बिलासपुर : रतनपुर स्थित ग्राम गढ़वट के अमराई मोहल्ले में सोमवार सुबह 7 बजे भालू आ पहुंचा। भालू को सामने देख कुछ ग्रामीणों में खलबली मच गई।इसकी सूचना वन विभाग को दी गई। लेकिन उन्हें मौके पर पहुंचने में 3 घंटे लग गए। क्षेत्र में 11 घंटे तक दहशत का माहौल था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भालू खोंदरा के जंगल से मंजूरपहरी की तरफ इस क्षेत्र में पहुंचा था। माना जा रहा है कि वह महुआ खाने के चक्कर में आबादी क्षेत्र में पहुंचा था। सुबह 7 बजे गांव के ही एक ग्रामीण अमराई पारा निवासी अश्वनी साहू उर्फ मल्लू साहू ने उसे देखा। भालू ने उस पर हमला भी करने की कोशिश की। उन्होंने इसकी जानकारी अन्य ग्रामीणों को दी। इसके बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण लाठी लेकर पहुंचे और भालू को दौड़ाने लगे। कुछ ग्रामीणों ने रतनपुर पुलिस के अलावा वन विभाग को दी। लेकिन मुख्यालय में कोई भी वन अमला नहीं था। विभाग की इस निष्क्रियता को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश भी नजर आया।
सूचना मिलने के बाद कानन रेस्क्यू टीम के प्रभारी डॉ. पीके चंदन अन्य सदस्यों के साथ पहुंचे। उस समय भालू खेत के मेढ़ पर झाडिय़ों के बीच था। स्पष्ट नजर नहीं आने के कारण गन से निशाना साधने में दिक्कत होने लगी। दो से तीन बार निशाना चूक भी गया। इसके बाद निशाना लगा भी तो बेहोशी की दवा का उस पर असर नहीं हुआ। ग्रामीण उसे इतना दौड़ा चुके थे कि भालू पूरी तरह थक चुका था। थकान की वजह से बेहोशी की दवा असर नहीं कर रही थी। यही वजह कि टीम को उसे रेस्क्यू करने में तीन घंटे से अधिक का समय लग गया।डेढ़ महीने में 12 वीं आबादी क्षेत्र में पहुंचा भालू
जंगल छोडक़र आबादी वाले क्षेत्र में भालू के घुसने की यह 12वीं घटना है। मरवाही में 5 बार और बारद्वार में 2, सक्ती व जटगा में एक- एक व पसान में 2 बार भालू आने से हडक़ंप मच चुका है।
यह हो सकती है वजह
भालू के गांव में घुसने की लगातार घटना से वन विभाग के अधिकारी सकते में हैं। इसकी वजह जंगल के अंदर पानी व आहार का संकट हो सकता है। मरवाही वनमंडल भालू प्रभावित क्षेत्र है। इन्हें संरक्षित रखने के लिए ही जामवंत योजना बनाई गई थी। लेकिन विभागीय अड़चन और अधिकारियों की उदासीनता के कारण योजना धरातल पर नहीं आ सकी।
रतनपुर वन परिक्षेत्र के गढ़वट गांव मे भालू घुस गया था। सुबह इसकी सूचना मिली थी। मैं खुद मौके अमले के साथ पहुंचा था। इसके बाद कानन की रेस्क्यू टीम को सूचना दी गई। डॉ. चंदन टीम के साथ पहुंचे और करीब ढाई से तीन घंटे के बाद ट्रैक्यूलाइजर गन से बेहोश किया गया।
टीआर जायसवाल, एसडीओ बिलासपुर वनमंडल
Please comment