रायपुर : राज्य सरकार ने किया डीएमएफ की राशि का बंदरबाट : भूपेश बघेल

रायपुर : राज्य सरकार ने डीएमएफ के पैसों का पूरी तरह से बंदरबाट करते हुए मनमाने ढंग से खर्च किया है। यही नहीं इस मद की राशि ऐसे निर्माण कार्यों में खर्च किया गया, जिसमें मोटी कमीशनखोरी हो सके। इस मद की राशि का केवल 1 प्रतिशत ही प्रभावितों तक पहुंचा है, शेष 99 प्रतिशत की राशि अन्य मदों में खर्च कर दिया गया। यही नहीं राशि खर्च करने के लिए सभी नियम-कायदों को भी ताक में रख दिया गया। कांग्रेस भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पीसीसी प्रमुख भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर उक्त आरोप लगाते हुए कहा कि सीएसई की रिपोर्ट से रमन सिंह सरकार के जनविरोधी विकास की कलई पूरी तरह से खुल गई है। राज्य की भाजपा सरकार गरीबों के बारे में सोचती ही नहीं। यहां तक की प्रभावितों के हक का पैसा भी उन तक नहीं पहुंच पाता।
राशि ऐसे निर्माण कार्यों में खर्च किया गया,
श्री बघेल ने कहा कि राष्ट्रीय एजेंसी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने जिला खनिज कोष याने (डीएमएफ) पर एक रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के 9 जिलों का अध्ययन किया गया। राज्य के तीन जिलों कोरबा, रायगढ़ और दंतेवाड़ा में सबसे अधिक पैसा जमा होता है। लिहाजा इन तीनों जिलों का गहन अध्ययन किया गया जिसमें परिणम चौंकाने वाले निकले हैं। श्री बघेल ने कहा कि कांग्रेस ने पहले भी इस बात का आरोप लगाया था और अब सीएसई की रिपोर्ट से यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है। श्री बघेल ने कहा कि डीएमएफ का पैसा कलेक्टर के माध्यम से ऐसे निर्माण कार्यों में खर्च किया गया, जिसमें सबसे अधिक कमीशनखोरी हो सके।
रायगढ़ और दंतेवाड़ा में सबसे अधिक पैसा जमा होता है
यहां तक कि इस मद का पैसा प्रभावितों तक पहुंचाने के बजाए, इसे दिगर कार्यों में खर्च कर दिया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डीएमएफ का केवल 1 प्रतिशत राशि प्रभावितों तक पहुंच रहा है और शेष 99 प्रतिशत की राशि दूसरे मदों में खर्च कर दिया गया। इस तरह डीएमएफ मद के पैसों का राज्य सरकार ने पूरी तरह से बंदरबाट कर दिया। एक सरकार आंकड़े के अनुसार पिछले 15 सालों में छत्तीसगढ़ देश का सबसे गरीब राज्य बन गया है और यहां की आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है।
पैसों का राज्य सरकार ने पूरी तरह से बंदरबाट कर दिया
राज्य सरकार ने डीएमएफ का पैसा केवल और केवल निर्माण कार्यों में खर्च कर दिया, जबकि इसका पैसा खनन प्रभावित लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए खर्च किया जाना था। इस मद का पैसा दूसरे मदों में खर्च करने के लिए राज्य सरकार ने प्रभावितों को आज तक न तो चिन्हांकित किया और न ही इनकी सूची बनाई गई, लिहाजा सरकार ने इस मद का पैसा, सड़क, भवन, सम्मेलन कक्ष बनाने में खर्च कर दी। यहां तक कि इस राशि को अमृत योजना तक भी लगा दिया।