रूस से तेल, चीन का कप्तान, भारत की मंज़िल और बीच में टांग अड़ाता फ्रांस!

एक ऐसा घटनाक्रम जो सिर्फ़ एक तेल टैंकर की कहानी नहीं है, बल्कि तीन महाशक्तियों के हितों की सीधी भिड़ंत है — रूस, भारत और चीन।
रूस से रवाना हुआ एक तेल टैंकर, जिसमें भरा था 7.5 लाख बैरल कच्चा तेल, मंज़िल थी भारत। कप्तानी कर रहा था एक चीनी नागरिक।
लेकिन रास्ते में आ गया फ्रांस और शुरू हो गई अंतरराष्ट्रीय राजनीति की उठापटक।
अटलांटिक महासागर में फ्रांस की नौसेना ने इस टैंकर को घेर लिया, कैप्टन, वाइस कैप्टन और पूरे क्रू को गिरफ्तार कर लिया।
फ्रांस ने दावा किया — “हम रूसी तेल पर कार्रवाई कर रहे हैं।”
लेकिन असल वजह शायद कुछ और है…
ये खेल सिर्फ़ तेल का नहीं है, ध्यान भटकाने की चाल भी है!
जैसे ही ये खबर सामने आई, पूरी दुनिया में हलचल मच गई।
फ्रांस को शायद ज़रूरत थी किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्दे की — क्योंकि उसके अपने देश में दंगे और प्रदर्शन मीडिया की सुर्खियों में थे।
तो पकड़ लिया गया एक ऐसा जहाज, जिसमें शामिल थे:
रूस का तेल, चीन का कप्तान और भारत की मंज़िल।
पुतिन भड़के — बोले, “ये समुद्री डकैती है, और फ्रांस को इसका जवाब मिलेगा!”
रूस का कहना है कि जहाज में कोई सैन्य सामग्री नहीं थी, और कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का उल्लंघन है।
भारत का करारा जवाब: प्रोसेस किया रूसी तेल और बेच दिया यूरोप को!
इसी बीच भारत से आई एक और बड़ी खबर —
सितंबर में भारत ने यूरोप को अब तक का सबसे ज़्यादा डीजल निर्यात किया।
और यही डीजल बना था रूसी कच्चे तेल से।
मतलब ये कि यूरोप रूसी तेल सीधे नहीं खरीद रहा, लेकिन भारत से प्रोसेस होकर आए तेल को खुशी-खुशी ले रहा है।
दुनिया को उल्लू कौन बना रहा है, ये समझना मुश्किल नहीं।
ये सिर्फ़ एक जहाज नहीं, एक मैसेज है दुनिया के लिए।
फ्रांस की ये चाल अब उलटी भी पड़ सकती है —
क्योंकि अब रूस और भारत दोनों राजनयिक और सामरिक मोर्चे पर एक्टिव हो चुके हैं।
और दुनिया देख रही है कि तेल के इस खेल में असली खिलाड़ी कौन है।




