पंडवानी ने दिलाई छत्तीसगढ़ को विश्व पहचान

रायपुर। पंडवानी एक ऐसी विधा है, जिसके माध्यम से छत्तीसगढ़ को पूरी दुनिया में पहचान मिली है। हमारे पंडवानी कलाकारों ने न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन तक महाभारत की कथाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। यह न सिर्फ छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवित रखती है, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा को वैश्विक मंचों तक पहुँचाती है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दुर्ग जिले के ग्राम मेड़ेसरा में आयोजित पंडवानी महासम्मेलन के समापन समारोह में कहा कि पंडवानी आज लोक चेतना, नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुकी है। उन्होंने कहा कि यह विधा स्त्री-पुरुष समानता की मिसाल है।
साय ने पंडवानी के पुरोधा झाड़ूराम देवांगन, लक्ष्मी बंजारे और तीजन बाई को याद करते हुए कहा कि उनकी कला ने छत्तीसगढ़ की माटी को विश्व स्तर पर गौरवान्वित किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की लोककला और संस्कृति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। कलाकारों की पेंशन राशि बढ़ाई गई है और चित्रोत्पला फिल्म सिटी के निर्माण से छत्तीसगढ़ी सिनेमा को नई दिशा मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि शिक्षा विभाग जल्द ही 5000 पदों पर भर्ती करेगा। साथ ही नंदिनी कॉलेज में स्नातकोत्तर कक्षाएं, अछोटी में बीएड कॉलेज, मेड़ेसरा को आदर्श ग्राम बनाने और सभी पंचायतों में सीसी रोड निर्माण की घोषणा भी की।
साय ने कहा कि 1 नवंबर को प्रदेश की रजत जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर आएंगे। उन्होंने जनता से राज्योत्सव में शामिल होकर छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाने की अपील की।
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, ललित चंद्राकर, ईश्वर साहू, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, पद्मश्री डॉ. उषा बारले और बड़ी संख्या में पंडवानी कलाकार उपस्थित थे।



