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‘नियद नेल्ला नार’ योजना: सुकमा में बदले जीवन की नई कहानी, आत्मसमर्पित माओवादियों को मिला सम्मान और स्वावलंबन

महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबन की ओर बढ़ा रही योजना

रायपुर, 6 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई माओवादी आत्मसमर्पण राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 और विशेष रूप से सुकमा जिले में संचालित ‘नियद नेल्ला नार’ योजना आज बस्तर के बदलाव की मिसाल बन गई है। यह योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और विश्वास की बहार ला रही है, जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को कौशल प्रशिक्षण, पुनर्वास और स्वरोजगार से जोड़कर मुख्यधारा में शामिल किया जा रहा है।


पुनर्वास केंद्र बना नई राह की शुरुआत

कोंटा विकासखंड की अनीता सोड़ी जैसी महिलाओं के लिए यह योजना आशा की नई किरण बनकर सामने आई है। अनीता ने कहा,

“पुनर्वास केंद्र ने शांति और सम्मान के साथ जीने का रास्ता दिखाया है। अब मैं सिलाई कार्य से परिवार को बेहतर भविष्य देना चाहती हूं।”

उनके साथ 6 आत्मसमर्पित महिलाएं लाइवलीहुड कॉलेज सुकमा में सिलाई प्रशिक्षण ले रही हैं। इन्हें ‘सक्षम योजना’ के तहत ₹40 हजार से ₹2 लाख तक का लोन 3% ब्याज दर पर मिल रहा है और निःशुल्क सिलाई मशीन और प्रमाणपत्र भी प्रदान किए जा रहे हैं।


लाइवलीहुड कॉलेज में 30 किशोरी बालिकाएं और महिलाएं स्कूल यूनिफॉर्म, ब्लाउज, ड्रेस और पैंट-शर्ट की सिलाई का प्रशिक्षण ले रही हैं। इन्हें नोनी सुरक्षा योजना, महतारी वंदन योजना, सक्षम योजना और महिला ऋण योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।


79 आत्मसमर्पित माओवादियों को मिल चुका है प्रशिक्षण

अब तक 79 आत्मसमर्पित

योजना का कन्वर्जेंस मॉडल: योजनाओं का मिलन, युवाओं का उत्थान

‘नियद नेल्ला नार’ योजना को

  • मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना,
  • पीएम स्वनिधि,
  • स्टार्टअप योजना,
  • कृषि उद्यमिता,
  • महिला ऋण योजना
    से जोड़कर रोजगार और आत्मनिर्भरता का प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है।

कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के नेतृत्व में हो रहा क्रियान्वयन

कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव की अगुवाई में जिला प्रशासन द्वारा पुनर्वास और कौशल विकास को एक साथ जोड़ने की नीति अपनाई गई है, जो अब बस्तर में स्थायी शांति और विकास की नींव रख रही है।

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