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दुर्ग की दो ननों की गिरफ्तारी पर सियासी संग्राम, हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

दुर्ग । छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों में गिरफ्तार की गईं दो ननों की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। शुक्रवार को बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट में बहस के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके बाद शनिवार को दोनों को जमानत दे दी गई। इस प्रकरण ने न केवल राज्य की राजनीति में उबाल ला दिया, बल्कि संसद से लेकर जेल तक कई सियासी चेहरों की हलचल भी देखी गई।

सुबह-सवेरे जेल के बाहर जुटी सियासी ताकत

शनिवार सुबह दुर्ग सेंट्रल जेल के बाहर एक अलग ही नज़ारा था। राज्यसभा सांसदों का प्रतिनिधिमंडल, जिसमें कांग्रेस के जोश के मानी, CPI के पी संतोष कुमार और जॉन ब्रिटास शामिल थे, जेल पहुंचे। उनके साथ सिस्टर वंदना फ्रांसिस के भाई जोसेफ मैथ्यू भी मौजूद थे। सभी ने जेल के भीतर जाकर ननों से मुलाकात की और बाहर निकलते ही मीडिया से बात करते हुए कहा, “ननों को राहत मिली है, हमें न्याय पर विश्वास है।”

25 जुलाई: जब स्टेशन पर मचा बवाल

घटनाक्रम की शुरुआत 25 जुलाई को हुई, जब नारायणपुर की तीन युवतियों को लेकर एक युवक दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुंचा। वहां दो नन — सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीति मैरी — इन लड़कियों को लेने आई थीं। इसी बीच बजरंग दल को इसकी भनक लगी और उन्होंने स्टेशन पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। आरोप लगे कि ये मामला कथित मानव तस्करी और धर्मांतरण का है। जीआरपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों ननों को गिरफ्तार कर लिया।

राजनीतिक भूचाल: जेल से संसद तक विरोध

ननों की गिरफ्तारी के बाद 29 जुलाई को कांग्रेस सांसदों का दल दुर्ग पहुंचा और जेल में बंद ननों से मुलाकात की। उनका आरोप था कि ननों को बिना ठोस सबूत के गिरफ्तार किया गया। अगले ही दिन, 30 जुलाई को CPI का प्रतिनिधिमंडल भी जेल पहुंचा। CPI नेताओं ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय पर सुनियोजित हमले हो रहे हैं।

इसी दिन संसद भवन के बाहर प्रियंका गांधी और केरल के सांसदों ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने संसद में स्थगन प्रस्ताव लाकर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। CPI ने केंद्र सरकार से अपील की कि ननों के खिलाफ दर्ज केस को तुरंत रद्द किया जाए।

जांच से NIA कोर्ट तक पहुंचा मामला

ननों की ओर से पहले जमानत याचिका सेशन कोर्ट में दाखिल की गई, लेकिन कोर्ट ने मामले की गंभीरता देखते हुए इसे NIA कोर्ट के हवाले कर दिया। NIA ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी, जिसके बाद सुनवाई हुई और फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा गया था। शनिवार को राहत देते हुए अदालत ने ननों को बेल दे दी।

क्या हैं आरोप और क्या है सियासी पक्ष?

सिस्टर वंदना और सिस्टर प्रीति पर आरोप है कि उन्होंने युवतियों को जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी में शामिल किया। हालांकि CPI और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ एक ‘राजनीतिक प्रोपेगेंडा’ है और इन आरोपों की कोई सच्चाई नहीं है।

यह मामला अब न केवल कानून के कटघरे में है, बल्कि धर्म, राजनीति और सामाजिक विश्वास के त्रिकोण में भी उलझा हुआ प्रतीत होता है। आने वाले दिनों में कोर्ट का अंतिम फैसला इस पूरे प्रकरण की दिशा तय करेगा।

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