रायपुर : भाजपा-कांग्रेस में प्रत्याशी परिवर्तन से कांटे की टक्कर

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के अंतर्गत बालोद विधानसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। दुर्ग जिले से अलग होने के बाद नए जिले के रुप में अस्तित्व में आये बालोद जिला बनने के बाद यह स्वतंत्र रुप से पहला विधानसभा चुनाव है। इस बार कांग्रेस ने विधायक भैयाराम सिन्हा का टिकट काटकर उनकी पत्नी संगीता सिन्हा को टिकट देकर भरोसा जताया है। वहीं भाजपा ने पवन साहू को टिकट देकर पराजित भाजपा प्रत्याशी प्रीतमराम साहू का टिकट काट दिया है। क्षेत्र में साहू समाज की जनसंख्या अधिक है। उसके बाद हल्बा और गोंड आदिवासियों की संख्या है। भाजपा सरकार द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य बालोद जिले की स्थापना किया जाना, स्वास्थ्यकेंद्र का निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्धन लोगों के लिए आवास निर्माण, सडक़ें पुल-पुलिया का निर्माण आदि है। सरकार के काम-काज को लेकर जनता का पूरा विश्वास है।
ये खबर भी पढ़ें – रायपुर : नोटबंदी देश का सबसे बड़ा महाघोटाला : सुरजेवाला
इसके बाद जनता चाहती है कि आगामी दिनों में किसानों के फसल की उचित कीमत मिले साथ ही उनकी कृषि एवं सिंचाई से संबंधित समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाए। सरकार की राशन प्रणाली को लेकर जिले के गरीब परिवारों की सोच सकारात्मक है। भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी चूंकि दोनों पहली बार आमने-सामने हैं। अत: कोई निश्चित राय जनता की ओर से नहीं है। उनका मानना है कि चुनावी मैदान में दोनों उतर गए है। प्रचार-प्रसार के दौरान पता चलेगा। कि कौन जनता को कितना आश्वस्त कर सकता है। तभी जीत या हार का आकलन किया जा सकेगा। इस बार विधानसभा चुनाव में जकांछ (जोगी) प्रत्याशी की उपस्थिति से चुनावी परिदृश्य बदल सकता है। क्योंकि एक समय आदिवासी कद्दावर नेता अरविंद नेताम के खासमखास रहे अर्जुन हिरवानी जकांछ (जोगी) के लिए अपनी टीम के साथ चुनाव अभियान में जुट गए हैं।
ये खबर भी पढ़ें – रायपुर : बृजमोहन की चुनाव संचालन समिति घोषित
वहीं भारतीय जनतापार्टी के प्रत्याशी पवन साहू के लिए प्रतिष्ठित नेता छगन साहू, दीपा साहू एवं दयानंद साहू अपने हैं। वे सभी भाजपा की चौथी बार सरकार बनाने हेतु संकल्पित है। चंूकि भाजपा और जकांछ (जोगी) के प्रत्याशी साहू समुदाय के हैं इस लिए उनका वोट विभाजित होगा, जिसका लाभ कांग्रेस प्रत्याशी को होगा। पार्टी के वर्तमान विधायक भैयालाल सिन्हा क्षेत्र की जनता के अनुरुप खरे नहीं उतरे हैं, इसलिए आम जनता में नाराजगी है। अगर वे जनता की नाराजगी को चुनाव प्रचार के दौरान कम कर सकते हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी संगीता सिन्हा को लाभ होगा। वैसे कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव पिछड़े वर्ग के समर्थक भिड़ गए हैं। वहीं विधानसभा क्षेत्र बालोद में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की छवि सकारात्मक है।
ये खबर भी पढ़ें – रायपुर : रेणु जोगी ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र
उनकी छवि का लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिलेगा। इस विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने वाले बड़े गांवों में लिमोरा, अरकार, पलारी, जगन्नाथपुर सांकरा, बड़भूम, हर्राठेमा, मालगांव, करहीभदर, निपानी, पीपटछेड़ी, नवागांव आदि हैं जहां से हार-जीत को प्रभावित करने मतदान होते है। उपरोक्त गांव मतदान के हिसाब से जागरुक गांव माने जाते हैं। वर्तमान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विधायक की निष्क्रियता तथा बेलगाम हो चुके अधिकारियों का जनता के साथ किए जाने वाले दुव्र्यवहार का मुद्दा उठ सकता है। विधानसभा क्षेत्र बालोद हार-जीत को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि भाजपा-कांग्रेस दोनों प्रत्याशी नए हैं। दोनों में कांटे की टक्कर है।