ट्रंप को पीएम मोदी का सीधा संदेश – ‘बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, फिर भी झुकेंगे नहीं
एम.एस. स्वामीनाथन को बताया मां भारती का सच्चा सपूत

देश की राजधानी में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने दो टूक कहा कि भारत अपने किसानों के हितों के खिलाफ कभी भी कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर बहुत बड़ी कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े।
पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों को लेकर भारत पर दबाव बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि प्रधानमंत्री ने किसी देश या व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका संदेश स्पष्ट था — किसान सर्वोपरि हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिवंगत कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका योगदान न किसी समय की सीमा में बंधता है और न ही किसी भूगोल में। डॉ. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे।
उन्होंने कहा, “मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि हमारी सरकार में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का अवसर मिला।” पीएम ने यह भी बताया कि गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए उनका डॉ. स्वामीनाथन के साथ संपर्क बना और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना में उनके मार्गदर्शन से गुजरात को बड़ा लाभ हुआ।
हरित क्रांति से आगे था डॉ. स्वामीनाथन का विज़न
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन सिर्फ हरित क्रांति तक सीमित नहीं रहे। वे रसायनों के अत्यधिक उपयोग और मोनो कल्चर फार्मिंग के खतरों को लेकर हमेशा किसानों को जागरूक करते रहे।
सरकार की प्राथमिकता – किसानों की आय और आत्मनिर्भरता
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ किसानों को मदद देना नहीं है, बल्कि उनमें भरोसा जगाना भी है।
“हमारी सरकार किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार मानती है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनी हैं, उनमें सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं बल्कि किसानों की आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी गई है,” – पीएम मोदी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कृषि लागत कम करने, आय के नए स्रोत विकसित करने और खेती को टिकाऊ बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
प्रधानमंत्री का यह बयान इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आने वाले समय में भी कृषि सुधारों और किसानों की भलाई को सरकार अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखेगी, चाहे इसके लिए किसी भी तरह की अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना क्यों न करना पड़े।



