रायपुर: ‘श्रीचंद सुंदरानी बने राजनीति के महारथी’ छीन लिया टिकट !

रायपुर: छत्तीसगढ़ में जब से चुनावी सरगर्मियां शुरू हुई थीं, तब से ही राजनीतिक हलकों में ये खबर जोरों पर थी, कि इस बार श्रीचंद सुंदरानी का टिकट कट रहा है, उस वक्त तक प्रदेश के किसी और जगह की खबर आ रही हो या नहीं, लेकिन लगातार श्रीचंद सुंदरानी के टिकट कटने की खबरें जरूर जोरों पर थीं, ये खबरें इतना तूल पकड़ चुकी थी कि भाजपा का आम कार्यकर्ता भी इसे सच्चाई समझने लगा था. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि पार्टी ने अपने संसदीय सचिव की टिकट काटने से भी गुरेज नहीं किया, लेकिन श्रीचंद सुंदरानी की टिकट काटने के लिए उसे पसीने छूट गए, फिर आखिर में आला नेताओं ने भी हथियार डाल दिये और उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया ।
राजनीति के बड़े खिलाड़ी बने सुंदरानी ?
दरअसल इस पूरे वाकये के बाद श्रीचंद सुंदरानी राजनीति के माहिर खिलाड़ी के तौर पर सामने आए हैं, उन्हें भी मालूम था कि इस बार उनकी टिकट खतरे में है, लेकिन उन्होने कभी भी इस पूरे मसले पर खुलकर कुछ नहीं बोला, जैसे उन्हें खुद पर भरोसा था कि कोई उनकी टिकट नहीं काट पाएगा.
हुआ भी कुछ ऐसा ही टिकट घोषणा के चंद दिन पहले सिंधी समाज ने दवाब बनाना शुरू कर दिया, हालांकि रायपुर की उत्तर विधानसभा में कुछ ही प्रतिशत सिंधी हैं, ऐसे में यहां से शायद ही भाजपा को कोई खतरा होता, लेकिन पूरे प्रदेश के सिंधियों को नाराज करने की हिम्मत भाजपा आला कमान नहीं जुटा पाया.
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पार्टी में विरोध के बाद भी पाया टिकट
इस पूरे मामले में यह कहा जा सकता है कि श्रीचंद सुंदरानी को पार्टी ने टिकट दी नहीं, बल्कि उन्होने ये टिकट पार्टी से छीन ली है, क्योंकि कई बड़े दावेदार भी मैदान में थे, जो रायपुर की उत्तर विधानसभा से चुनाव लड़कर विधानसभा जाने का सपना संजोए बैठे थे.
रायपुर उत्तर से टिकट की चाहत रखने वाले दावेदारों को पूरा यकीन था कि श्रीचंद सुंदरानी की टिकट कटना तय है, लिहाजा पांच साल के लंबे अंतराल बाद, रायपुर में कम से कम एक नये प्रत्याशी को तो मौका मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, पार्टी पूरे रायपुर की चारों सीटों में से एक भी सीट पर नया चेहरा नहीं उतार सकी, उसने यहां से उन्हीं चारों चेहरों को फिर मौका दिया, जो साल 2013 में चुनाव लड़े थे ।
सबसे कठिन सीट थी रायपुर उत्तर !
रायपुर उत्तर की सीट पूरी भाजपा के लिए सबसे कठिन सीट मानी जा सकती है, कठिन इसलिये क्योंकि जब पार्टी ने कई दौर की बैठकों के बाद राज्य की पूरी 89 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर लिये, उसके बाद भी उसे रायपुर उत्तर से अपना प्रत्याशी चयन करने में दो-तीन दिन का अतिरिक्त समय लगा, और उन्हें सिर्फ इसी सीट को लेकर माथ पच्ची करनी पड़ी, इस पूरी कसरत से ये जरूर कहा जा सकता है कि पार्टी के आला नेता यहां नये कैंडिडेट को मौका देना चाहते थे, लेकिन कहीं न कहीं श्रीचंद सुंदरानी को वो नजरअंदान नहीं कर सके ।
एक बाजी जीते दूसरी बाकी !
खैर भाजपा से टिकट पाकर या यूं कहें छिनकर श्रीचंद सुंदरानी ने खुद को राजनीति का बड़ा खिलाड़ी तो साबित कर दिया, लेकिन अब देखना ये होगा कि इस बार वो रायपुर उत्तर में अपने रूठे मतदाताओं को मना पाने में सफल हो पाएंगे या नहीं ।