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महिलाओं की आर्थिक मजबूती की ओर बढ़ते कदम: तारा बाई बनीं गांव की बैंकिंग सखी

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप प्रदेश में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत महिलाओं को समूहों में संगठित कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और रोजगार के अवसरों को अपना सकें।

जशपुर जिले के विकासखंड कांसाबेल के छोटे से गांव चिड़ोरा की तारा बाई इसी अभियान की एक सशक्त मिसाल हैं। उन्होंने ‘प्रज्ञा’ स्व-सहायता समूह से जुड़कर अपनी नई पहचान बनाई है। समूह सहेली ग्राम संगठन से जुड़ने के बाद तारा बाई ने बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी) के रूप में काम शुरू किया।

चिड़ोरा गांव मुख्य सड़क मार्ग से कटा हुआ है, जिससे गांव के लोगों को बैंकिंग सेवाओं के लिए कांसाबेल तक जाना पड़ता था। लेकिन तारा बाई ने इस मुश्किल को दूर कर दिया। अब वे गांव में ही लोगों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया करवा रही हैं — चाहे वह वृद्धा पेंशन हो, दिव्यांग पेंशन, मनरेगा की मजदूरी का भुगतान या फिर स्व-सहायता समूहों की वित्तीय गतिविधियां।

तारा बाई बताती हैं कि वे हर महीने 50 से 60 लाख रुपये तक का लेन-देन करती हैं, जिससे उन्हें 8 से 9 हजार रुपये मासिक आय हो रही है। इस आमदनी से न सिर्फ उनका परिवार सशक्त हुआ है, बल्कि वे गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं।

तारा बाई का यह सफर बताता है कि सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले तो महिलाएं किसी भी बदलाव की मजबूत कड़ी बन सकती हैं।

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