अपनी बेहतरीन अदाकारी और खूबसूरती के लिए मशहूर बॉलिवुड अभिनेत्री तब्बू ने हमसे की खास बातचीत। लगातार कई पत्रकारों से बात करने के बाद थक चुकीं तब्बू मजाक के अंदाज में कहती हैं, क्या सवाल पूछना होता है आप लोगों को इतना…लिख लो कुछ भी यार … वैसे भी लिखते तो हो आप लोग… जब झूठे अफेयर के बारे में लिखना होता है, तब आप लोग फोन करके भी नहीं पूछते हैं। गलत अफवाहें सालों साल तक लिखते रहते हो।
क्या इन दिनों भी आपके बारे में कुछ ऐसा लिखा गया है जो झूठ था?
मस्ती और मजाक के मूड से तब्बू थोड़ी गंभीर हो गईं और बोलीं, नहीं-नहीं अब तो नहीं लिखा जाता, कभी लिखा जाएगा तो बताऊंगी आपको। (जोर से हंसते हुए) अब तो मैं भी बड़ी हो गई हूं अब कितना लिखेंगे मेरे बारे में।
किसी फिल्म का चुनाव करते समय किन बातों का ध्यान रखती हैं?
तब्बू कहती हैं, यार… फिल्म के चुनाव का मानदंड तो वही है, एकदम साफ-साफ, कोई किरदार पसंद आएगा तो करूंगी वरना नहीं करूंगी। कोई फिल्म साइन करने से पहले ऐसा लगता है कि हर चीज ठीक से होनी चाहिए। फिल्म का निर्माता अच्छा होना चाहिए, साउंड प्रॉजेक्ट होना चाहिए। विश्वास करने वाले लोग होने चाहिए। ऐसा होना चाहिए कि ठीक-ठाक से फिल्म बनाकर रिलीज़ करें। यह सब चीजें मेरे लिए अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई हैं।
आपकी फीस प्रॉपर हो और समय से मिल जाए
तब्बू आगे कहती हैं, जब आप किसी फिल्म में काम कर रहे हों तो सेट का माहौल ऐसा होना चाहिए कि आप हर मामले में कंफ़र्टेबल फील करें। आपकी फीस प्रॉपर हो और समय से मिल जाए।
आप ज्यादा सोचोगे तो किसी के साथ काम ही नहीं कर पाओगे
तब्बू कहती हैं, किसी फिल्म के चुनाव के समय बहुत ज्यादा भी नहीं सोचना चाहिए, जितना ज्यादा सोचो उतने ज्यादा सवाल, ऐसे में काम करना और मुश्किल हो जाता है। किसी नए सेट पर किस तरह से लोग पेश आएंगे या क्या होगा इस बात की गारंटी कोई नहीं ले सकता है। जब आप नए लोगों के साथ करते हैं तो उनके व्यवहार के बारे में नहीं जानते हैं।
हर समय अच्छ-अच्छा ही नहीं होता है।
तब्बू आगे कहती हैं, आमतौर पर हम यही चाहते हैं कि सेट पर सब आपसे प्यार करें, सब अच्छे-अच्छे से हो जाए, सब दोस्त बन जाएं और बिल्कुल कोई तकलीफ न हो। ऐसा हो नहीं सकता, मैं हमेशा सोचती हूं सेट का माहौल बेहतरीन हो लेकिन अब मैंने यह एक्सेप्ट कर लिया है कि हर समय अच्छ-अच्छा नहीं होता है। अब जब सेट का माहौल आपके मन मुताबिक न हो तो उसके लिए आपको तैयार होना पड़ता है। कई लोग हैं जो मुझे ठीक से नहीं जानते कि मेरे आस-पास कैसे रहना है, बात करना है। आप ज्यादा सोचोगे तो किसी के साथ काम ही नहीं कर पाओगे।
सोशल मीडिया के आने से सबके पास खुद का एक पर्सनल मीडिया है।
सोशल मीडिया के बारे में बात करते हुए तब्बू कहती हैं, मेरे ख्याल से सोशल मीडिया हर किसी का अपना एक पर्सनल मीडिया बन गया है। इस समय मीडिया की भरमार है। ऐसे भीड़-भाड़ में मेरे लिए किसी मीडिया हाउस की क्रेडबिलिटी सबसे महत्वपूर्ण है। बोलना है इसलिए कुछ भी बोलते रहो, ऐसा नहीं होना चाहिए।
बायॉपिक ट्रेंड में है सिर्फ इसलिए नहीं करूंगी
पिछले कई सालों से बॉलिवुड में खूब बायॉपिक बन रही हैं। ऐसे में तब्बू ने कहा, मुझे किसी बायॉपिक में सिर्फ इसलिए काम नहीं करना कि सब लोग बायॉपिक कर रहे हैं… इसलिए मैं भी कर लूं या फिर यह ट्रेंड चल रहा है इसलिए कर लूं। ऐसे काम करने का कोई मतलब नहीं है। अगर हिस्ट्री या कोई असल जिंदगी में कोई किरदार है… जिनकी कहानी लोगों को बतानी चाहिए तो ऐसा कुछ मुझे इंट्रेस्टिंग लगता है।
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