गरीब आदिवासियों को जानवरों की तरह फेंक-फेंककर बांटे खाने के पैकेट, सीएम भूपेश बघेल की सभा में होने आए थे शामिल
प्रदेश की सिर्फ सरकार बदली है, सोच अब भी वही ?
छत्तीसगढ की जशपुर की जनता को जिस अंदाज में खाना दिया जा रहा है, उसे देखकर लगता है कि यहां जानवरों को खाना दिया जा रहा है. और इसे देखकर ये भी सोचने में आता है कि अगर छत्तीसगढ़ में रमन सरकार सत्ता में होती, तो कांग्रेस छत्तीसगढ़िया अस्मिता का हवाला देकर आंदोलन को उतारू हो चुकी होती, जशपुर से लेकर राजधानी रायपुर तक प्रेस कांफ्रेंस भी हो गईं होती.
लेकिन इसे जनता का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उन्होने प्रदेश में सरकार तो बदल दिया. लेकिन सत्ता में बैठे लोग और अधिकारियों की सोच नहीं बदल सकी. फिर मजबूर जनता भी क्या करे, क्योंकि1 जब पेट में आग लगी हो तो चींटी वाला खाना भी खाने को मजबूर होना पड़ता है ।
दरअसल हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जशपुर पहुंचे थे, यहां उन्होने कई कार्यों का उद्घाटन किया और शिल्यान्यास भी. फिर सीएम आए हैं तो सभा होना भी लाजमी है. फिर चाहे कोरोना काल ही क्यों न हो. वैसे भी देश के तमाम बड़े नेता मान चुके हैं कि वे जब सभाएं करते हैं तो कोरोना दुबक के कहीं बैठ जाता है.
और उनकी सभाएं करने ये नहीं फैलता. शायद यही वजह है कि उनकी सभा में आने वाले न तो मास्क लगाते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग तो भूल ही जाइए. औऱ इससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं है ।
खैर जशपुर से निकले इस वीडियो को पूरा जरूर देखिए और सोचिये जरूर, कि क्या जो सरकारी कर्मचारी रोटी के टुकड़ों को फेंककर बांट रहे हैं, क्या वे भी इसी तरह खाना खा सकते हैं । और वे नेता और अधिकारी जो इस वायरल वीडियो को देखकर भी खामोश हैं, वे कभी जनता का सम्मान कर पाएंगे ।