छत्तीसगढ़रायपुर

बाढ़ नियंत्रण के लिए सभी जिलों में कार्ययोजना तैयार करें

रायपुर

मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने आगामी मानसून सीजन में प्रदेश में बाढ़ और वर्षा से उत्पन्न नैसर्गिक विपत्तियों से निपटने के लिए सभी आवश्यक तैयारियों पूर्ण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण के लिए कार्ययोजना बना ली जाए।

जलाशयों से जल छोड़ते समय विशेष ध्यान रखने और बांधों का जल स्तर बढ़ने पर जल निकासी हेतु निचले जिलों और सीमावर्ती राज्यों को 12 घंटे पूर्व आवश्यक रूप से सूचना दी जाए। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्रों में वर्षा पूर्व नालों की सफाई कर ली जाए। पहुंचविहीन क्षेत्रों में खाद्यन्न का भण्डारण, पेयजल स्रोतों का शुद्धिकरण, सभी जिलों में आपदा नियंत्रण कक्ष, किसानों के लिए खाद-बीज व्यवस्था, बाढ़ राहत शिविरों में कोरोना प्रोटोकाल के पालन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

मुख्य सचिव जैन आज यहां मंत्रालय में बाढ़ नियंत्रण के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बैठक में कहा कि बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घण्टे कार्यरत् रहें। 10 जून के पहले  सभी 28 जिलों में जिला स्तर पर संबंधित विभाग के नोडल अधिकारी के समन्वय से बाढ़ नियंत्रण के लिए सभी आवश्यक तैयारी पूर्ण कर ली जाए।

उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय विभागों के नोडल अधिकारियों द्वारा ग्राम स्तर पर पंचायत प्रतिनिधि एवं नगरीय निकाय क्षेत्रों में पार्षदगण के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव, सुरक्षा, निकासी की कार्ययोजना तैयार की जाए। मानसून से पूर्व राज्य के विभिन्न जिलों में कमजोर हो चुके पुल-पुलियों एवं इमारतों की पहचान कर उनका मरम्मत कार्य करा लिए जाएं। 

मुख्य सचिव ने कहा कि सभी नगर निगम और नगर पालिका या नगर पंचायत के तमाम नाले व नालियों की निरंतर साफ-सफाई करायी जाएं। नगरीय क्षेत्र में जर्ज्रर भवनों की पहचान कर उनकी मरम्मत करा ली जाए। जिन जिलों में बड़ी नदियां बहती है वहां पर नदी के जल स्तर पर बराबर नजर रखी जाए और जल स्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने की संभावना होने पर इसकी पूर्व सूचना राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम को दी जाए।

बड़े जलाशयों पर कंट्रोल रूम स्थापित कर जल स्तर की जानकारी समय-समय पर दी जाए। बाढ़ की स्थिति में संक्रामक बीमारियों की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा दल का गठन कर आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसी प्रकार बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में मकान क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में बांस एवं बल्ली की व्यवस्था कर लिए जाए। 

बैठक में राजस्व विभाग की सचिव सुश्री रीता शांडिल्य ने बताया कि राज्य स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष एक जून से सभी जिलों एवं राज्य स्तर पर प्रारंभ हो जाएंगे। इसके लिए नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि दामिनी एप के माध्यम से आकाशीय बिजली से बचाव कर सकते हैं।

पहुंचविहीन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, चावल, शक्कर, नमक, केरोसिन, जीवन रक्षक दवाएं आदि पहले से ही संग्रहित की जा रही हैं। खाद्य सामग्री के भण्डारण के लिए वर्तमान में 207 दुकानें 9 जिलों में चिन्हांकित किए हैं। पेयजल स्रोतों को शुद्ध करने के लिए ब्लिचिंग पाउडर इत्यादि की व्यवस्था की गई है।

ऐसे क्षेत्र जहां प्रतिवर्ष बाढ़ आती है वहां सतत् निगरानी के साथ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने एवं उन्हें ठहरने के लिए कैम्प आदि की व्यवस्था की जाएगी। नगर सेना के अधिकारियों को राहत एवं बचाव के सभी उपकरणों को दुरूस्त रखने को कहा गया। प्रदेश में वर्तमान समय में 94 मोटर बोट उपलब्ध हैं। इसी अनुरूप आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
            
बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह एवं जल संसाधनसुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, सचिव समाज कल्याण रीना बाबा साहेब कंगाले, सचिव आदिम जाति एवं जनजाति विकास विभाग डी.डी. सिंह, सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति डॉ. कमलप्रीत सिंह, सचिव नगरीय प्रशासन अलरमेल मंगई डी., सचिव लोक निर्माण सिद्धार्थ कोमल परदेशी, सचिव गृह एवं जेल अरूण देव गौतम, पुलिस महानिरीक्षक रायपुर आनंद छाबड़ा सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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