छत्तीसगढ़

गोधन न्याय योजना से ग्रामीण महिलाओं को मिली स्वावलंबन की राह,पहले स्वयं लिया प्रशिक्षण,अब दूसरों को कर रहीं प्रशिक्षित

रायपुर। ग्रामीण महिलाएं अब घरेलू कार्य के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी से अपनी सहभागिता बढ़ा रहीं हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में संचालित आय मूलक गतिविधियों में ग्रामीण महिलाएं आर्थिक सहयोगी की भूमिका निभा रही हैं। इस तरह अब वे अपने परिवार की जिम्मेदारी, उनका भरण पोषण और अपने जीवन स्तर में सुधार लाने में सक्षम हो रही हैं। विकासखंड खरसिया की ग्राम पंचायत लोढ़ाझर इस सफलता का साक्षी बन रहा है, यहां बिहान के अंतर्गत 2018 में गठित कान्हा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने भविष्य को देखते हुए पहले स्वयं एवं समूह के सदस्यों के आर्थिक सहयोग के लिए एक निश्चित राशि समूह के खाते में डालना प्रारंभ किया, ताकि बचत राशि का उपयोग कर समूह की आय में वृद्धि और रोजगार गतिविधियां की जा सके।

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इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल से छत्तीसगढ़ में सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना की शुरुआत हुई। इसमें ग्राम पंचायत लोढ़ाझर में गौठान का निर्माण कार्य का प्रारंभ हुआ। यहां कान्हा महिला स्व-सहायता समूह की ओर से कार्य करना शुरू किया गया। गौठान निर्माण में महिला स्वसहायता समूह को सीपीटी, पौधरोपण, खुदाई आदि कार्य मिला। समूह की ओर से किए गए कार्यों की कुशलता से प्रभावित होकर, उन्हें गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी एवं वर्मी कम्पोस्ट निर्माण की जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए उनकी ट्रेनिंग भी की गई, तब से अब तक कान्हा महिला स्व-सहायता समूह की ओर से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, केंचुआ उत्पादन एवं सब्जी उत्पादन का कार्य लगातार किया जा रहा है। महिलाओं को इससे आर्थिक लाभ मिल रहा है और वे अपने परिवार के भरण-पोषण में भी इस राशि का उपयोग कर रही हैं।

अब तक 2 लाख 84 हजार की बिक्री

कान्हा स्व-सहायता समूह वर्मी खाद, केंचुआ और सब्जी उत्पाद एवं बिक्री के जरिए अब तक 2 लाख 84 हजार 825 रुपए का लाभ कमा चुका है। उत्पादों की बिक्री ने महिलाओं में गौठान में उनके कामों के प्रति नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया है। इस काम को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए स्व-सहायता समूह की महिलाएं भविष्य में वर्मी वाश, जैविक रसायन, गमला निर्माण व अगरबत्ती निर्माण की कार्ययोजना बना रही हैं।

दूसरे समूहों को भी कर रही प्रशिक्षित

कान्हा स्व-सहायता समूह की महिलाएं स्वयं प्रशिक्षित होकर अब दूसरे समूह की महिलाओं को भी प्रशिक्षण दे रही हैं। समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट, केंचुआ, सब्जी उत्पादन एवं अन्य उत्पादों के लिए प्रशिक्षण एवं प्रायोगिक कार्यशाला के जरिए महिला स्वावलंबन की अलख जगा रही हैं।

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