मनचलों के लिए चप्पल उठाने से बाज नहीं आती: रकुल प्रीत
रकुल प्रीत : की पहली ही फिल्म यारियां ने 100 करोड़ का बिजनस किया था, मगर एक सफल फिल्म देने के बाद उन्होंने दक्षिण का रुख कर लिया। साउथ में तकरीबन 15 फिल्में करने के बाद, आजकल वह चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म अय्यारी के लिए। पेश है उनसे हुई इस खास बातचीत के कुछ अंश, जिसमें अपनी जल्द रिलीज हो रही फिल्म के अलावा, रकुल प्रीत ने महिला अपराध और सुरक्षा मुद्दों पर भी हमसे खुलकर बात की।
आपकी फिल्म अय्यारी एक मुद्देवाली फिल्म है। देश में लड़कियों को लेकर ऐसे कौन से मुद्दे हैं, जिन पर बात होनी चाहिए?
बहुत सारे मुद्दे हैं, जिन पर हमें बात करनी चाहिए। मैं दक्षिण में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रैंड ऐंबेसडर हूं। मुझे लगता है, जो सबसे बड़ा मुद्दा है, वह है औरतों के साथ होनेवाले अपराध का और उसमें भी जो सबसे अहम है, वो है महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार। हम साक्षारता की बात करते हैं, मगर किसी को शिक्षित करने की प्रक्रिया तो पूरे दस साल बाद पूरी होती है। नन्हीं बच्चियों से लेकर बड़ी औरतों के साथ बलात्कार की जो दारुण घटनाएं होती हैं, उनका क्या? हमें इस तरह का अपराध करनेवाले को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। हमारे यहां दिक्कत यह है कि हमारी कानून-प्रक्रिया बहुत लंबी है। कुछ अरसा पहले मैं रेप की शिकार एक ऐसी लडक़ी से मिली, जिसके साथ 10-12 साल की उम्र में बलात्कार हुआ और वह गर्भवती हो गई थी। उसकी दास्तान सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। जब वह अपने बारे में बता रही थी, तो मैं कांप रही थी। मुझे लगता है कि बलात्कार करनेवालों को नामर्द बना देना चाहिए। यही सजा ऐसे कुकर्म करनेवालों को रोक सकती है।
क्या अपने जीवन में आप कभी छेडख़ानी या यौन अपराध का शिकार हुई हैं?
हुई हूं…एक बार मैं और मेरे दोस्त नैनीताल गए थे और एक दुकान से हम स्वेटर खरीद रहे थे और उन्हें ट्राइ कर रहे थे। तभी हमने देखा कि एक लडक़ा मेरी तस्वीरें खींचे जा रहा था। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं उसके पास गई, मैंने उसके हाथ से कैमरा छीना और उसे कस के थप्पड़ मार दिया। उसने पलट कर मुझे एक पंच मारा और वहां से भागने लगा। मैंने भी पलटकर उस पर पत्थर से वार किया था। इस घटना के बाद मेरे घरवालों और दोस्तों का कहना था कि मुझे खामख्वाह झांसी की रानी बनने की क्या जरूरत थी? मगर मेरा कहना था कि जब तक लड़कियां आवाज नहीं उठाएंगी, तब तक उनके खिलाफ जुर्म कम नहीं होंगे।
आप अपनी सेफ्टी के लिए क्या करती हैं?
मैं कराटे में पारंगत हूं और वक्त पडऩे पर मुझे इसके नुस्खे आजमाना भी खूब आता है, मगर अपनी सुरक्षा के लिए मैं इंडियन स्टाइल की सेफ्टी अपनाने में यकीन करती हूं। मैं तो मनचलों को चप्पल उठाकर मारने से बाज नहीं आती। हमारे घरों में सिखाया जाता है कि शाम को 7 बजे के बाद घर से मत निकलो। मैं कहती हूं कि सात बजे के बाद हम अपनी बेटियों को कराटे या सेल्फ डिफेंस की क्लासेज क्यों नहीं सिखाते? हमें अपनी बेटियों को मजबूत बनाना होगा।
यारियां जैसी हिट फिल्म देने के बाद आप बॉलिवुड से गायब हो गईं?
