
रायपुर। करीब चार साल पुराने एक उग्र घटनाक्रम में शामिल ‘छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना’ के छह सदस्यों को अदालत ने सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। मामला बम्हनीडीह थाना क्षेत्र का है, जहां अगस्त 2021 में आरोपियों ने दिनदहाड़े एक दुकान में घुसकर लाठी-डंडों से हमला करते हुए दुकानदार से एक लाख रुपए की मांग की थी।
न्यायालय ने सभी दोषियों पर 500-500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है, जबकि एक आरोपी को हथियार रखने के मामले में अतिरिक्त सजा मिली है।
क्या था मामला?
27 अगस्त 2021 की शाम व्यापारी आनंद अग्रवाल की दुकान में अचानक 15-20 लोगों की भीड़ घुस आई। हाथों में लाठी, गुप्ती और डंडे लिए इन लोगों ने खुद को ‘छत्तीसगढ़ क्रांति सेना’ का सदस्य बताते हुए व्यापारी से एक लाख रुपए की मांग की। जब अग्रवाल ने पैसे देने से इंकार किया, तो उसे झूठे मुकदमे में फंसाकर बदनाम करने की धमकी दी गई और फिर बेरहमी से पीटा गया।
इतना ही नहीं, दुकान से कीटनाशक दवाइयों को जबरन उठाकर ले जाया गया। बीच-बचाव के लिए आए चार अन्य लोगों को भी मारपीट का शिकार होना पड़ा।
कोर्ट ने क्या कहा?
करीब चार साल तक चली सुनवाई के बाद जांजगीर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 452, 323, 386 और 397 के तहत दोषी पाया।
दोषियों में शामिल हैं —
भूपेन्द्र रात्रे (31), लक्की वर्मा (29), तरुण कुमार (23), कृपाण बघेल (26), भोला कश्यप (29) और रामपल कश्यप (24)।
इनमें भोला कश्यप को आयुध अधिनियम की धारा 25(1)(1-ख) के तहत अतिरिक्त तीन साल की सजा और जुर्माने का सामना भी करना होगा।
सुनवाई और विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद पुलिस महकमे में भी हलचल मच गई थी। तत्कालीन एसडीओपी को हटा कर चंद्रशेखर परमा को बम्हनीडीह-बाराद्वार थाना प्रभारी बनाया गया था।
मामला जब कोर्ट तक पहुंचा, तो 7 सितंबर 2021 को जांजगीर में ‘छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना’ ने उग्र प्रदर्शन भी किया था। सुनवाई के दौरान आरोपियों की जमानत याचिका का अधिवक्ता संतोष गुप्ता ने विरोध किया।
इस केस की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी), जांजगीर की अदालत में हुई और अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक योगेश गोपाल ने की।