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छत्तीसगढ़ में वन भैंसा संरक्षण को नई गति, काला हिरण प्रोजेक्ट में बड़ी सफलता

रायपुर। नवा रायपुर स्थित आरण्य भवन में हाल ही में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण को नई दिशा देने पर विस्तृत रणनीति बनाई गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन अरुण कुमार पाण्डेय ने स्पष्ट कहा कि राज्य के राजकीय पशु वन भैंसा की संख्या बढ़ाने और शुद्ध नस्ल सुरक्षित रखने के लिए विभागीय टीमों और विशेषज्ञों का संयुक्त प्रयास बेहद आवश्यक है।

बैठक में वन भैंसा संरक्षण, प्रजनन, स्थानांतरण और आधुनिक वन्यजीव प्रबंधन पर व्यापक चर्चा हुई।

डॉ. आर.पी. मिश्रा ने प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से अब तक हुए संरक्षण कार्यों, मौजूदा स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि वन भैंसा प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा वन्यजीव है और वैज्ञानिक तरीकों से इसके संरक्षण को और मजबूत करने की जरूरत है।

उदंती-सीतानदी और बारनवापारा — वन भैंसा संरक्षण के प्रमुख केंद्र

बैठक में बताया गया कि दोनों क्षेत्रों में वन भैंसा प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है।
वर्तमान में बारनवापारा में 1 नर और 5 मादा वन भैंसे मौजूद हैं।

वन भैंसों की सटीक संख्या और शुद्ध नस्ल की पहचान के लिए जियो-मैपिंग तकनीक अपनाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही रहवास, आहार और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए।

स्थानांतरण प्रक्रिया होगी तेज

वन भैंसा स्थानांतरण के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ और NTCA से अनुमतियाँ शीघ्र प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए एक विशेष दल को जल्द दिल्ली भेजा जाएगा।

वन भैंसों की चिकित्सा व्यवस्था के लिए दो पूर्णकालिक पशु चिकित्सक उपलब्ध रखने का निर्णय लिया गया है।

सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति लेकर जंगल सफारी और अन्य क्षेत्रों में सैटेलाइट-आधारित निगरानी प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है।

काला हिरण संरक्षण पर भी बना नया रोडमैप

बैठक में काला हिरण (Blackbuck) संरक्षण की प्रगति साझा की गई।
बताया गया कि 50 वर्षों बाद 2018 में बारनवापारा में पुनर्स्थापन कार्यक्रम शुरू किया गया था।

बाड़ों की रेत व जल निकासी व्यवस्था सुधारने, पोषण की विशेष निगरानी, समर्पित टीम की तैनाती जैसे कदमों के सकारात्मक परिणाम आज दिखाई दे रहे हैं।

वर्तमान में बारनवापारा में लगभग 190 काले हिरण मौजूद हैं।
इस सफलता को देखते हुए अन्य अभयारण्यों में भी काले हिरणों को पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।

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