दंतेवाड़ा के दूरस्थ गांवों में अब ‘कच्चे नहीं, पक्के सपने’ बस रहे हैं – प्रधानमंत्री आवास योजना से बदला हजारों का जीवन

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल में बसे दंतेवाड़ा जैसे दुर्गम इलाके में अब विकास की रोशनी पहुंच चुकी है। जहां कभी बारिश में टपकती छतें और मिट्टी की दीवारें असुरक्षा का एहसास कराती थीं, वहीं अब पक्के और सुरक्षित मकान सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत बन चुके हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने यहां के सैकड़ों गरीब और ज़रूरतमंद परिवारों को सिर्फ एक छत नहीं दी, बल्कि आत्मसम्मान और स्थायित्व का एक मजबूत आधार दिया है। जनपद पंचायत दंतेवाड़ा के ग्राम पंचायत गामावाड़ा के नियद नेल्ला नार क्षेत्र में महज़ 135 दिनों में एक आवास निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया — यह न केवल एक मिसाल है, बल्कि प्रशासन की दक्षता और ज़मीन पर काम करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण भी।
सिर्फ छत नहीं, रोजगार भी साथ
इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को तीन किस्तों में 1.20 लाख रुपये की सहायता दी जाती है, साथ ही 90 दिनों का मनरेगा रोजगार भी सुनिश्चित किया जाता है। यह पहल ग्रामीणों को न केवल घर देती है, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी प्रेरित करती है।
विकास की गूंज पहाड़ों से निकल कर दिलों तक
बरसात, दुर्गम पहाड़ी रास्ते और निर्माण सामग्री की सीमित उपलब्धता जैसी चुनौतियों के बावजूद जिला प्रशासन ने अब तक 2118 पक्के मकानों का निर्माण पूरा कर लिया है, जिनमें से 547 मकान सिर्फ जनपद दंतेवाड़ा में बने हैं।
हर परिवार को पक्की छत – अब यह सपना नहीं, हकीकत बन रहा है
कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी के मार्गदर्शन में इस योजना को गति मिली है। प्रशासन का लक्ष्य है कि कोई भी पात्र परिवार पक्के घर से वंचित न रहे।
“सबका साथ, सबका विकास” की भावना को जमीनी हकीकत में बदलते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण भारत में बदलाव की एक मजबूत इबारत लिख रही है।