रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से एक दिन पहले गुस्र्वार को सत्ता पक्ष को जहां विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल की फटकार सुननी पड़ी, वहीं छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता संशोधन विेधेयक पर मतविभाजन का भी सामना करना पड़ा।
यही नहीं, सदन में किसानों को फसल बीमा नहीं मिलने पर भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को घेरा। शिवरतन ने सदन में कहा कि बलौदाबाजार-भाटापारा के किसानों को फसल बीमा नहीं मिल रहा है। मंत्री बीमा कंपनियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस पर, मंत्री बृजमोहन ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि यह भाषा उचित नहीं है। मैं चैलेंज करता हू कि कोई प्रमाणित कर दे कि मैं कभी भी किसी बीमा कंपनी से मिला हूं। विवाद को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष को बीच बचाव करना पड़ा।
अध्यक्ष ने कहा कि सदन में अगर इस तरह से आरोप लगाना गलत है। मंत्री जिम्मेदारी से जवाब दे रहे हैं। सदस्य सीधी बात न कर आसन्दी को देखकर बात करें। कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल और नेंद्र साहू ने भी कृषि मंत्री पर निशाना साधा। भूपेश ने बीमा कंपनियों के एजेंट को बीमा के समय मौजूद रहने की मांग की। मंत्री ने सुझाव पर अमल का आश्वासन दिया। बीमा समिति में सभी विधायकों को रखने की भी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने घोषणा की।
भू राजस्व संहिता संशोधन विेधेयक पर मत विभाजन
मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए आपसी सहमति से जमीन अधिग्रहण को लेकर भू राजस्व संहिता संशोधन विेधेयक पेश किया, जिसका कांग्रेस विधायकों ने विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और आदिवासी विधायकों ने आदिवासी हितों के कानून के साथ छेड़छाड़ नहीं करने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल से मतविभाजन कराने की मांग की। मतदान होने पर सत्ता पक्ष को 43 और विपक्ष को 31 मत मिले और विेधेयक पास हो गया। मत विभाजन के दौरान सदन में हलचल तेज हो गई थी।
चार साल में पहली बार निर्देश लेकिन कार्रवाई नहीं
प्रश्नकाल के दौरान गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को विधानसभा अध्यक्ष की फटकार सुननी पड़ी। बसपा विायक केशव चंद्रा ने पाली के चैतुरगढ़ में नलजल योजना में अनियमितता का मामला उठाया। मंत्री पैकरा ने स्वीकार किया कि अनियमितता पाई गई है, दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए गए हैं।
इस पर केशव चंद्रा ने कार्रवाई नहीं करने की बात कही। मंत्री की ओर से बार-बार एक ही जवाब आने पर अध्यक्ष ने नाराजगी जताई और आंसदी से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया। अध्यक्ष ने कहा कि मैं चार साल में पहली बार इस तरह का निर्देश दे रहा हूं और उसके बाद भी घुमा रहे हैं। इस तरह का जवाब मिलेगा तो सदन चलाने में दिक्कत होगी।