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नईदिल्ली ; अदालत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी सरकार

नईदिल्ली :  केन्द्र ने संसद में यह स्पष्ट किया है कि देश के प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के बीच टकराव से सरकार खुद को दूर रखेगी. राज्यसभा में तीन अलग अलग सवालों के लिखित जवाब में सरकार ने कहा कि उसे इस बारे में उच्चतम न्यायालय की तरफ से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है. विधि राज्यमंत्री पीपी चौधरी से जब पूछा गया कि क्या सरकार ने उच्चतम न्यायालय में टकराव के प्रभावों के बारे में कोई आंकलन किया है, इस पर मंत्री का उत्तर नकारात्मक था.
एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा, ‘न्यायपालिका भारत के संविधान के अधीन एक स्वतंत्र अंग है और यह अपने आंतरिक मामलों को स्वयं नियंत्रित करता है. सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है.’ उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायधीशों ने जनवरी में राष्ट्रीय महत्व के कई अहम मुकदमों को सुनवाई के लिये विभिन्न न्यायाधीशों को सौंपने की व्यवस्था सहित प्रशासनिक अनियमितता के विभिन्न मुद्दों को उठाते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ लगभग विद्रोह की मुद्रा अख्तियार कर ली थी.
उचतम न्यायालय द्वारा सार्वजनिक की गई नई रोस्टर प्रणाली में अब न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कूरियन जोसेफ को अब महत्वपूर्ण मुकदमों का आवंटन किया गया है.
 

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