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रायपुर : नई-पुरानी पीढ़ी के बीच परिवारों में बढ़ती संवादहीनता चिंताजनक: अनुपम खेर

रायपुर : पद्मऔर पद्मविभूषण अलंकरणों से सम्मानित लोकप्रिय फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कहा है कि किसी भी टेक्नॉलाजी का अपना महत्व होता है और उपयोगिता भी होती है, लेकिन आज के दौर में सूचना और संवाद के नये उपकरणों का प्रचलन बढऩे के बाद समाज में नई और पुरानी पीढ़ी के बीच परिवारों में संवादहीनता लगातार बढ़ती जा रही है। यह स्थिति चिंताजनक है।

पद्मऔर पद्मविभूषण अलंकरणों से सम्मानित लोकप्रिय फिल्म अभिनेता अनुपम खेर

खेर ने नया रायपुर स्थित राज्य सरकार के जनसम्पर्क विभाग की सहयोगी संस्था छत्तीसगढ़ संवाद के नवनिर्मित भवन में आयोजित जनसम्पर्क अधिकारियों की मीडिया संगोष्ठी के अंतिम सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। खेर ने बीती शाम आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ संवाद के नये भवन की प्रशंसा करते हुए इसे स्टेट ऑफ द आर्ट बताया। उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ से मेरा काफी पुराना रिश्ता है। यहां आता-जाता रहता हूं।

आयोजित जनसम्पर्क अधिकारियों की मीडिया संगोष्ठी के अंतिम सत्र को सम्बोधित कर रहे थे

राज्य में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में विकास के अच्छे काम हो रहे हैं। नया रायपुर में हो रहे अधोसंरचना विकास के कामों को देखकर मैं दंग रह गया। खेर ने अपने जीवन के संघर्षों को और लगभग 34 वर्ष के फिल्मी सफरनामें के अनुभवों को काफी दिलचस्प तरीके से साझा किया। संचालक जनसम्पर्क और छत्तीसगढ़ संवाद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश सुकुमार टोप्पो ने स्मृति चिन्ह भेंटकर उनके प्रति आभार प्रकट किया।

लगभग 34 वर्ष के फिल्मी सफरनामें के अनुभवों को काफी दिलचस्प तरीके से साझा किया

अनुपम खेर ने आधुनिक जीवन शैली के बीच परिवारों में बढ़ती संवादहीनता का जिक्र करते हुए कहा कि पहले घर-परिवारों में सब लोग एक साथ बैठकर खाना खाते थे, लेकिन अब अधिकांश निम्न मध्यम वर्ग और मध्यमवर्गीय परिवारों में लगभग हर सदस्य वाट्सएप और फेसबुक में व्यस्त रहने लगा है। इस वजह से परिवार के सदस्यों के बीच संवाद कम हो रहा है। उन्होंने परिवार के सदस्यों के बीच परस्पर संवाद और सामंजस्य की जरूरत पर विशेष रूप से बल दिया। खेर ने अपने जीवन संघर्षों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनका जन्म शिमला के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।

सदस्यों के बीच परस्पर संवाद और सामंजस्य की जरूरत पर विशेष रूप से बल दिया

पिता जी वन विभाग में क्लर्क हुआ करते थे। उनका वेतन सिर्फ 90 रूपए था। संयुक्त परिवार में कुल 14 सदस्य थे और एक बेडरूम वाले कमरे में सब मिलकर गुजारा करते थे, लेकिन सभी आपस में हंसी मजाक करते हुए हमेशा खुश रहते थे। उन्होंने कहा-हर हाल में खुश रहना मैंने अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से सीखा। मैं आज जो कुछ भी हूं, वह अपने माता-पिता की वजह से हूं।

अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से सीखा

खेर ने श्रोताओं से कहा-आपकी खुशियां स्वयं के आपके हाथों में है। कामयाबी हासिल करने के लिए जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति जन्मजात एक्टर नहीं होता। अभिरूचि और अभ्यास से उसमें अभिनय की क्षमता विकसित होती है। मैंने सिर्फ 26 वर्ष की उम्र में मुझे फिल्म सारांश में 65 साल के बुजुर्ग का रोल अदा किया। शिमला जैसे छोटे शहर से निकलकर वर्षों पहले फिल्मों में काम तलाशने मैं मुम्बई पहुंचा।

मैंने सिर्फ 26 वर्ष की उम्र में मुझे फिल्म सारांश में 65 साल के बुजुर्ग का रोल अदा किया

शुरूआती दौर में मुझे 27 दिनों तक रेल्वे प्लेटफार्म में गुजारा करना पड़ा। उन्होंने कहा-किसी भी परिस्थिति में हमें असफलताओं से डरना नहीं चाहिए। विफलताओं को चुनौती के रूप में लेना चाहिए। जब मैं स्कूल की कक्षाओं में फेल हो जाता था, तो उस समय भी मेरे पिता मुझे फूल भेंटकर या किसी रेस्टोरेंट में खाना खिलाकर मेरा मनोबल बढ़ाया करते थे।

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