रायपुर । पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबध्द डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में क्रमश: दो मरीजों के छाती के अंदर और हार्ट के ऊपर स्थित दुर्लभ मेडिस्टाइनल ट्यूमर का सफल ऑपरेशन डॉ. कृष्णकांत साहू (विभागाध्यक्ष) एवं टीम द्वारा किया गया। डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में एवं कुछ दिन के अंतराल में ही एक के बाद एक मेडिस्टाइनल ट्यूमर की ऐसी दुर्लभ तथा क्रिटिकल सर्जरी कर इस विभाग ने कीर्तिमान रच दिया। सर्जरी के बाद दोनों ही मरीज स्वस्थ हैं। इसमें से एक मरीज की उम्र 32 साल है तथा दूसरे मरीज की उम्र 05 वर्ष है।
डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार, पहले केस में 32 वर्षीय मरीज को 10 महीने से छाती में भारीपन, खाँसी एवं सांस लेने में तकलीफ थी। दो साल पहले मरीज को इस बीमारी के बारे में पता चला परन्तु ऑपरेशन के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। यह ट्यूमर (कैंसर) हार्ट के ऊपर स्थित था, एवं बांयें फेफड़े और फेफड़े की मुख्य नस (मेन पल्मोनरी आर्टरी) से चिपका था जिसके कारण इस ट्यूमर को निकालना बेहद ही क्रिटिकल था। ट्यूमर का वजन लगभग 1.5 किलोग्राम था और यह दिल के आकार से भी बड़ा करीब 12X10X10 सेमी का था।
जांजगीर-चांपा निवासी और CSEB में वेल्डर का काम करने वाले व्यक्ति को लगभग 10 माह से सीने में भारीपन, सांस फूलने एवं सूखी खाँसी की शिकायत थी। सीटी स्कैन कराने पर पता चला कि इसके हृदय के ऊपर बहुत बड़ा ट्यूमर (कैंसर गांठ) है, जो कि हृदय फेफड़ा एवं मेन पल्मोनरी आर्टरी (Main Pulmonary artery) से बुरी तरह चिपका हुआ है। जब मरीज को ऑपरेशन के रिस्क के बारे में बताया गया तो मरीज बहुत अधिक घबरा गया, परन्तु समझाने के बाद ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया। मरीज के हार्ट के ऊपर से लगभग 1.5 किलोग्राम का ट्यूमर निकाला गया। ट्यूमर के साथ ही साथ आस-पास फैले हुए लिम्फ नोड को भी अच्छी तरह से निकाला गया जिससे पुनः कैंसर होने की संभावना न रहे। यह मरीज पूर्ण स्वस्थ्य होकर अस्पताल से आज डिस्चार्ज हो गया है।
डॉ. कृष्णकांत साहू दूसरे केस के संबंध में जानकारी देते हुए बताते हैं कि कुछ दिन पहले रायगढ़ के 05 साल के बच्चे के हृदय के ऊपर स्थित लगभग 2.5 किलोग्राम के मेडिस्टाइनल ट्यूमर को जटिल सर्जरी द्वारा निकाला गया। यह ट्यूमर आकार में बहुत ही बड़ा लगभग आधा छाती के बराबर था एवं फेफड़े, महाधमनी, पल्मोनरी आर्टरी और हार्ट से इतना ज्यादा चिपका हुआ था कि इसे कई अन्य सेंटरो में ऑपरेशन के लिये मना कर दिया गया था।
मेडिकल भाषा में इस मेडिस्टाइनल ट्यूमर को इमैच्योर टेरैटोमा (Immature teratoma) कहा जाता है। बच्चे के माता-पिता का कहना था कि इसके ऑपरेशन के लिए बच्चे को कई बड़े-बड़े अस्पतालों में ले गए थे परन्तु वहाँ सबने मना कर दिया एवं अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में रिफर कर दिया। ट्यूमर इतना विशाल और फैला हुआ था कि इसका ऑपरेशन बिलकुल नामुमकिन सा लग रहा था इसलिए मरीज के माता-पिता को यह भी बता दिया गया था कि हो सकता है यह ट्यूमर न निकल पाये और वैसे ही उसी स्थिति में छोड़ना पड़ेगा। फिर भी मरीज के माता-पिता आपरेशन के लिए तैयार हो गए। ट्यूमर को निकालने के लिए सीना (Sternum) एवं छाती (पसली Thoracotomy) में दोनों ओर से चीरा लगाकर ऑपरेशन करना पड़ा। इस बच्चे के लिए हार्ट लंग मशीन को भी तैयार करके रखना पड़ा था, क्योंकि यदि आपरेशन करते-करते कहीं बड़ी नस या हार्ट फट जाती तो इस मशीन से जान बचाने में सहायता मिल जाती। ट्यूमर को बहुत प्रयास करके पूरी तरह निकाल दिया गया। सर्जरी के बाद यह बच्चा एकदम स्वस्थ है और स्कूल जाना भी प्रांरभ कर दिया है।