पैदा हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में बीते कई सप्ताह से जारी कैश की किल्लत अब दूसरे राज्यों में भी देखने को मिल रही है। सोमवार को पूर्वी महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में भी कैश की कमी की शिकायतें मिलीं। नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर नोटों के सर्कुलेशन में आने के बाद कैश की यह कमी चिंता को बढ़ाने को वाली है।

दिल्ली-एनसीआर में भी लोगों को एटीएम के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यहां तक कि गुडग़ांव में 80 फीसदी एटीएम कैशलेस हो गए हैं। दिल्ली में लोगों का कहना है कि उन्हें एटीएम से या तो खाली हाथ लौटना पड़ रहा है या फिर 500 रुपये के नोट ही निकल पा रहे हैं। इस बीच सरकार ने समस्या के हल के लिए तीन दिन का वक्त मांगा है। कैश की कमी को लेकर वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने कहा, हमारे पास फिलहाल 1,25,000 करोड़ रुपये की करंसी है। समस्या यह है कि कुछ राज्यों के पास अधिक करंसी है और कुछ के पास कम है। सरकार और आरबीआई ने राज्यवार समितियां गठित की हैं, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में कैश के ट्रांसफर को देखेंगी। यह काम तीन दिन के भीतर हो जाएगा।

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नोटबंदी के बाद करीब 5 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट जारी किए गए थे। इन नोटों के सर्कुलेशन में आने के बाद काफी हद तक कैश की किल्लत दूर हो गई थी, लेकिन अब एक बार फिर से संकट बढ़ गया है। इस पर बैंकों का कहना है कि यह संकट जमाखोरी के चलते पैदा हुआ है। आरबीआई के डेटा के मुताबिक 6 अप्रैल को 18.2 लाख करोड़ रुपये की करंसी सर्कुलेशन में थी, यह आंकड़ा नोटबंदी से पहले प्रचलित मुद्रा के लगभग बराबर था।
नोटबंदी के बाद एक बार फिर से कैश की आपूर्ति पहले जैसी हो गई थी और फिर डिजिटाइजेशन के चलते इसकी जरूरत भी कम हो गई थी। लेकिन, अब करंसी की कमी होना चिंता बढ़ाने वाला है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मार्च में कैश की किल्लत की खबरें आई थीं, तब माना जा रहा था कि फाइनैंशल रिजॉलूशन ऐंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल को लेकर भ्रम फैलने से ऐसा हुआ है, जिसके चलते जमाकर्ताओं ने नकदी निकाली है।
डिपॉजिट में आई कमी, निकासी में हुआ इजाफा
बैंकर्स का कहना है कि करंसी का सर्कुलेशन आमतौर पर चुनावों के आसपास बढ़ जाता है, लेकिन इस दौरान सिर्फ कर्नाटक में ही चुनाव होने वाले हैं। करंसी की डिमांड में तेज इजाफे से डिपॉजिट ग्रोथ में कमी आने की बात भी सामने आई है। मार्च, 2018 में समाप्त हुए फाइनैंशल इयर में डिपॉजिट ग्रोथ 6.7त्न रही, जो 2016-17 के मुकाबले आधे से भी कम है। तब डिपॉजिट ग्रोथ 15.3त्न थी। यही नहीं एक तरफ डिपॉजिट में कमी आई है, वहीं बीते साल के मुकाबले 2018 में विदड्रॉल में 10.3त्न का इजाफा हुआ, जबकि 2016-17 में यह 8.2 फीसदी था।

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