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भारत दिवस परेड 2025 में उत्तर अमेरिका गूंज उठा छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झंकार से

"हजारों मील दूर... लेकिन दिल अब भी छत्तीसगढ़ में धड़कता है!"

रायपुर। भारत के स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर जब उत्तर अमेरिका के शहरों में भारत दिवस परेड की धूम मची, तो प्रवासी छत्तीसगढ़ियों ने अपने रंग, संस्कृति और परंपराओं से एक अलग ही छाप छोड़ दी। नाचा (North America Chhattisgarh Association) के नेतृत्व में सिएटल (वॉशिंगटन), टोरंटो (कनाडा) और कैलिफोर्निया बे एरिया (अमेरिका) जैसे शहरों की सड़कों पर छत्तीसगढ़ की जीवंत विरासत का ऐसा उत्सव रचा गया, मानो बस्तर, रायपुर और भिलाई खुद चलकर वहां पहुँच गए हों।

सिएटल में झलकी ‘नया छत्तीसगढ़’ की तस्वीर

नाचा वॉशिंगटन चैप्टर की अध्यक्ष नमिता खंडेलवाल के नेतृत्व में आयोजित परेड में छत्तीसगढ़ की औद्योगिक ताकत और सांस्कृतिक धरोहर का सुंदर संगम देखने को मिला।
भिलाई इस्पात संयंत्र की झांकी, ‘धान का कटोरा’ के रूप में पहचाना जाने वाला कृषि वैभव, करमा नृत्य की थिरकन और कोसा सिल्क की चमक ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। चावल पापड़ और एरसा की खुशबू ने तो जैसे सबको छत्तीसगढ़ के घरों की रसोई तक पहुँचा दिया।
नमिता खंडेलवाल ने गर्व से कहा – “भिलाई से लेकर बस्तर तक, हर रंग, हर धुन, हर स्वाद को दिखाना हमारी संस्कृति का उत्सव मनाने जैसा था।”

टोरंटो में गूंजा जनजातीय गर्व

पंकज अग्रवाल, अध्यक्ष – नाचा कनाडा चैप्टर, के नेतृत्व में टोरंटो की सड़कों पर छत्तीसगढ़ की जनजातीय परंपराओं ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई।
गौर मुकुट पहने पुरुष, पारंपरिक आभूषणों से सजी महिलाएं, और लुगड़ा की सादगी में छिपी सौंदर्यता – सबने मिलकर बस्तर की मिट्टी की खुशबू टोरंटो तक पहुंचा दी।
यह परेड सिर्फ संस्कृति का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना का वैश्विक उद्घोष बन गई।

कैलिफोर्निया में सजी छत्तीसगढ़ की सांझ

पूजा महतो, अध्यक्ष – नाचा बे एरिया, के नेतृत्व में कैलिफोर्निया की वादियों में छत्तीसगढ़ी गीतों और लोकनृत्यों ने एक नई जान फूंक दी। प्रवासी परिवारों ने परंपरागत पोशाकें पहन, मंच पर छत्तीसगढ़ की आत्मा को सजीव कर दिया।
पूजा महतो ने भावुक होकर कहा – “यह सिर्फ प्रस्तुति नहीं थी, यह हमारा अपने जड़ों से जुड़ाव था। छत्तीसगढ़ को यहां लाकर बसाने जैसा अनुभव था।”

नाचा: परंपरा, एकता और पहचान का प्रतीक

नाचा सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि प्रवासी छत्तीसगढ़ियों के दिलों की धड़कन है। अमेरिका और कनाडा में फैले इस गैर-लाभकारी संगठन ने वर्षों से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को वैश्विक मंच पर जीवित रखा है।
भारत दिवस परेड 2025 ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि चाहे कितनी भी दूरियाँ हों, जड़ों से जुड़ाव अगर दिल से हो, तो संस्कृति कभी पराई नहीं लगती।

जय हिंद, जय छत्तीसगढ़!

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