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संवाद और समान अवसर से ही बांग्लादेश में लौटेगी शांति: फैसल नसीम

बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उठापटक और सामाजिक तनाव पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। इसी बीच मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति फैसल नसीम ने बांग्लादेश में स्थिरता बहाली का रास्ता समावेशी लोकतंत्र और समान अवसरों को बताया है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की शांति जनता की भागीदारी, निष्पक्ष प्रक्रियाओं और खुले संवाद से ही सुनिश्चित की जा सकती है।

एनडीटीवी के पत्रकार आदित्य राज कौल से विशेष बातचीत में फैसल नसीम ने स्पष्ट किया कि किसी देश पर शासन करने का अधिकार किसी एक समूह या व्यक्ति का नहीं, बल्कि जनता का होता है। जब लोगों को अपने भविष्य का निर्णय स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से करने का अवसर मिलता है, तभी लोकतंत्र मजबूत होता है।

उन्होंने बांग्लादेश में चुनावों की कमी और लगातार बनी अशांति की ओर इशारा करते हुए कहा कि नेताओं को आत्ममंथन करने की जरूरत है। सत्ता से ज्यादा जरूरी है जनता की भलाई के लिए काम करना। नसीम ने कहा कि सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन राष्ट्र स्थायी होता है—और अगर नेतृत्व ईमानदारी से जनता के हित में काम करे, तो शांति अपने आप लौटती है।

दक्षिण एशिया में बढ़ते कट्टरपंथ पर चिंता जताते हुए उन्होंने बांग्लादेश में इस्लामी समूहों के प्रभाव का जिक्र किया। मालदीव के अनुभव साझा करते हुए नसीम ने कहा कि कट्टरपंथ का जवाब सख्ती नहीं, बल्कि संवाद, सामुदायिक भागीदारी और समान अवसरों से दिया जाना चाहिए।

फैसल नसीम के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में असमानता ही असंतोष और उग्रवाद को जन्म देती है। जब लोगों को लगेगा कि उनके साथ न्याय हो रहा है, तो समाज में स्थिरता आएगी। उन्होंने बताया कि मालदीव में सामुदायिक सहयोग और समावेशी शासन की वजह से उग्रवाद की चुनौतियों पर काफी हद तक काबू पाया गया।

यह विचार उन्होंने नई दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित 8वें अटल बिहारी वाजपेयी व्याख्यान के दौरान भी साझा किए, जहां उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की अहम भूमिका पर भी चर्चा की।

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