मैंने यारियां की शूटिंग खत्म की ही थी कि मुझे दक्षिण की एक फिल्म मिल गई और कमाल की बात है कि वह फिल्म हिट भी हो गई। उसके बाद मुझे दक्षिण की ही 4-5 फिल्में गईं। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने 5 से 15 फिल्में कर लीं। उस वक्त मुझे लगा कि मुझे यहां काम मिल रहा है, तो मुझे यहीं अपनी जगह बना लेनी चाहिए। बॉलिवुड में एक स्ट्रगलर की तरह कोशिशें करने के बजाय अच्छा रहेगा कि मैं साउथ की स्टार बन जाऊं। आज वहां 15 फिल्में करने के बाद मैं वहां से एक महीने का ब्रेक ले सकती हूं और बॉलिवुड में भी कोशिश कर सकती हूं।
दक्षिण में आपका खासा नाम है, मगर बॉलिवुड में आप अभी भी न्यूकमर हैं?
दक्षिण में मेरी फैन फॉलोविंग देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। पिछले महीने मैं एक ओपनिंग के सिलसिले में तिरुपति गई थी और वहां मुझे देखने के लिए इतनी भीड़ उमड़ पड़ी कि 4 किलोमीटर तक ट्रैफिक जाम हो गया। लोग सुबह 9 बजे से इंतजार में थे। अपने तेलुगू दर्शकों के लिए मैंने तेलुगू सीखी। मुझे लगता है, जो भाषा मेरा घर चला रही है, मुझे रोजी-रोटी दे रही है, वह भाषा तो मुझे सीखनी ही चाहिए। जहां तक बॉलिवुड में न्यूकमर की बात है, तो हां यहां मैं नई हूं, मगर बहुत जल्द ही अपने काम से अपना मुकाम बना लूंगी। लोग अभी मुझे यहां नहीं पहचानते। मैं आज भी बेफिक्र होकर स्टारबक्स चली जाती हूं। मैंने कभी भी अपनी सफलता को सिर चढऩे नहीं दिया।
प्यार के फ्रंट पर क्या हो रहा है?
अभी तो कुछ नहीं। फिलहाल तो मेरी लव लाइफ कोरे कागज की तरह है। इस साल का मेरा न्यू ईयर रेजॉल्यूशन यही है कि इस नए साल में मुझे मेरा प्यार मिले। मैं प्यार पर गहराई से यकीन करती हूं।
००मनचलों के लिए चप्पल उठाने से बाज नहीं आती: रकुल प्रीत
रकुल प्रीत की पहली ही फिल्म यारियां ने 100 करोड़ का बिजनस किया था, मगर एक सफल फिल्म देने के बाद उन्होंने दक्षिण का रुख कर लिया। साउथ में तकरीबन 15 फिल्में करने के बाद, आजकल वह चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म अय्यारी के लिए। पेश है उनसे हुई इस खास बातचीत के कुछ अंश, जिसमें अपनी जल्द रिलीज हो रही फिल्म के अलावा, रकुल प्रीत ने महिला अपराध और सुरक्षा मुद्दों पर भी हमसे खुलकर बात की।
आपकी फिल्म अय्यारी एक मुद्देवाली फिल्म है। देश में लड़कियों को लेकर ऐसे कौन से मुद्दे हैं, जिन पर बात होनी चाहिए?
बहुत सारे मुद्दे हैं, जिन पर हमें बात करनी चाहिए। मैं दक्षिण में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रैंड ऐंबेसडर हूं। मुझे लगता है, जो सबसे बड़ा मुद्दा है, वह है औरतों के साथ होनेवाले अपराध का और उसमें भी जो सबसे अहम है, वो है महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार। हम साक्षारता की बात करते हैं, मगर किसी को शिक्षित करने की प्रक्रिया तो पूरे दस साल बाद पूरी होती है। नन्हीं बच्चियों से लेकर बड़ी औरतों के साथ बलात्कार की जो दारुण घटनाएं होती हैं, उनका क्या? हमें इस तरह का अपराध करनेवाले को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। हमारे यहां दिक्कत यह है कि हमारी कानून-प्रक्रिया बहुत लंबी है। कुछ अरसा पहले मैं रेप की शिकार एक ऐसी लडक़ी से मिली, जिसके साथ 10-12 साल की उम्र में बलात्कार हुआ और वह गर्भवती हो गई थी। उसकी दास्तान सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। जब वह अपने बारे में बता रही थी, तो मैं कांप रही थी। मुझे लगता है कि बलात्कार करनेवालों को नामर्द बना देना चाहिए। यही सजा ऐसे कुकर्म करनेवालों को रोक सकती है।
क्या अपने जीवन में आप कभी छेडख़ानी या यौन अपराध का शिकार हुई हैं?
