रायपुर : राजनितिक पार्टियां वादे और दावे भले ही कितने ही कर लें, लेकिन हकीकत यही है कि राजनीति में अब भी महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले कोसों दूर खड़ी दिखाई देती हैं. फिर चाहे बात देश की हो या किसी प्रदेश की. बात अगर हम आज छत्तीसगढ़ की ही करें तो यहां की विधानसभा में 90 में से महज 10 विधायक महिलाएं हैं, यानि कि करीब 9 प्रतिशत. और जो 10 महिलाएं विधायक हैं।
उनमें भी ज्यादातर कहीं न कहीं से राजनीतिक घरानों से जुड़ी हुईं हैं. यानि कि भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों में, ज्यादातर उन्हीं महिलाओं को टिकट दिया जाता है, जिनके पिता, पति या फिर परिवार का कोई न कोई पुरुष सदस्य, राजनीति में अच्छा खासा रसूख रखता है. कहने का मतलब ये है, कि दोनों ही पार्टियों में, ऐसी कोई महिला, विधायक के पद पर नहीं है, जो खुद अपने दम पर किसी भी पार्टी का टिकट लेने में कामयाब हो सकी है।
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अगर आपके दिमाग में ऐसी किसी महिला का नाम आता है, जिसे अपनी दम पर किसी भी पार्टी ने विधायक या सांसद की टिकट दी है, तो हमें नीचे कमेंट कर जरूर बताएं. क्योंकि देश के नेता महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात तो करते हैं, लेकिन जब चुनाव आते हैं तो महिलाओं की भागीदारी, कहीं कमजोर नजर आती है ।
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