हुई हूं…एक बार मैं और मेरे दोस्त नैनीताल गए थे और एक दुकान से हम स्वेटर खरीद रहे थे और उन्हें ट्राइ कर रहे थे। तभी हमने देखा कि एक लडक़ा मेरी तस्वीरें खींचे जा रहा था। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं उसके पास गई, मैंने उसके हाथ से कैमरा छीना और उसे कस के थप्पड़ मार दिया। उसने पलट कर मुझे एक पंच मारा और वहां से भागने लगा। मैंने भी पलटकर उस पर पत्थर से वार किया था। इस घटना के बाद मेरे घरवालों और दोस्तों का कहना था कि मुझे खामख्वाह झांसी की रानी बनने की क्या जरूरत थी? मगर मेरा कहना था कि जब तक लड़कियां आवाज नहीं उठाएंगी, तब तक उनके खिलाफ जुर्म कम नहीं होंगे।
आप अपनी सेफ्टी के लिए क्या करती हैं?
मैं कराटे में पारंगत हूं और वक्त पडऩे पर मुझे इसके नुस्खे आजमाना भी खूब आता है, मगर अपनी सुरक्षा के लिए मैं इंडियन स्टाइल की सेफ्टी अपनाने में यकीन करती हूं। मैं तो मनचलों को चप्पल उठाकर मारने से बाज नहीं आती। हमारे घरों में सिखाया जाता है कि शाम को 7 बजे के बाद घर से मत निकलो। मैं कहती हूं कि सात बजे के बाद हम अपनी बेटियों को कराटे या सेल्फ डिफेंस की क्लासेज क्यों नहीं सिखाते? हमें अपनी बेटियों को मजबूत बनाना होगा।
यारियां जैसी हिट फिल्म देने के बाद आप बॉलिवुड से गायब हो गईं?
मैंने यारियां की शूटिंग खत्म की ही थी कि मुझे दक्षिण की एक फिल्म मिल गई और कमाल की बात है कि वह फिल्म हिट भी हो गई। उसके बाद मुझे दक्षिण की ही 4-5 फिल्में गईं। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने 5 से 15 फिल्में कर लीं। उस वक्त मुझे लगा कि मुझे यहां काम मिल रहा है, तो मुझे यहीं अपनी जगह बना लेनी चाहिए। बॉलिवुड में एक स्ट्रगलर की तरह कोशिशें करने के बजाय अच्छा रहेगा कि मैं साउथ की स्टार बन जाऊं। आज वहां 15 फिल्में करने के बाद मैं वहां से एक महीने का ब्रेक ले सकती हूं और बॉलिवुड में भी कोशिश कर सकती हूं।
दक्षिण में आपका खासा नाम है, मगर बॉलिवुड में आप अभी भी न्यूकमर हैं?
दक्षिण में मेरी फैन फॉलोविंग देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। पिछले महीने मैं एक ओपनिंग के सिलसिले में तिरुपति गई थी और वहां मुझे देखने के लिए इतनी भीड़ उमड़ पड़ी कि 4 किलोमीटर तक ट्रैफिक जाम हो गया। लोग सुबह 9 बजे से इंतजार में थे। अपने तेलुगू दर्शकों के लिए मैंने तेलुगू सीखी। मुझे लगता है, जो भाषा मेरा घर चला रही है, मुझे रोजी-रोटी दे रही है, वह भाषा तो मुझे सीखनी ही चाहिए। जहां तक बॉलिवुड में न्यूकमर की बात है, तो हां यहां मैं नई हूं, मगर बहुत जल्द ही अपने काम से अपना मुकाम बना लूंगी। लोग अभी मुझे यहां नहीं पहचानते। मैं आज भी बेफिक्र होकर स्टारबक्स चली जाती हूं। मैंने कभी भी अपनी सफलता को सिर चढऩे नहीं दिया।
प्यार के फ्रंट पर क्या हो रहा है?
अभी तो कुछ नहीं। फिलहाल तो मेरी लव लाइफ कोरे कागज की तरह है। इस साल का मेरा न्यू ईयर रेजॉल्यूशन यही है कि इस नए साल में मुझे मेरा प्यार मिले। मैं प्यार पर गहराई से यकीन करती हूं।